हरेक तीर्थ की अपनी कुंजी है !

SHARE:

 1-बहुत सी चीजें सदा..गुप्‍त रखी गयी है। तो वास्‍तविक तीर्थ छिपे हुए और गुप्‍त है। गुप्‍त रखने का या किसी से छिपाने का और कोई कारण नहीं था। ...

 1-बहुत सी चीजें सदा..गुप्‍त रखी गयी है। तो वास्‍तविक तीर्थ छिपे हुए और गुप्‍त है। गुप्‍त रखने का या किसी से छिपाने का और कोई कारण नहीं था। वास्तव में जिसको हम लाभ पहुंचाना चाहते है उनको नुकसान पहुंच जाए तो कोई अर्थ नहीं। तीर्थ जरूर है, पर वास्‍तविक तीर्थ छिपे हुए, गुप्‍त है। करीब-करीब उन्हीं तीर्थों के निकट है, जहां आपके झूठे/फाल्‍स तीर्थ खड़े हुए है। और जो फाल्‍स तीर्थ है, धोखा देने के लिए खड़े किए गए है। वह इसलिए खड़े किए गए है। ठीक जगह पर गलत आदमी न पहुंच जाए। ठीक आदमी तो ठीक जगह पहुंच ही जाता है। और हरेक तीर्थ की अपनी कुंजी है।

2-इसलिए अगर सूफियों का तीर्थ खोजना हो तो जैनियों के तीर्थ की कुंजी से नहीं खोजा जा सकता। अगर जैनियों का तीर्थ खोजना है तो सूफियों की कुंजियों से नहीं खोजा जा सकता।उदाहरण के लिए,तिब्‍बतियों के विशेष यंत्र होते है, जिसमें खास तरह की आकृतियां बनी होती है ..वे यंत्र कुंजिया है। जैसे हिंदुओं के पास भी यंत्र है। और हजार यंत्र है। आप घरों में भी शुभ लाभ बनाकर आंकडे लिखकर और यंत्र बनाते है। बिना यह जाने कि किसलिए बना रहे है।यह क्‍यों लिख रहे है , आपको खयाल भी नहीं हो सकता है कि आप अपने मकान में एक ऐसा यंत्र बनाए हुए है जो किसी तीर्थ की कुंजी हो सकती है। मगर बाप दादे आपके बनाते रहते है और आप बनाए चले जा रहे है।

 3-वास्तव में,एक विशेष आकृति पर ध्‍यान करने से आपकी चेतना विशेष आकृति लेती है। हर आकृति आपके भीतर चेतना को आकृति देती है। जैसे कि अगर आप बहुत देर तक खिड़की पर आँख लगाकर देखते रहें,फिर आँख बंद करें तो खिड़की का निगेटिव चौखटा आपकी आँख के भीतर बन जाता है—वह निगेटिव है। अगर किसी यंत्र पर आप ध्‍यान के बाद आपको भीतर निर्मित होते है। वह विशेष ध्‍यान के बाद आपको भीतर दिखायी पड़ना शुरू हो जाता है। और जब वह दिखाई पड़ना शुरू हो जाए, तब विशेष आह्वान करने से तत्‍काल आपकी यात्रा शुरू हो जाती है।

 4-जैनों का तीर्थ है...सम्मत शिखर।यह जैनों के चौबीस तीर्थकर में से बाईस तीर्थकरों का समाधि स्‍थल है । चौबीस में से बाईस तीर्थ करों ने सम्‍मेत शिखर पर शरीर विसर्जन किया है—आयोजित थी वह व्‍यवस्‍था। अन्‍यथा बिना आयोजन के एक जगह पर जाकर इतने तीर्थ करों का जीवन अंत होना आसान मामला नहीं है।उनके पहले तीर्थकर में और चौबीसवे तीर्थकर में हजारों साल का लंबे फासला है। लाखों वर्षो के फासले पर एक ही स्‍थान पर बाई तीर्थ करों का जाकर शरीर को छोडना विचारणीय है।..

