इस शरीर की महानता प्रभु भक्ति में है। धन का बड़प्पन दूसरों को देने में है। ज्ञानी की उपयोगिता दूसरों के उपकार में है। इस जीवन की सार्थकता इ...
इस शरीर की महानता प्रभु भक्ति में है। धन का बड़प्पन दूसरों को देने में है। ज्ञानी की उपयोगिता दूसरों के उपकार में है। इस जीवन की सार्थकता इसी में है।
एक कारोबारी सेठ सुबह सुबह जल्दबाजी में घर से बाहर निकल कर ऑफिस जाने के लिए कार का दरवाजा खोल कर जैसे ही बैठने जाता है।
उसका पाँव गाड़ी के नीचे बैठे कुत्ते की पूँछ पर पड़ जाता है।
दर्द से बिलबिलाकर अचानक हुए इस वार को घात समझ वह कुत्ता उसे जोर से काट खाता है।
गुस्से में आकर सेठ आसपास पड़े 10-12 पत्थर कुत्ते की ओर फेंक मारता है पर भाग्य से एक भी पत्थर उसे नहीं लगता है और वह कुत्ता भाग जाता है।
जैसे तैसे सेठजी अपना इलाज करवाकर ऑफिस पहुँचते हैं जहां उन्होंने अपने मातहत मैनेजर्स की बैठक बुलाई होती है। यहाँ अनचाहे ही कुत्ते पर आया उनका सारा गुस्सा उन बिचारे प्रबन्धकों पर उतर जाता है। वे प्रबन्धक भी मीटिंग से बाहर आते ही एक दूसरे पर भड़क जाते हैं -
बॉस ने बगैर किसी वाजिब कारण के डांट जो दिया था।
अब दिन भर वे लोग ऑफिस में अपने नीचे काम करने वालों पर अपनी खीज निकालते हैं –
ऐसे करते करते आखिरकार सभी का गुस्सा अंत में ऑफिस के चपरासी पर निकलता है जो मन ही मन बड़बड़ाते हुए भुनभुनाते हुए घर चला जाता है। घंटी की आवाज़ सुन कर उसकी पत्नी दरवाजा खोलती है और हमेशा की तरह पूछती है “आज फिर देर हो गई आने में...”
वो लगभग चीखते हुए कहता है “मै क्या ऑफिस कंचे खेलने जाता हूँ ? काम करता हूँ, दिमाग मत खराब करो मेरा,
पहले से ही पका हुआ हूँ, चलो खाना परोसो”
अब गुस्सा होने की बारी पत्नी की थी, रसोई मे काम करते वक़्त बीच बीच में आने पर वह पति का गुस्सा अपने बच्चे पर उतारते हुए उसे जमा के तीन चार थप्पड़ रसीद कर देती है। अब बिचारा बच्चा जाए तो जाये कहाँ, घर का ऐसा बिगड़ा माहौल देख, बिना कारण अपनी माँ की मार खाकर वह रोते रोते बाहर का रुख करता है, एक पत्थर उठाता है और सामने जा रहे कुत्ते को पूरी ताकत से दे मारता है। कुत्ता फिर बिलबिलाता है.....।
दोस्तों ये वही सुबह वाला कुत्ता था । अरे भई उसको उसके काटे के बदले ये पत्थर तो पड़ना ही था l केवल समय का फेर था और सेठ जी की जगह इस बच्चे से पड़ना था ।
उसका कार्मिक चक्र तो पूरा होना ही था ना ! इसलिए मित्र यदि कोई आपको काट खाये, चोट पहुंचाए और आप उसका कुछ ना कर पाएँ, तो निश्चिंत रहें, उसे चोट तो लग के ही रहेगी, बिलकुल लगेगी, जो आपको चोट पहुंचाएगा, उस का तो चोटिल होना निश्चित ही है, कब होगा, किसके हाथों होगा, ये केवल ऊपरवाला जानता है पर होगा ज़रूर, ये तो सृष्टी का नियम है ।
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