संतान के लिए अपमान भी मंजूर

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 एक धनवान व्यक्ति था। उसके कई सारे मित्र थे, उसमे एक मित्र तो बहुत अधिक निर्धन था। एक दिन धनवान व्यक्ति ने अपने जन्मदिवस पर सभी मित्रो को अपने घर भोजन का आमंत्रण देता है, सभी मित्र धनवान व्यक्ति के घर आते है। भोजन के बाद धनवान व्यक्ति को ख्याल आता है कि उसने एक उंगली मे कीमती हीरे जड़ित अंगूठी पहनी हुई थी, थोड़ी ढीली होने के कारण कही गिर गई है। सभी मित्र घर मे अंगूठी खोजने मे मदद करते है। लेकिन नही मिलती। एक मित्र कहता है, आप हम सभी की तलाशी ले सकते है। एक व्यक्ति की वजह से हम सभी हमेशा के लिए आप की नजर मे शक के दायरे मे रहेगे…!!

   सभी मित्र तलाशी के लिये तैयार हो जाते है… सिवाए उस अधिक निर्धन मित्र के…वो अपनी तलाशी देने से मना कर देता है, सभी मित्र उसका अपमान करते है। धनवान व्यक्ति किसी की तलाशी ना लेकर सभी को विदा करता है।

 दूसरे दिन सुबह जब धनवान व्यक्ति अपने कोट की अंदर वाली जेब में हाथ डालता है तो अंगूठी मिल जाती है। और वो सीधा गरीब मित्र के घर आता है और अपने मित्रों द्वारा किये गऐ अपमान की क्षमा माँगता है और अपनी तलाशी ना देने की वजह पूछता है।

 निर्धन मित्र पलंग पर सोये हुये अपने बीमार पुत्र की ओर संकेत करते हुए कहता है, मै जब आपके यहाँ आ रहा था, इस ने मिठाई खाने की जिद की थी। आप के यहाँ जब भोजन कर रहा था तो मिठाई मिली तो मैने वो स्वंय न खाकर अपने पुत्र के लिये जेब मे रख ली थी। अगर तलाशी ली जाती तो अंगूठी की ना सही मिठाई की चोरी का आरोप जरूर लगता, इसीलिये अपमान सहना बेहतर समझा क्योंकि रात को सच बताता तो बीच मे बेटे का नाम भी आता.. और मैं अपनी परेशानी बताना नहीं चाहता था ! यह सुनकर धनवान व्यक्ति ने उसके बेटे के इलाज के लिए मदद भी की।

शिक्षा

1. माता-पिता अपनी संतान की छोटी-छोटी ख़ुशी के लिये क्या-क्या सहन नहीं करते..?

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