 5-उदाहरण के लिए, एक सूफी फकीर की कहानी है।उसका गधा खो गया जो उसकी संपति है।सारे गांव के लोग खोज-खोजकर परेशान हो गए, कहीं कोई पता नहीं चला। फिर लोगों ने कहा ''ऐसा मालूम होता है कि तीर्थ का महीना है,किसी तीर्थ यात्रियों के साथ निकल गया है, गांव में तो नहीं है।अब तुम समझो की खो गया,अब वह नहीं मिलेगा।फकीर ने कहा कि मैं आखिरी अपाय और कर लू। वह खड़ा हो गया, उसने आँख बंद कर ली।

 6-थोड़ी देर में वह झुक क्या चारों हाथ-पैर से, और उसने चलना शुरू कर दिया। और वह उस मकान का चक्‍कर लगाकर, और उस बग़ीचे का चक्‍कर लगाकर उस जगह पहुंच गया जहां एक खड्डे में उसका गधा गिर पडा था। लोगों ने कहा, यह क्‍या तरकीब है। उसने कहा कि मैंने सोचा जब आदमी नहीं खोज सका, तो मतलब यह है कि गधे की कुंजी आदमी के पास नहीं है।इसलिये मैं गधा बन जाऊँ। तो मैंने अपने मन में सिर्फ यह भावना की कि मैं गधा हो गया। अगर मैं गधा होता तो गधे को खोजने कहां जाता। फिर कब मेरे हाथ झुककर जमीन पर लग गए, और कब मैं गधे की तरह चलने लगा। मुझे पता ही नहीं चला। कैसे मैं चलकर वहां पहुंच गया,वह मुझे पता नहीं। ।जब मैंने आँख खोली तो मैंने देखा, मेरा गधा खड्डे में पडा हुआ है।

  7-एक सूफी फकीर की यह कहानी तो कोई भी पढ़ लेगा और मजाक समझकर छोड़ देगा। लेकिन इस छोटी सी कहानी में खोजने का एक ढंग वह भी है। और आत्‍मिक अर्थों में तो ढंग वही है। तो प्रत्‍येक तीर्थ की कुंजियां है। यंत्र है। और तीर्थों का पहला प्रयोजन तो यह है कि आपको उस आविष्‍ठधारा में खड़ा कर दें जहां धारा वह रही हो और आप उसमें बहजाएं..।लेकिन दो रास्‍ते हो सकते है।पहला.. आदमी अपनी मेहनत करे और नाव को गति देने के किसी लट्ठे या चप्पू की सहायता से चलाये ।पर तब शायद कभी करोड़ो में एक आदमी उपलब्‍ध हो पाएगा।और दूसरा.. नाव को गति देने के प्रमुख साधन पाल (sail)का इस्तेमाल करे ।

8-हवाओं का सहारा लेकर यात्रा बड़ी आसान होती है। लेकिन तो क्‍या अध्यात्मिक हवाएँ संभव है।वास्तव में,यह संभव है कि जब महावीर जैसा एक व्‍यक्‍ति खड़ा होता है तो उसके आप-पास किसी अनजाने आयाम में कोई प्रवाह शुरू होता है।यह एक ऐसी दिशा में बहाव को निर्मित करता है कि बहाव में कोई पड़ जाए तो बह जाए, वही बहाव तीर्थ है।उस पर ही तीर्थ का सब कुछ निर्भर है।इस पृथ्‍वी पर तो उसके जो निशान है वह भौतिक निशान है, लेकिन वे स्‍थान न खो जाए इसलिए उन भौतिक निशानों की बड़ी सुरक्षा की गयी है। उन जगहों पर,मंदिर बनाए गए है या पैरों के चिन्‍ह बनाए गए है ।उन जगहों पर यह मूर्तियां खड़ी की गई है और उन जगह को हजारों वर्षो तक वैसा का वैसा रखने की चेष्टा की गयी है। इंच भर भी वह जगह न हिल जाए, जहां घटना घटी है ।कभी बड़े-बड़े खज़ाने गडाए गए है आज भी उनकी खोज चलती है।

 9-जैसे की रूस के आखिरी जार का खजाना अमरीका में कहीं गड़ा है। जो कि पृथ्‍वी का सबसे बड़ा खजाना है, और आज भी खोज चलती है। वह खजाना है, यह पक्‍का है, क्‍योंकि बहुत दिन नहीं हुए.....अभी उन्‍नीस सौ सत्रह को घटे बहुत दिन नहीं हुए। उसका इंच-इंच हिसाब भी रखा गया है कि यह कहां होगा। लेकिन डिकोड नहीं हो पा रहा है। वह जो हिसाब रखा गया है उसको समझा नहीं जा पा रहा है कि एक्‍जैक्‍ट जगह कहां है।इस तरह से सब नक्‍शे गुप्‍त भाषा में ही निर्मित किए जाते हे। अन्‍यथा कोई भी डिकोड कर लेगा।वे समान्य भाषा में नहीं लिखे जाते है।

