संसृत मूल सूलप्रद नाना। सकल सोक दायक अभिमाना।।

SHARE:

  जितनी भी आसुरी-सम्पत्ति है, दुर्गुण-दुराचार हैं, वे सब अभिमान की छाया में रहते हैं। मैं हूँ- इस प्रकार जो अपना होनापन (अहंभाव) है, वह उतना...

  जितनी भी आसुरी-सम्पत्ति है, दुर्गुण-दुराचार हैं, वे सब अभिमान की छाया में रहते हैं। मैं हूँ- इस प्रकार जो अपना होनापन (अहंभाव) है, वह उतना दोषी नहीं है, जितना अभिमान दोषी है। भगवान का अंश भी निर्दोष है। परन्तु मेरे में गुण हैं, मेरे में योग्यता है, मेरे में विद्या है, मैं बड़ा चतुर हूँ, मैं वक्ता हूँ, मैं दूसरों को समझा सकता हूँ- इस प्रकार दूसरों की अपेक्षा अपने में जो विशेषता दीखती है, यह बहुत दोषी है। अपने में विशेषता चाहे भजन-ध्यान से दिखे, चाहे कीर्तन से दिखे, चाहे जप से दिखे, चाहे चतुराई से दिखे, चाहे उपकार (परहित) करने से दिखे, किसी भी तरह से दूसरों की अपेक्षा विशेषता दिखती है तो यह अभिमान है। यह अभिमान बहुत घातक है और इससे बचना भी बहुत कठिन है। अभिमान जाति को लेकर भी होता है, वर्ण को लेकर भी होता है, आश्रम को लेकर भी होता है, विद्या को लेकर भी होता है, बुद्धि को लेकर भी होता है। कई तरह का अभिमान होता है।

  हम देखते हैं कि कुछ व्यक्तियों में किसी गुण या विशेषता, जैसे अधिक धन, उच्च पद, प्रतिष्ठा और ज्ञान के कारण बड़ा या श्रेष्ठ होने का अभिमान आ जाता है। इससे उनके दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आ जाता है। जिन व्यक्तियों में ये विशेषताएं उन्हें दिखाई नहीं देतीं, उन्हें वे अपने से तुच्छ समझकर घृणा करने लग जाते हैं। जब कोई व्यक्ति उनसे श्रेष्ठ होता है, तो उससे ऐसे लोग ईर्ष्या करने लग जाते हैं। अभिमान के कारण ऐसे लोग अपने अंदर किसी दोष को न देखकर केवल अपने गुणों को ही देखते हैं। दूसरे व्यक्ति भी उनसे अपना हित साधने के लिए उनके गुणों का बढ़ा-चढ़ा कर बखान करते हैं। इससे उनका अभिमान और बढ़ जाता है। ऐसे लोगों के नजदीक स्वार्थी मनुष्य ही रहते हैं।

  अभिमान के बढ़ते रहने से नई-नई कामनाएं उत्पन्न होती रहती हैं, और उसे पूरा करने का उपक्रम शुरू हो जाता है। कामनाओं के पूरा होने पर किसी भी व्यक्ति के अंदर लोभ बढ़ने लगता है। जब कामना पूरी नहीं होती है, या पूरी होती नहीं दिखती है तो उसे क्रोध आने लगता है। इन सबके कारण व्यक्ति का चित्त अशुद्ध हो जाता है और कभी-कभी वह भूलवश पाप का अनुसरण करने लगता है। उसका मन अशांत रहने लग जाता है।

  गीता में भगवान कहते हैं, ‘दंभ करना, घमंड करना, अभिमान करना, क्रोध करना, कठोरता रखना और अविवेक का होना, ये सभी आसुरी संपदा को प्राप्त हुए मनुष्य के लक्षण हैं। दंभ, मान और मद से युक्त मनुष्य किसी प्रकार भी पूर्ण न होने वाली कामनाओं का आश्रय लेकर भ्रष्ट आचरण धारण करते हुए संसार में विचरते हैं। अपने आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले घमंडी पुरुष धन और मान के मद में चूर रहते हैं।’

