विजयदशमी/दशहरा पर्व पर सीखने योग्य 10 बातें

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
0

 

Dashahra/Vijay Dashmi Thought
Dashahra/Vijay Dashmi Thought

विजयदशमी/दशहरा पर्व पर सीखने योग्य 10 बातें (10 things to learn on Vijayadashami/Dushahra festival) 

१. कुशल रणनीति(efficient strategy) 

२. धैर्य रखें(Be Patience) 

३. गलती सुधारें(correct the mistake) 

४. गोपनीयता(confidentiality) 

५. किसी को कम न समझें(don't underestimate anyone) 

६. कुशल नेतृत्व(efficient leadership) 

७. भय बिनु होय न प्रीति( No love without fear) 

८. सीमा रेखा(threshold limit) 

९. तात्कालिक बुद्धि(immediate intelligence) 

१०. स्वाभिमान(Self respect) 

आइये विस्तार से समझते हैं —

१. कुशल रणनीति(efficient strategy) 

   राम जी की कुशल रणनीति का ही प्रभाव था जो की राम जी ने रावण पर विजय प्राप्त की । कुशल रणनीति का ही प्रभाव था की राम जी ने विभीषण को अपने साथ लेकर के रावण पर आक्रमण किया। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए प्लान बी को तैयार रखना आवश्यक होता है। राम जी ने रावण का वध करने के लिए प्लान ए के तहत बाणों की बरसात की। सर कट रहे थे परंतु रावण मर नहीं रहा था । विभीषण के माध्यम से पता चला कि उसकी नाभि में अमृत कुंड है। जब तक वह नहीं सुखेगा जब तक अमृत खत्म नहीं होगा तथा तब तक रावण का वध संभव नहीं है। यह जान करके राम जी ने प्लान बी के तहत रावण की नाभि में बाण मारा और रावण का अंत हो गया। अतः हमको सीखना चाहिए की प्लान ए के साथ प्लान बी को भी तैयार रखना चाहिए अर्थात् बैकअप प्लान होना चाहिए । यार राम जी की कुशल रणनीति का परिचायक है । 

२. धैर्य रखें(Be Patience) 

 जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संयम और धैर्य की परम आवश्यकता होती है । राम जी का लक्ष्य बड़ा था। रावण का वध करना था। रावण विश्व विख्यात था और परम बलवान था। रावण से युद्ध करना राम के लिए बहुत बड़ा चैलेंज था परंतु राम जी ने धैर्य तथा संयम से उस रावण पर भी विजय प्राप्त की। युद्ध के  प्रत्येक चरण को अच्छी तरह पूर्ण करने के लिए संयम और धैर्य की आवश्यकता होती है। लक्ष्मण जी का युद्ध में घायल होना भी राम जी के धैर्य की परीक्षा थी परंतु उस समय भी राम जी ने हार नहीं मानी। रावण का सर  कट रहा था पर रावण  मर नहीं रहा था फिर भी राम जी ने धैर्य पूर्वक सही समय की प्रतीक्षा करते हुए प्रयास करते रहे और अन्त में अपने लक्ष्य को प्राप्त किया तथा रावण का संहार किया। राम जी को यह पता था कि विजय तो सत्य की ही होगी विजय तो धर्म की ही होगी बस संयम रखने की आवश्यकता है धैर्य रखने की आवश्यकता है। 

३. गलती सुधारें(correct the mistake) 

  रावण के जीवन की सबसे बड़ी गलती थी कि उन्होंने माता सीता जी का अर्थात् एक अबला स्त्री का हरण किया । उस गलती को सुधारने के लिए उनकी स्वयं की पत्नी मंदोदरी ने समझाया कि यह सीता आपके लिए काल बनकर आई है। इसे तुरंत राम जी को वापस कर दो और उनसे क्षमा मांग करके अपना कार्य करो। परंतु रावण ने उनकी बात नहीं मानी। बाद में हनुमान जी ने समझाया कि सीता माता को वापस कर दो तुम्हारा हित होगा पर रावण ने नहीं माना। विभीषण जो कि उनका भाई है उन्होंने भी समझाया की राम भगवान है, तुमसे यह बहुत बड़ी गलती हो गई है, सीता मैया को वापस कर दो और राम की शरणागति ग्रहण करो। लेकिन फिर भी रावण ने अपनी गलती में सुधार तो नहीं किया उल्टा अपने भाई को ही लात मार दी। अंत में तो उनके दूतों ने समझाया कि सीता को वापस कर दो लेकिन रावण किसी भी तरह नहीं माना। उसने अपनी गलती कभी स्वीकार नहीं की जिसका परिणाम यह हुआ कि उसका सर्वनाश हुआ। इस बात से हमें एक शिक्षा लेनी चाहिए कि गलती सभी मनुष्यों से हो जाती है लेकिन उसे सुधारने का प्रयास करना चाहिए । 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

thanks for a lovly feedback

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top