10- आम लोग गड़बड़ न कर पाएँ इसलिए इन तीर्थों के भी बड़े उपाय किए जाते है। आपको बहुत हैरानी होगी कि जहां आप जाते है और आपसे कहा जाता है कि यह जगह है जहां महावीर निर्वाण को उपलब्‍ध हुए—बहुत संभावना तो यह है कि वह जगह नहीं होंगी। उससे थोड़ी हटकर वह जगह होगी ..जहां उनका निर्वाण हुआ। उस जगह पर तो प्रवेश उनको ही मिल सकेगा, जो सच में ही पात्र है और उस यात्रा पर निकल सकते है। एक फाल्‍स जगह, एक झूठी जगह आम आदमी से बचाने की लिए खड़ी की जाएगी। जिसपर तीर्थयात्री जाता रहेगा। नमस्‍कार करता रहेगा और लौटता रहेगा। वह जगह तो उनको ही बतायी जाएगी जो सचमुच उस जगह आ गए है।जहां से वह सहायता लेने के योग्‍य है या उनको सहायता मिलनी चाहिए। ऐसी बहुत सी जगह है।

 11-उदाहरण के लिए,अरब में एक गांव है जिसमें आज तक किसी सभ्‍य आदमी को प्रवेश नहीं मिल सका । चाँद पर आप प्रवेश कर गए लेकिन छोटे से गांव अल्‍कुफा में आज तक किसी यात्री को प्रवेश नहीं मिल सका। सच तो यह है कि आज तक यह ही नहीं ठीक हो सका कि वह कहां है। और वह गांव है ..इसमें कोई शक नहीं, क्‍योंकि हजारों साल से इतिहास उसकी खबर देता है। किताबें उसकी खबर देती है। उसके नक्‍शे है।वह गांव कुछ प्रयोजन से छिपाकर रखा गया है। और सूफियों में जब कोई बहुत गहरी अवस्‍था में होता है तभी उसको उस गांव में प्रवेश मिलता है।उसकी सीक्रेट कुंजी है। अल्‍कुफा के गांव में उसी सूफी को प्रवेश मिलता है जो ध्‍यान में उसका रास्‍ता खोज लेता है ..अन्‍यथा नहीं। उसकी कुंजी है तो फिर उसे कोई रोक भी नहीं सकता। अन्‍यथा कोई उपाय नहीं है। नक्‍शे है, सब तैयार है, लेकिन फिर भी उसका पता नहीं लगता कि वह कहां है।एक अर्थ में वह सब नक्‍शे थोड़े से झूठ है और भटकाने के लिए है। उन नक़्शों को जो मानकर चलेगा वह अल्‍कुफा कभी नहीं पहुंच पाएगा।

 12-इसलिए पिछले तीन सौ वर्षों में यूरोप के बहुत यात्री अल्‍कुफा को ढूंढने गए है। उनमें से कुछ तो कभी नहीं लौटें.. मर गये । जो लौटे वे कभी कहीं पहुंचे ही नहीं। वे सिर्फ चक्‍कर मारकर वापस आ गए। सब तरह से कोशिश की जा चुकी है। पर उसकी कुंजी है। और वह कुंजी एक विशेष ध्‍यान है; और उस विशेष ध्‍यान में ही अल्‍कुफा पूरा का पूरा प्रगट होता है। और वह सूफी उठता है और चल पड़ता है। और जब इतनी योग्‍यता हो तभी उस गांव से गति है। वह एक सीक्रेट तीर्थ है जो इसलाम से बहुत पुराना है। लेकिन उसको गुप्‍त रखा गया है। इन तीर्थों में भी जो जाहिर दिखाई पड़ते है, वे असली तीर्थ नहीं है।आस पास असली तीर्थ है। 

 13-अभी जो विश्वनाथ का मंदिर खड़ा हुआ है, इसको तो नष्‍ट किया जा चुका है। इसमें कोई उपाय नहीं है। इसमें कोई कठिनाई नहीं है चाहे नष्‍ट कर दो।सच बात यह है कि विश्वनाथ का मंदिर भी असली नहीं है। और वह जो दूसरा बनाएँगे वह भी असली नहीं होगा। असली मंदिर तो तीसरा है। लेकिन उसकी जानकारी सीधी नहीं दी जा सकती। और असली मंदिर को छिपाकर रखना पड़ेगा, नहीं तो कभी भी कोई भी धर्म सुधारक उसको भ्रष्‍ट कर सकता है।वह जो दूसरा बनाया जा रहा है वह भी फाल्‍स है। लेकिन एक फाल्स बनाए ही रखना पड़ेगा, ताकि असली पर नजर न जाए। और असली को छिपाकर रखना पड़ेगा।

