'अद्यः' वाली ऋचा में एक इतिहास वर्णित है किसी कन्या ने इन्द्र को स्त्री लिंङग से युक्त कहकर संबोधित किया है, क्योंकि इन्द्र ने अपने युवा काम के कारण व्यंस की ज्येष्ठ बहन उस दानव कन्या के साथ प्रेम किया था । 'अग्निना" अश्विनों को संबोधित सूक्त है। इसके पश्चात् इन्द्र को संबोधित दो सूक्त आते हैं।
तत्पश्चात् आने वाला सूक्त इन्द्र एवं अग्नि को संबोधित है । पुनः एक सूक्त अग्नि एवं इन्द्र को संबोधित है। किन्तु वरुण के सूक्त की "आ वाम्" से आरम्भ अंतिम तीन ऋचाएं अश्विनों को संबोधित है "इमे और सम्" यह दो सूक्त अग्नि को संबोधित है। इसके बाद के दो सूक्त इन्द्र को संबोधित हैं।
कानीत् पृथुश्रुवस् द्वारा वश अश्व्य को जो कुछ दान में दिया गया था । इसकी "आस्" से आरम्भ ऋचाओ द्वारा स्तुति की गयी हैं। "आ नाः" से आरम्भ प्रगाथ ऋचाएं तथा इस सूक्त की अंति ऋचा के पूर्व की एक ऋचा भी वायु को संबोधित है।
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