  हमें दूसरों के दोष देखने के बदले अपने अंदर के दोषों पर लगातार नजर रखनी चाहिए। कोशिश यह होनी चाहिए कि अपने दोष दिखते ही सावधानी से उसे दूर करने के प्रयास में लग जाएं। अपने गुणों या श्रेष्ठता का अभिमान नहीं करना चाहिए। सत्वगुणों को बढ़ाना और अपने अंदर के दोषों को जानकर उन्हें दूर करते रहना ही हमारा वास्तविक स्वभाव होना चाहिए। शास्त्रों में भी श्रेष्ठता के अभिमान के त्याग को ज्ञान का एक प्रमुख साधन बताया गया है। अज्ञान जनित अभिमान हमें पतन के मार्ग पर अग्रसर करता रहता है —

दंभोदर्पोऽभिमानश्च क्रोध: पौरुषमेव च।

अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम् ।।

  आसुरी स्वभाव के लोगों का व्यवहार अहंकारपूर्ण और दूसरों का अनादर करने वाला होता है। वे अपनी भौतिक संपत्ति और पदनाम, जैसे धन, शिक्षा, सुंदरता, स्थिति आदि के बारे में गर्व और अभिमान रखते हैं। वे क्रोधित हो जाते हैं, जब मन पर नियंत्रण की कमी के कारण, उनकी वासना और लालच निराश हो जाते हैं। वे क्रूर और कठोर होते हैं और दूसरों के साथ बातचीत में उनके कष्टों के प्रति संवेदनशीलता से रहित होते हैं। उन्हें आध्यात्मिक सिद्धांतों की कोई समझ नहीं है और वे अधर्म को ही धर्म मानते हैं।

एक कहानी याद आती है —

  दुनिया के कट्टर और खूंखार बादशाहों में तैमूरलंग का श्री नाम आता है। व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा, अहंकार और जवाहरात की तृष्णा से पीड़ित तैमूर ने एक बार विशाल भू भाग को रौंदकर रख दिया। बगदाद में उसने एक लाख मरे हुए व्यक्तियों की खोपड़ियों का पहाड़ खड़ा कराया था। इसी बात से उसकी क्रूरता का पता चल जाता है।

  एक समय की बात है। बहुत-से गुलाम पकड़कर उसके सामने लाए गए। तुर्किस्तान का विख्यात कवि अहमदी भी दुर्भाग्य से पकड़ा गया। जब वह तैमूर के सामने उपस्थित हुआ तो एक विद्रूप की हँसी हँसते हुए उसने दो गुलामों की ओर इशारा करते हुए पूछा, "सुना है कि कवि बड़े पारखी होते हैं, बता सकते हो इनकी कीमत क्या होगी ?"

"इनमें से कोई भी ४ हजार अशरफियों से कम कीमत का नहीं।" अहमदी ने सरल किंतु स्पष्ट उत्तर दिया। "मेरी कीमत क्या होगी ?" तैमूर ने अभिमान से पूछा। "यही कोई २४ अशरफी" निश्चित भाव से अहमदी ने उत्तर दिया।

  तैमूर क्रोध से आगबबूला हो गया। चिल्लाकर बोला, "बदमाश ! इतने में तो मेरी सदरी भी नहीं बन सकती, यह कैसे कह सकता है कि मेरा मूल्य कुल २४ अशरफी है।"

  अहमदी ने बिना किसी आवेश या उत्तेजना के उत्तर दिया, "बस, वह कीमत उसी सदरी की है, आपकी तो कुछ नहीं। जो मनुष्य पीड़ितों की सेवा नहीं कर सकता, बड़ा होकर छोटों की रक्षा नहीं कर सकता, असहायों की, अनाथों की जो सहायता नहीं कर सकता, मनुष्य से बढ़कर जिसे अहमियत प्यारी हो, उस इनसान का मूल्य चार कोड़ी भी नहीं। उससे अच्छे तो यह गुलाम ही हैं, जो किसी के काम तो आते हैं।"

 अभिमान किसी को ऊपर उठने नहीं देता और स्वाभिमान किसी को नीचे गिरने नहीं देता। इंसान को अभिमान से दूर रहना चाहिए लेकिन स्वाभिमान से भरपूर रहना चाहिए। कुछ लोग अभिमान को ही स्वाभिमान समझ बैठते हैं, स्वाभिमान का सीधा अर्थ है स्वयं पर अभिमान करना। अपने पर गर्व करना, अपने को महान व महत्वपूर्ण समझना, अपने को भगवान की बनाई अतुल्य कृति माने। दिन हीन या गरीब नहीं सबका कल्याण करने वाला समझे, अपने को स्वयं का उद्धार करते हुए संसार का भी उद्धार कर सकने वाला समझे यही होता है,स्वाभिमान की भावना। 