14-विश्वनाथ के मंदिर में प्रवेश की कुंजियों है, जैसे अल्‍कुफा में प्रवेश की कुंजियों है। उसमें कभी कोई सौभाग्‍यशाली संन्‍यासी प्रवेश पाता है। उसमें कोई ग्रहस्थ कभी प्रवेश नहीं पाया और कभी पा नहीं सकता। सभी संन्‍यासी को भी उसमें प्रवेश नहीं मिल पाते है ;कभी कोई सौभाग्‍यशाली संन्‍यासी उसमें प्रवेश पाते है। और उसे सब भांति छिपाकर रखा जाएगा। उसके मंत्र है और जिनके प्रयोग से उसका द्वार खोलेगा, नहीं तो उसका द्वार नहीं खुलेगा। उसका बोध ही नहीं होगा,उसका ख्‍याल ही नहीं आएगा।काशी में जाकर इस मंदिर की लोग पूजा, प्रार्थना करके वापस लौट आएंगे। मगर इस मंदिर की भी अपनी एक पवित्रता बन गयी है । यह झूठा था, लेकिन फिर भी लाखों वर्षों से उसको सच्‍चा मानकर चला जा रहा था। तो उसमें भी एक तरह की पवित्रता आ गयी।

 15-सारे धर्मों ने कोशिश की है कि उनके मंदिर में या उनके तीर्थ में दूसरे धर्म का व्‍यक्‍ति प्रवेश न करे। आज हमें बेहूदगी लगती है.. यह बात। हम कहेंगे इससे क्‍या मतलब है। लेकिन जिन्‍होंने व्‍यवस्‍था की थी उनके कुछ कारण थे। यह करीब-करीब मामला ऐसा ही है जैसे कि ऐटमिक एनर्जी की एक लेबोरेटरी है और अगर यह लिखा हो कि यहां सिवाय ऐटमिक साइंटिस्‍ट के कोई प्रवेश नहीं करेगा। तो हमें कोई कठिनाई नहीं होगी। हम कहेंगे, बिलकुल दुरुस्त है।क्योंकि दूसरे आदमी का भीतर प्रवेश करना..खतरे से खाली नहीं है।लेकिन यही बात हम मंदिर और तीर्थ के संबंध में मानने को राज़ी नहीं है। क्‍योंकि हमें यह ख्‍याल ही नहीं है कि मंदिर और तीर्थ की अपनी साइंस है। और वह विशेष लोगों के प्रवेश के लिए है।

16-उदाहरण के लिए एक मरीज बीमार पडा है और उसके चारों तरफ डाक्‍टर खड़े होकर बात करते रहते है। मरीज सुनता है, समझ तो कुछ नहीं आता। क्‍योंकि वह किसी खास कोड लेंग्‍वेज में बात करते है। वह लैटिन या ग्रीक शब्‍दों को उपयोग कर रहे है। यह मरीज के हित में नही है कि उस समझे। इसलिए सारे धर्मों ने अपनी कोड लेंग्‍वेज विकसित की थी।उसके गुप्‍त तीर्थ थे, उसकी गुप्‍त भाषाएँ थीं। उसके गुप्‍त शास्‍त्र थे।और आज भी जिनको हम तीर्थ समझ रहे है ;उनमें बहुत कम संभावना है सही होने की। जिनको हम शास्‍त्र समझ रहे है ;उनमें भी बहुत कम संभावना है सही होने की।

17-जो सीक्रेट ट्रैडीशन है, उसे तो छिपाने की निरंतर कोशिश की जाती रही है। क्‍योंकि जैसे ही वह आम आदमी के हाथ में पड़ती है, उसके विकृत हो जाने का डर है। और आम आदमी उससे परेशान ही होगा, लाभ नहीं उठा सकता। जैसे अगर सूफियों के गांव अल्‍कुफा में अचानक आपको प्रवेश करवा दिया जाए तो पागल हो जाएंगे। अल्‍कुफा की यह परंपरा है कि वहां अगर कोई आदमी आकस्‍मिक प्रवेश कर जाए तो पागल होकर लौटेगा..वह लौटेगा ही, इसमें किसी का कोई कसूर नहीं है ।क्‍योंकि अल्‍कुफा इस तरह की पूरी के पूरे

