श्री जगन्नाथ बाबा और लाड़ली किशोरी जी की सुन्दर कथा,
एक बार बरसाने और आस पास के गांव में अकाल पड़ गया और लोगों को खाने पीने कि चीजों की दिक्कत होने लगी चारों और त्राहि-त्राहि सी मचने लगी,,,
बरसाने में जितने भी साधु-संत रहते थे उन्हें बरसाने और आस पास के गांव से भिक्षा भी मिलना बन्द हो गई,,,
एक तेजस्वी सन्त जगन्नाथ जी राधा जी लाडली के भक्त थे वो भी बरसाने में भिक्षा मांगते थे लेकिन अकाल पड़ने के कारण उन्हें भी भिक्षा मिलना बन्द हो गई,,,,
वो भी विवश होकर कुटिया में जितनी भी खाने की सामग्री थी उससे ही राधा जी का भोग लगाते और खुद भोजन करते ऐसे करते करते कुछ दिन तो बीत गए लेकिन अंत में एसी परिस्थिति हों गयी न तो कुटिया में खाने को कुछ रहा न तो कहीं भिक्षा मिल रही थी ,,,
और उन्होंने ने बरसाना छोड़ने का मन बना लिया और अपना समान उठाया चल दिए नेत्रों से अश्रु बहाते हुए मन ही मन लाडली जी से कहने लगे मुझे माफ़ कर देना लाड़ली अब मुझसे सहन नहीं होता,,,
ये देख लाडली जी एक सुन्दर ब्रजवाला के रूप में प्रकट हुई और सन्त जगन्नाथ जी से आकर बोली कहां जा रहे हों बाबा,,,,
सन्त ने कहा,, कहीं दूर जाकर रहुंगा बेटी यहां तो भिक्षा का भी अकाल पड़ गया लेकिन निपूता पेंट तो मानता नहीं
ब्रजवाला ने कहा,, बाबा हमारे घर क्यों नहीं आते भिक्षा लेने आपके लिए हर रोज़ भिक्षा निकाल कर रखतीं हैं मेरी मईया
बाबा ने कहा,, मुझे क्या पता तेरा घर कहा है बेटी
ब्रजवाला ने कहा,, मैं बरसाने के वैद्य श्रीधर की बेटी हूं और मेरा नाम राधा है अब आप जाइए और मेरी मईया से कहना जो आले में भोजन रखा है वो मुझे भिक्षा में दे दे,,,
सन्त ने कुटिया में समान रखा और बरसाने को चल दिए और बाबा ने वैद्य श्रीधर के घर भिक्षा के लिए आवाज लगाई और वैद्य निकल कर आए,,,
बोले बाबा आज तो भिक्षा में कुछ भी नहीं है। तो बाबा ने उसकी बेटी राधा का जिक्र किया और बोले आलै में भोजन रखा है,,,
वैद्य आश्चर्य में पड़ गए कि हमारी बेटी राधा को मरे तो कई साल बीत गए और बैद्य ने आकर आलै में देखा तो अनेक प्रकार के भोजन रखें थे
बैद्य आश्चचकित रहे गये और पत्नी बोलीं मेने तो कभी आलै में भोजन रखा ही नहीं फिर इतना भोजन कहां से आया बैद्य सारी बातें समझ गए..
ये कृपा राधा लाडली की है और बैद्य ने भोजन बाबा जी को दिया और बोलें बाबा जी आप रोज़ हमारे यहां से भिक्षा ले जाया करो
श्री जगन्नाथ बाबा को श्री लाड़ली किशोरी जी ने बरसाने से जाने नहीं दिया ,,,
ऐसी है हमारी श्री लाड़ली किशोरी जी कभी भी किसी भक्त को दुःख में देख नहीं सकती अपनी कृपा हर वक्त करती रहती है..!
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