आरती अतिपावन पुराण की ।
धर्म – भक्ति – विज्ञान – खान की ।। टेक ।।
महापुराण भागवत निर्मल ।
शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल ।।
परमानन्द-सुधा रसमय फल ।
लीला रति रस रसिनधान की ।। आरती० ।।
कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी ।
जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी ।।
सेवत सतत सकल सुखकारिणी ।
सुमहैषधि हरि चरित गान की ।। आरती० ।।
विषय विलास विमोह विनाशिनी ।
विमल विराग विवेक विनाशिनी ।।
भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी ।
परम ज्योति परमात्मा ज्ञान को ।। आरती० ।।
परमहंस मुनि मन उल्लासिनी ।
रसिक ह्रदय रस रास विलासिनी ।।
भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी ।
कथा अकिंचन प्रिय सुजान की ।। आरती० ।।
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