बैजनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश । बैजनाथ मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है।
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बैजनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश |
बैजनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश
बैजनाथ मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर न केवल अपनी भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी अद्वितीय है। यह शिवभक्तों और पर्यटकों दोनों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
विशाल "मंडप" वाले वेस्टिबुल
बीच में एक विशाल "मंडप" वाले वेस्टिबुल को पार करने के बाद ही कोई मंदिर में प्रवेश कर सकता है और दोनों तरफ बालकनियाँ हैं। दक्षिण और उत्तर में कुछ जगह छोड़कर इस पवित्र मंदिर को भी किलेबंद कर दिया गया है। मंडप के ठीक सामने नंदी बैल की एक विशाल छवि रखी गई है जहां एक छोटा सा पोर्च है। द्वार पर कई अन्य कलात्मक चित्र हैं जो गर्भगृह की ओर ले जाते हैं।
भगवान शिव यहाँ चिकित्सक या वैद्यनाथ
यहां भगवान शिव को चिकित्सक या वैद्यनाथ के भगवान के रूप में मनाया जाता है और यहां शिव लिंगम के रूप में स्थापित किया गया है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रत्येक तरफ पांच प्रक्षेपण हैं। मंदिर के अंदर मौजूद पत्थरों पर मंदिर के इतिहास का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। मान्यता है कि रावण ने यहां मंदिर में भगवान शिव की पूजा की थी।
मंदिर का पानी
मान्यता के अनुसार इस मंदिर का पानी अत्यधिक फायदेमंद है और इसमें अधिकांश मानव कष्टों और बीमारियों का इलाज करने की क्षमता है। यह भी एक कारण है कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग हर साल मंदिर में आते हैं और भगवान शिव के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
20 वीं शताब्दी की शुरुआत का भूकंप
माना जाता है कि 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में मंदिर को एक बड़े भूकंप का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद माना जाता है कि राजा संसार चंद ने अपने पूरे दिल और आत्मा के साथ मंदिर पर फिर से काम करने के लिए सभी प्रयास किए। एक परिपूर्ण और हरे भरे मैदान के साथ मंदिर परिसर हरा-भरा दिखता है।
स्थान और परिवेश
- बैजनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है।
- यह मंदिर पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है और धर्मशाला से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है।
- मंदिर ब्यास नदी के किनारे स्थित है, जिससे इसका वातावरण शांतिपूर्ण और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
इतिहास
- इस मंदिर का निर्माण 1204 ईस्वी में हुआ था। इसे दो स्थानीय व्यापारी, अहुक और मनुक ने बनवाया था।
- मंदिर को भगवान शिव के "वैद्यनाथ" (महादेव के एक रूप) को समर्पित किया गया है। वैद्यनाथ का अर्थ है "चिकित्सा के देवता," जो भगवान शिव के एक स्वरूप को दर्शाता है।
- ऐसा माना जाता है कि यहाँ भगवान शिव ने रावण को अमरता का वरदान देने के लिए लिंगम स्थापित किया था।
वास्तुकला
- बैजनाथ मंदिर नागर शैली की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- मंदिर में भव्य शिखर, पत्थर की नक्काशी, और दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र उकेरे गए हैं।
- मंदिर का मुख्य गर्भगृह शिवलिंग को समर्पित है, और इसके चारों ओर एक सभा मंडप है।
- मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो विशाल नंदी की मूर्तियाँ हैं, जो शिव के वाहन का प्रतीक हैं।
धार्मिक महत्व
- यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, हालांकि इसका नाम औपचारिक रूप से ज्योतिर्लिंगों में शामिल नहीं है।
- श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा और मेले का आयोजन किया जाता है।
- भक्तों का मानना है कि मंदिर में पूजा करने से सभी प्रकार के रोग और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
पर्यटन और आकर्षण
- बैजनाथ मंदिर का परिवेश प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है। पास के बर्फ से ढके पहाड़ और हरे-भरे जंगल इसे विशेष आकर्षण प्रदान करते हैं।
- यह स्थान योग और ध्यान के लिए भी उपयुक्त है।
- पास के अन्य पर्यटक स्थलों में बिड-बिलिंग पैराग्लाइडिंग साइट और पालमपुर के चाय बागान शामिल हैं।
कैसे पहुँचे?
- सड़क मार्ग: बैजनाथ मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। धर्मशाला, पालमपुर, और कांगड़ा से बस या टैक्सी के माध्यम से यहाँ पहुँचा जा सकता है।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है, जो लगभग 120 किमी दूर है।
- वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा कांगड़ा (गगल एयरपोर्ट) है, जो मंदिर से लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित है।
समय और प्रवेश
- मंदिर पूरे वर्ष खुला रहता है।
- दर्शन का समय प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक है।
- प्रवेश नि:शुल्क है।
निष्कर्ष
बैजनाथ मंदिर में धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह स्थान केवल एक तीर्थस्थल ही नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करता है।
बैजनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के बहुत प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जो भगवान शिव के अस्तित्व का जश्न मनाने के लिए समर्पित है। यह ब्यास घाटी में स्थित पालमपुर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बैजनाथ मंदिर की दीवारों पर उल्लेख के अनुसार इसे दो मूल व्यापारियों द्वारा बनाया गया था जिन्हें मनुका और आयुका कहा जाता है।
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