***************** फैल हुइ गए **************
हम सब बधिया बैल हुइ गए।
इन्तहान में फैल हुइ गए।।
कज्ज मिलो सो बाबू खा गए।
हम कोल्हू के बैल हुइ गए।।
लरिका बण्ड बहेला फिर रये।
बे सब बिना नकेल हुइ गए।।
ना खाबे के ना पीबे के ।
. हम अण्डी के तेल हुइ गए।।
इहें पिधानी उये विधाइक ।
हम धक्कन की गैल हुइ गए।।
अच्छे दिन नेतन के आ गये।
हम तलुअन के मैल हुइ गए।।
कभऊँ भतीजो,कभऊँ बुआ जी ।
कभऊँ फूल के खेल हुइ गए।।
बालमीकि,सागर ,ठाकुर औ,
सब अहीर जण्डैल हुइ गए।।
बाँभन मरियल गैय्या भैय्या।
.अब माटी के ढेल हुइ गए।।
पढ़त लिखत लरका सब मरि गए।
. आरक्षन सों। फैल हुइ गए।।
साँच कहौ तौ आँच लगत है ।
नेता बिना नकेल हुइ गए।।
**************** प्रणव ***************
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