जीवन में शिक्षक का स्थान कहाँ है ?

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 1994, भारतीय राष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा जी अधिकारिक यात्रा पर मसकद का दौरा कर रहे थे। और जब एयर इंडिया का विमान ओमान में उतरा तो तीन दिलचस्प घटनाएँ हुई।

 पहली ओमान के सुल्तान कभी भी किसी भी देश के गणमान्य व्यक्ति को हवाई अड्डे पर रिसीव करने नहीं जाते, लेकिन उस दिन ओमान के सुल्तान राष्ट्रपति को रिसीव करने के लिए हवाई अड्डे पर आते हैं।

दूसरा जब फ्लाइट उतरी तो राष्ट्रपति जहाज की सीढ़ियों से नहीं उतरे बल्कि ओमान के सुल्तान राष्ट्रपति को उनकी सीट से रिसीव करने के लिए सीढ़ियाँ चढ़कर जहाज में गए। यह भी ओमान के इतिहास में पहली बार हुआ था। 

तीसरा जहाज से उतरने के बाद शॉफर खड़े रहते हैं। जिन्हें हम ड्राइवर कहते हैं। एक कार थी, लेकिन ओमान के सुल्तान ने मुख्य चालक को दूर होने के लिए इशारा किया। और ओमान के सुल्तान ने स्वयं उस कार को चलाया जिसमें राष्ट्रपति बैठे थे। 

बाद में जब संवाददाताओं ने सुल्तान से सवाल किया कि, "उन्होंने इतने सारे प्रोटोकॉल्स क्यों तोड़े?"

उनके सवाल सुनकर ओमान के सुल्तान ने जवाब दिया कि "मैं श्री शंकर दयाल शर्मा को रिसीव करने के लिए हवाई अड्डे पर इसलिए नहीं गया कि वे भारत के राष्ट्रपति थे बल्कि वे मेरे शिक्षक थे! मैंने भारत में अध्ययन किया और उनसे कई चीजें सीखी।

जब मैं पुणे में पढ़ रहा था, तब श्री शर्मा मेरे प्रोफ़ेसर थे। और यही कारण है कि मैंने ऐसा किया।"

दोस्तों, यही शिक्षक होने की सबसे बड़ी शक्ति है। शिक्षक होना अपने आप में सबसे गौरवपूर्ण माना जाता है।

 "यदि मानव जाति आज इस ग्रह पर विकास और शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अग्रणी है, तो इसका श्रेय गुरु-शिष्य परम्परा, ज्ञान और कौशल, प्रेम और करुणा के प्रसार, प्राण की ऊर्जा और आनंद के इस तंत्र को जाता है।"

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