 अच्छा कर्म करते हुए सदैव परमात्मा पर विश्वास रखना चाहिए कि मैं अच्छा करूंगा तो मेरे साथ भी अच्छा ही होगा। कुछ लोग जीवन में यह सोचते हैं कि मेरे साथ बहुत बुरा हो रहा है, वह बुरा भी तो किसी अच्छे के लिए ही हो रहा होगा। गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि कर्म करो, श्रेष्ठ कर्म करो और फल की इच्छा ना करो।

  अभिमान के साथ जो हमारी आसक्ति हो गई है, बस उसे दूर करना है। अभिमान के कारण हमारे अंदर जो अन्य दोष आ जाते हैं वे भी अभिमान के दूर होने पर स्वयं ही दूर हो जाएंगे। इससे हमारा चित्त शुद्ध होगा और मन में शांति रहेगी। गीता में भगवान ने कहा है कि ममता और अहंकार रहित पुरुष शांति को प्राप्त करता है और ऐसा पुरुष मुझे प्रिय है।

अभिमान करना है तो राम नाम का करो —

अस अभिमान जाइ जनि भोरे।

 मैं सेवक रघुपति पति मोरे॥

COMMENTS

BLOGGER
block1/संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ
https://gmail.us21.list-manage.com/subscribe?u=53d25bd67a9aa4979dc182652&id=8aa2dc5997
नाम

