ककड़ी तो बहुत कड़वी थी, भला तुम ऐसे कैसे खा गये ?

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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kakadi
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  एक बार एक अमीर सेठ के यहाँ एक नौकर काम करता था । अमीर सेठ अपने नौकर से तो बहुत खुश था । लेकिन जब भी कोई कटु अनुभव होता तो वह ईश्वर को बहुत गालियाँ देता था ।

एक दिन वह अमीर सेठ ककड़ी खा रहा था । संयोग से वह ककड़ी कच्ची और कड़वी थी । सेठ ने वह ककड़ी अपने नौकर को दे दी । नौकर ने उसे बड़े चाव से खाया जैसे वह बहुत स्वादिष्ट हो ।

अमीर सेठ ने पूछा – “ ककड़ी तो बहुत कड़वी थी । भला तुम ऐसे कैसे खा गये ?”

नौकर बोला – “ आप मेरे मालिक है । रोज ही स्वादिष्ट भोजन देते है । अगर एक दिन कुछ कड़वा भी दे दिए तो उसे स्वीकार करने में क्या हर्ज है ।

अमीर सेठ अपनी भूल समझ गया । अगर ईश्वर ने इतनी सुख – सम्पदाएँ दी है, और कभी कोई कटु अनुदान दे भी दे तो उसकी सद्भावना पर संदेह करना ठीक नहीं ।

वह नौकर और कोई नहीं । प्रसिद्ध चिकित्सक हकीम लुकमान थे ।

असल में यदि हम समझ सके तो जीवन में जो कुछ भी होता है, सब ईश्वर की दया ही है । ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है ।

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