Krishna janmotsav |
जो जानबूझकर जन्माष्टमी का व्रत नहीं करते वे वन में सर्प एवं व्याघ्र होते हैं ।
भविष्यपुराण का वाक्य है की जो मनुष्य जन्माष्टमी का व्रत नहीं करता वह क्रूर राक्षस होता है ।
स्कंदपुराण का कथन है की जो मनुष्यों में श्रेष्ठ जन्माष्टमी का व्रत करते व कराते हैं उनके यहाँ निरंतर लक्ष्मी स्थिर रहती है और इस व्रत के करने से सब ही कार्य सिद्ध होते हैं ।
जन्माष्टमी को आधी रात के समय रोहिणी नक्षत्र हो तो उसमें कृष्ण का पूजन करने से तीन जनम के पाप दूर होते हैं ! जन्माष्टमी को मोहरात्रि कहा गया है ।
कृष्णकृष्णेति कृष्णेति यो मां स्मरति नित्यशः ।
जलं भित्त्वा यथा पद्मं नरकादुद्धराम्यहम् ।।
जो "हे कृष्ण ! हे कृष्ण ! हे कृष्ण !" ऐसा कहकर मेरा प्रतिदिन स्मरण करता है, उसे जिस प्रकार कमल जल को भेदकर ऊपर निकल आता है, उसी प्रकार मैं नरक से निकाल लाता हूँ !
जन्माष्टमी को क्या करें ?
- अगर गंगा स्नान कर सकते हैं तो अतिउत्तम अन्यथा नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें ।
- सुबह स्नान आदि से निवृत होकर "ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा" इस मंत्र का 108 बार जप करें ।
- याद रखें पूरे दिन कुछ नहीं खाना है ! अगर संभव नहीं हो तो फल खा लें ।
- गौसेवा करें, गौ को हरी घास खिलाएं ।
- ब्राह्मण एवं जरूरतमंद को दान करें ।
- रात्रि के बारह बजे गर्भ से जन्म लेने के प्रतिस्वरूप खीरा काटकर भगवान का जन्म कराएं।
- बाल गोपाल कृष्ण को पंचामृत से स्नान करा कर, केसर मिश्रित कच्चा दूध, गंगाजल, गुलाब जल को अलग अलग शंख में भरकर स्नान कराएं ।
- नवीन वस्त्र पहनायें ।।
- चन्दन लगायें।
- यथासंभव श्रृंगार करें ।
- फूलअर्पित करें। मोरपंख मस्तक पर लगायें या अर्पित करें ।
- मखाने की खीर का भोग लगाएं। खीर में तुलसी जरूर होनी चाहिए ।
- माखन मिश्री का भोग लगाएं ।
- बालकृष्ण को तुलसी अर्पित करें।
- और अगर गोपाल सहस्त्रनाम बोलते हुए 1008 तुलसी अर्पित कर सकते हैं तो अतिउत्तम ।
- विभिन्न कृष्ण स्तोत्रों, मन्त्रों का पाठ करें ।
- पूरी रात जागते हुए नाचते गाते हुए जन्माष्टमी का उत्सव मनाएं ।
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