मज़ाक करने की सीमा

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
0

 शादी हुई ...

दोनों बहुत ख़ुश थे..!

स्टेज पर फ़ोटो सेशन शुरू हुआ..!

दूल्हे ने अपने दोस्तों का परिचय साथ

खड़ी अपनी #साली से करवाया ~

"ये है मेरी साली, #आधी_घरवाली"

दोस्त ठहाका मारकर हंस दिए !

दुल्हन मुस्कुराई और अपने देवर का परिचय अपनी सहेलियों से करवाया ~

"ये हैं मेरे #देवर.. #आधे_पति_परमेश्वर"

ये क्या हुआ..?

अविश्वसनीय...

अकल्पनीय…!

भाई समान देवर के कान सुन्न हो गए…!

पति बेहोश होते होते बचा…!

दूल्हे, दूल्हे के दोस्तों, रिश्तेदारों सहित सबके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी…!

लक्ष्मन रेखा नाम का एक गमला अचानक स्टेज से नीचे टपक कर फूट गया…!

स्त्री की मर्यादा नाम की हेलोजन लाईट

भक्क से फ्यूज़ हो गयी…!

थोड़ी देर बाद एक एम्बुलेंस तेज़ी से सड़कों पर भागती जा रही थी…!

जिसमे दो स्ट्रेचर थे…!

एक स्ट्रेचर पर भारतीय संस्कृति कोमा में पड़ी थी...

शायद उसे हार्ट अटैक पड़ गया था…!

दुसरे स्ट्रेचर पर पुरुषवाद घायल अवस्था में पड़ा था...!

उसे किसी ने सर पर गहरी चोट मारी थी…!

ये #व्यंग उस ख़ास पुरुष वर्ग के लिए है जो खुद तो अश्लील व्यंग करना पसंद करते हैँ पर जहाँ महिलाओं कि बात आती हैं वहाँ संस्कृति कि दुहाई देते फिरते हैं…!

आदर पाने के लिए आदर दीजिये 

महिलाओं का मजाक बनाना बंद कीजिए ।

   धन्यवाद

गंदे टिप्पणी वाले दूर रहे..

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

thanks for a lovly feedback

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top