मनस तरंगों से निर्मित है कि आपका मन उसको झेल नहीं पाएगा। आप विक्षिप्‍त हो जाएंगे। उतनी सामथ्‍र्य और पात्रता के बिना उचित नहीं है कि वहां प्रवेश हो। जैसे अल्‍कुफा के बाबत कुछ बातें ख्‍याल में ले लें तो और तीर्थों का भी ख्‍याल में आ जाएगा।

  18-जैसे अल्‍कुफा में नींद असंभव है, कोई आदमी सो नहीं सकता। तो आप पागल हो ही जाएंगे जब तक कि आपने जागरण का गहन प्रयोग न किया हो। इसलिए सूफी फकीर की सबसे बड़ी जो साधना है वह रात्रि जागरण है, रातभर जागते रहेंगे।एक बहुत सोचने जैसी बात है ..एक आदमी नब्‍बे दिन तक खाना न खाए तो भी सिर्फ दुर्बल होगा, मर नहीं जाएगा,परन्तु पागल नहीं हो जाएगा। साधारण स्‍वस्‍थ आदमी आसानी से नब्‍बे दिन, 

  बिना खाए रह सकता है। लेकिन साधारण स्‍वस्‍थ आदमी इक्‍कीस दिन भी बिना सोए नहीं रह सकता। तीन महीने बिना खाए रह सकता है परन्तु तीन सप्‍ताह बिना सोए नहीं रह सकता। तीन सप्‍ताह तो बहुत ज्‍यादा है , एक सप्‍ताह भी बिना सोए रहना कठिन मामला है। पर अल्‍कुफा में नींद असंभव है।

COMMENTS

BLOGGER
block1/संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ
https://gmail.us21.list-manage.com/subscribe?u=53d25bd67a9aa4979dc182652&id=8aa2dc5997
नाम

