चल दिगञ्चल

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 चलदिगञ्चल -परमचञ्चल -भवकुलाचलमण्डले ,

 सरदिलातल -भयविकम्पित- तरुलतादलविभ्रमे।

 सघनडम्बर - घनघटाम्बर -पूरिते - गगनाङ्गणे,

 धृतकपालक- मखिलपालक - माश्रये गिरिजापतिम्।।

 नवसुधासम - ललितवारि - विभूति -भूषितमस्तकं ,

 विषमभीषण - विपदिभासुर- शूलिनं - धृतशूलकम्।

 विमलगाङ्गतरङ्ग - सङगतिधौत - पादसरोरुहम् ,

 धृतकपालक - मखिलपालकमाश्रये गिरिजापतिम् ।।

  विविधदेव- महर्षि - मण्डल - रक्षणक्षम - सक्षमम्।

  शुचिकराङ्गुलि -मध्यरक्षित - मक्षमालकजालकम् ।।

  विपुलवैभव - दानदक्ष - मदक्षदक्ष - विदारिणम्,

  धृतकपालक. मखिलपालक माश्रये गिरिजापतिम्।।

  विमलबोध - विबोधरक्षणसक्षमं , करुणामयम् ।

  सकलरागविरागरीतिसमेधितं हसिताननम् ।।

  प्रेत भूत पिशाच राक्षस यक्ष पक्ष समीहितम् ।

  धृतकपालक मखिलपालक माश्रये गिरिजापतिम्।।

   गणपति - स्तवमंत्र -मोहितमानसं सुविलासकम् ।

   सुरजनानन- हासकं - खलु दैत्यकुल संहारकम् ।

   विकटताप. मपायकर्मविधान धारणपण्डितम् ,

   धृतकपालकमखिलपालकमाश्रये गिरिजापतिम् ।।

  सुतषडानन - ललितसुन्दरवर्ण - संस्तुतिहर्षितम्।

   द्रुहिणदेव - सुतर्षि बृहती . नाद नादित चेतसम्।।

   विमलचन्द्र कलावतंसित शेखरं श्रितनन्दिनम् .

   धृतकपालकमखिलपालकमाश्रये . गिरिजापतिम्।।

    दिनमिनञ्च - सुदक्षिणाक्षिधरं तथैव निशाकरम् ।

   विमलवाम सुनेत्रसंश्रयदायकं भवनायकयम्,।।

   तरलवह्निसुगोपनं . निजचक्षुषीह . तृतीयके ।

  धृतकपालकमखिलपालकमाश्रये गिरिजापतिम् ।।

  करतलस्थित मष्टसिद्धि समन्वितं पशुपाशकम् ।

  निखिलविश्वपतिं पुरन्दरपूजितं प्रणमाम्यहम्।।

  निजकृपामृतवारिणा मम जीवनं शिव!! रक्षय ।

   धृतकपालकमखिलपालकमाश्रये गिरिजापतिम् ।।

इतिश्रीमत्प्रणवमहाकविरचितं गिरिजापतिस्तोत्रम्


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