अथर्ववेद का चिकित्साशास्त्र : एक अध्ययन
Atharvveda's medical science |
विश्राम और गाढनिद्रा(Rest and deep sleep )
उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घ आयु की प्राप्ति के लिये काम के साथ विश्राम और गाढ़ निद्रा भी अत्यन्त आवश्यक है। परमेश्वर ने काम के लिये दिन और विश्राम के लिये रात्रि का निर्माण किया है। एक मन्त्र में कहा है कि जगत् में जो भी जङ्गम और प्राणवान् है, वह रात्रि में विश्राम करता है (विश्वम् अस्यां नि विशते यद् एजति अ. १९.४७.२) । एक अन्य मन्त्र में कहा है- हे रात्रि! तुझमें हम वास करते है. इसमें हम निद्रा अर्थात् विश्राम करते हैं तू उस समय जागती रहती है और हमारी रक्षा करती रहती है(त्वयि रात्रि वसामसि स्वपिष्यामसि जागृहि । १९.४७.९) । एक अन्य मन्त्र में कामना की गई है - हे रात्रि माता! तू हमें उषा को सौंप दे, उषा हमें दिन को सौंप दे और दिन हमें पुनः तुझे सौंप दे(रात्रि मातर् उषसे नः परि देहि । उषा नो अहे परि ददात्वहस् तुभ्यं विभावरि ।। अ. १९.४८.२) । भाव यह है कि तुझ रात्रि में हम विश्राम करें। तत्पश्चात् उषाकाल में हम ध्यान, चिन्तन-मनन, प्रभुभजन और यज्ञहवन करें। दिन में श्रम से कर्म करें और इस प्रकार थके हुए हम रात्रि में पुनः गहरी नींद में विश्राम करें। भला स्वस्थ और सुखी जीवन एवं दीर्घ आयु प्राप्त करने का इससे बढ़कर और उपाय कौन सा हो सकता है।
Very beautiful post
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