अध्यात्म,200,अनुसन्धान,19,अन्तर्राष्ट्रीय दिवस,2,अभिज्ञान-शाकुन्तलम्,5,अष्टाध्यायी,1,आओ भागवत सीखें,15,आज का समाचार,13,आधुनिक विज्ञान,19,आधुनिक समाज,146,आयुर्वेद,45,आरती,8,उत्तररामचरितम्,35,उपनिषद्,5,उपन्यासकार,1,ऋग्वेद,16,ऐतिहासिक कहानियां,4,ऐतिहासिक घटनाएं,13,कथा,6,कबीर दास के दोहे,1,करवा चौथ,1,कर्मकाण्ड,119,कादंबरी श्लोक वाचन,1,कादम्बरी,2,काव्य प्रकाश,1,काव्यशास्त्र,32,किरातार्जुनीयम्,3,कृष्ण लीला,2,क्रिसमस डेः इतिहास और परम्परा,9,गजेन्द्र मोक्ष,1,गीता रहस्य,1,ग्रन्थ संग्रह,1,चाणक्य नीति,1,चार्वाक दर्शन,3,चालीसा,6,जन्मदिन,1,जन्मदिन गीत,1,जीमूतवाहन,1,जैन दर्शन,3,जोक,6,जोक्स संग्रह,5,ज्योतिष,49,तन्त्र साधना,2,दर्शन,35,देवी देवताओं के सहस्रनाम,1,देवी रहस्य,1,धर्मान्तरण,5,धार्मिक स्थल,48,नवग्रह शान्ति,3,नीतिशतक,27,नीतिशतक के श्लोक हिन्दी अनुवाद सहित,7,नीतिशतक संस्कृत पाठ,7,न्याय दर्शन,18,परमहंस वन्दना,3,परमहंस स्वामी,2,पारिभाषिक शब्दावली,1,पाश्चात्य विद्वान,1,पुराण,1,पूजन सामग्री,7,पौराणिक कथाएँ,64,प्रश्नोत्तरी,28,प्राचीन भारतीय विद्वान्,99,बर्थडे विशेज,5,बाणभट्ट,1,बौद्ध दर्शन,1,भगवान के अवतार,4,भजन कीर्तन,38,भर्तृहरि,18,भविष्य में होने वाले परिवर्तन,11,भागवत,1,भागवत : गहन अनुसंधान,27,भागवत अष्टम स्कन्ध,28,भागवत एकादश स्कन्ध,31,भागवत कथा,118,भागवत कथा में गाए जाने वाले गीत और भजन,7,भागवत की स्तुतियाँ,3,भागवत के पांच प्रमुख गीत,2,भागवत के श्लोकों का छन्दों में रूपांतरण,1,भागवत चतुर्थ स्कन्ध,31,भागवत तृतीय स्कन्ध,33,भागवत दशम स्कन्ध,90,भागवत द्वादश स्कन्ध,13,भागवत द्वितीय स्कन्ध,10,भागवत नवम स्कन्ध,25,भागवत पञ्चम स्कन्ध,26,भागवत पाठ,58,भागवत प्रथम स्कन्ध,21,भागवत महात्म्य,3,भागवत माहात्म्य,12,भागवत मूल श्लोक वाचन,55,भागवत रहस्य,53,भागवत श्लोक,7,भागवत षष्टम स्कन्ध,19,भागवत सप्तम स्कन्ध,15,भागवत साप्ताहिक कथा,9,भागवत सार,33,भारतीय अर्थव्यवस्था,4,भारतीय इतिहास,20,भारतीय दर्शन,4,भारतीय देवी-देवता,6,भारतीय नारियां,2,भारतीय पर्व,40,भारतीय योग,3,भारतीय विज्ञान,35,भारतीय वैज्ञानिक,2,भारतीय संगीत,2,भारतीय संविधान,1,भारतीय सम्राट,1,भाषा विज्ञान,15,मनोविज्ञान,1,मन्त्र-पाठ,7,महापुरुष,43,महाभारत रहस्य,33,मार्कण्डेय पुराण,1,मुक्तक काव्य,19,यजुर्वेद,3,युगल गीत,1,योग दर्शन,1,रघुवंश-महाकाव्यम्,5,राघवयादवीयम्,1,रामचरितमानस,4,रामचरितमानस की विशिष्ट चौपाइयों का विश्लेषण,124,रामायण के चित्र,19,रामायण रहस्य,65,राष्ट्रीयगीत,1,रुद्राभिषेक,1,रोचक कहानियाँ,150,लघुकथा,38,लेख,168,वास्तु शास्त्र,14,वीरसावरकर,1,वेद,3,वेदान्त दर्शन,10,वैदिक कथाएँ,38,वैदिक गणित,1,वैदिक विज्ञान,2,वैदिक संवाद,23,वैदिक संस्कृति,32,वैशेषिक दर्शन,13,वैश्विक पर्व,9,व्रत एवं उपवास,35,शायरी संग्रह,3,शिक्षाप्रद कहानियाँ,119,शिव रहस्य,1,शिव रहस्य.,5,शिवमहापुराण,14,शिशुपालवधम्,2,शुभकामना संदेश,7,श्राद्ध,1,श्रीमद्भगवद्गीता,23,श्रीमद्भागवत महापुराण,17,संस्कृत,10,संस्कृत गीतानि,36,संस्कृत बोलना सीखें,13,संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ,6,संस्कृत व्याकरण,26,संस्कृत साहित्य,13,संस्कृत: एक वैज्ञानिक भाषा,1,संस्कृत:वर्तमान और भविष्य,6,संस्कृतलेखः,2,सनातन धर्म,2,सरकारी नौकरी,1,सरस्वती वन्दना,1,सांख्य दर्शन,6,साहित्यदर्पण,23,सुभाषितानि,8,सुविचार,5,सूरज कृष्ण शास्त्री,455,सूरदास,1,स्तोत्र पाठ,59,स्वास्थ्य और देखभाल,1,हँसना मना है,6,हमारी संस्कृति,93,हिन्दी रचना,32,हिन्दी साहित्य,5,हिन्दू तीर्थ,3,हिन्दू धर्म,2,about us,2,Best Gazzal,1,bhagwat darshan,3,bhagwatdarshan,2,birthday song,1,computer,37,Computer Science,38,contact us,1,darshan,17,Download,3,General Knowledge,29,Learn Sanskrit,3,medical Science,1,Motivational speach,1,poojan samagri,4,Privacy policy,1,psychology,1,Research techniques,38,solved question paper,3,sooraj krishna shastri,6,Sooraj krishna Shastri's Videos,60,
ltr
item
भागवत दर्शन: हरेक तीर्थ की अपनी कुंजी है !
हरेक तीर्थ की अपनी कुंजी है !
भागवत दर्शन
https://www.bhagwatdarshan.com/2024/02/blog-post_30.html
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/2024/02/blog-post_30.html
true
1742123354984581855
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content