अध्यात्म,200,अनुसन्धान,19,अन्तर्राष्ट्रीय दिवस,2,अभिज्ञान-शाकुन्तलम्,5,अष्टाध्यायी,1,आओ भागवत सीखें,15,आज का समाचार,13,आधुनिक विज्ञान,19,आधुनिक समाज,146,आयुर्वेद,45,आरती,8,उत्तररामचरितम्,35,उपनिषद्,5,उपन्यासकार,1,ऋग्वेद,16,ऐतिहासिक कहानियां,4,ऐतिहासिक घटनाएं,13,कथा,6,कबीर दास के दोहे,1,करवा चौथ,1,कर्मकाण्ड,119,कादंबरी श्लोक वाचन,1,कादम्बरी,2,काव्य प्रकाश,1,काव्यशास्त्र,32,किरातार्जुनीयम्,3,कृष्ण लीला,2,क्रिसमस डेः इतिहास और परम्परा,9,गजेन्द्र मोक्ष,1,गीता रहस्य,1,ग्रन्थ संग्रह,1,चाणक्य नीति,1,चार्वाक दर्शन,3,चालीसा,6,जन्मदिन,1,जन्मदिन गीत,1,जीमूतवाहन,1,जैन दर्शन,3,जोक,6,जोक्स संग्रह,5,ज्योतिष,49,तन्त्र साधना,2,दर्शन,35,देवी देवताओं के सहस्रनाम,1,देवी रहस्य,1,धर्मान्तरण,5,धार्मिक स्थल,48,नवग्रह शान्ति,3,नीतिशतक,27,नीतिशतक के श्लोक हिन्दी अनुवाद सहित,7,नीतिशतक संस्कृत पाठ,7,न्याय दर्शन,18,परमहंस वन्दना,3,परमहंस स्वामी,2,पारिभाषिक शब्दावली,1,पाश्चात्य विद्वान,1,पुराण,1,पूजन सामग्री,7,पौराणिक कथाएँ,64,प्रश्नोत्तरी,28,प्राचीन भारतीय विद्वान्,99,बर्थडे विशेज,5,बाणभट्ट,1,बौद्ध दर्शन,1,भगवान के अवतार,4,भजन कीर्तन,38,भर्तृहरि,18,भविष्य में होने वाले परिवर्तन,11,भागवत,1,भागवत : गहन अनुसंधान,27,भागवत अष्टम स्कन्ध,28,भागवत एकादश स्कन्ध,31,भागवत कथा,118,भागवत कथा में गाए जाने वाले गीत और भजन,7,भागवत की स्तुतियाँ,3,भागवत के पांच प्रमुख गीत,2,भागवत के श्लोकों का छन्दों में रूपांतरण,1,भागवत चतुर्थ स्कन्ध,31,भागवत तृतीय स्कन्ध,33,भागवत दशम स्कन्ध,90,भागवत द्वादश स्कन्ध,13,भागवत द्वितीय स्कन्ध,10,भागवत नवम स्कन्ध,25,भागवत पञ्चम स्कन्ध,26,भागवत पाठ,58,भागवत प्रथम स्कन्ध,21,भागवत महात्म्य,3,भागवत माहात्म्य,12,भागवत मूल श्लोक वाचन,55,भागवत रहस्य,53,भागवत श्लोक,7,भागवत षष्टम स्कन्ध,19,भागवत सप्तम स्कन्ध,15,भागवत साप्ताहिक कथा,9,भागवत सार,33,भारतीय अर्थव्यवस्था,4,भारतीय इतिहास,20,भारतीय दर्शन,4,भारतीय देवी-देवता,6,भारतीय नारियां,2,भारतीय पर्व,40,भारतीय योग,3,भारतीय विज्ञान,35,भारतीय वैज्ञानिक,2,भारतीय संगीत,2,भारतीय संविधान,1,भारतीय सम्राट,1,भाषा विज्ञान,15,मनोविज्ञान,1,मन्त्र-पाठ,7,महापुरुष,43,महाभारत रहस्य,33,मार्कण्डेय पुराण,1,मुक्तक काव्य,19,यजुर्वेद,3,युगल गीत,1,योग दर्शन,1,रघुवंश-महाकाव्यम्,5,राघवयादवीयम्,1,रामचरितमानस,4,रामचरितमानस की विशिष्ट चौपाइयों का विश्लेषण,124,रामायण के चित्र,19,रामायण रहस्य,65,राष्ट्रीयगीत,1,रुद्राभिषेक,1,रोचक कहानियाँ,150,लघुकथा,38,लेख,168,वास्तु शास्त्र,14,वीरसावरकर,1,वेद,3,वेदान्त दर्शन,10,वैदिक कथाएँ,38,वैदिक गणित,1,वैदिक विज्ञान,2,वैदिक संवाद,23,वैदिक संस्कृति,32,वैशेषिक दर्शन,13,वैश्विक पर्व,9,व्रत एवं उपवास,35,शायरी संग्रह,3,शिक्षाप्रद कहानियाँ,119,शिव रहस्य,1,शिव रहस्य.,5,शिवमहापुराण,14,शिशुपालवधम्,2,शुभकामना संदेश,7,श्राद्ध,1,श्रीमद्भगवद्गीता,23,श्रीमद्भागवत महापुराण,17,संस्कृत,10,संस्कृत गीतानि,36,संस्कृत बोलना सीखें,13,संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ,6,संस्कृत व्याकरण,26,संस्कृत साहित्य,13,संस्कृत: एक वैज्ञानिक भाषा,1,संस्कृत:वर्तमान और भविष्य,6,संस्कृतलेखः,2,सनातन धर्म,2,सरकारी नौकरी,1,सरस्वती वन्दना,1,सांख्य दर्शन,6,साहित्यदर्पण,23,सुभाषितानि,8,सुविचार,5,सूरज कृष्ण शास्त्री,455,सूरदास,1,स्तोत्र पाठ,59,स्वास्थ्य और देखभाल,1,हँसना मना है,6,हमारी संस्कृति,93,हिन्दी रचना,32,हिन्दी साहित्य,5,हिन्दू तीर्थ,3,हिन्दू धर्म,2,about us,2,Best Gazzal,1,bhagwat darshan,3,bhagwatdarshan,2,birthday song,1,computer,37,Computer Science,38,contact us,1,darshan,17,Download,3,General Knowledge,29,Learn Sanskrit,3,medical Science,1,Motivational speach,1,poojan samagri,4,Privacy policy,1,psychology,1,Research techniques,38,solved question paper,3,sooraj krishna shastri,6,Sooraj krishna Shastri's Videos,60,
ltr
item
भागवत दर्शन: संसृत मूल सूलप्रद नाना। सकल सोक दायक अभिमाना।।
संसृत मूल सूलप्रद नाना। सकल सोक दायक अभिमाना।।
भागवत दर्शन
https://www.bhagwatdarshan.com/2024/03/blog-post_68.html
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/2024/03/blog-post_68.html
true
1742123354984581855
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content