जन्माष्टमी कैसे मनाएँ ? क्या जन्माष्टमी व्रत करना आवश्यक है ?

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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Krishna janmotsav
Krishna janmotsav

 

 जो जानबूझकर जन्माष्टमी का व्रत नहीं करते वे वन में सर्प एवं व्याघ्र होते हैं ।

  भविष्यपुराण का वाक्य है की जो मनुष्य जन्माष्टमी का व्रत नहीं करता वह क्रूर राक्षस होता है ।

  स्कंदपुराण का कथन है की जो मनुष्यों में श्रेष्ठ जन्माष्टमी का व्रत करते व कराते हैं उनके यहाँ निरंतर लक्ष्मी स्थिर रहती है और इस व्रत के करने से सब ही कार्य सिद्ध होते हैं ।

  जन्माष्टमी को आधी रात के समय रोहिणी नक्षत्र हो तो उसमें कृष्ण का पूजन करने से तीन जनम के पाप दूर होते हैं ! जन्माष्टमी को मोहरात्रि कहा गया है ।

कृष्णकृष्णेति कृष्णेति यो मां स्मरति नित्यशः ।

जलं भित्त्वा यथा पद्मं नरकादुद्धराम्यहम् ।।

 जो "हे कृष्ण ! हे कृष्ण ! हे कृष्ण !" ऐसा कहकर मेरा प्रतिदिन स्मरण करता है, उसे जिस प्रकार कमल जल को भेदकर ऊपर निकल आता है, उसी प्रकार मैं नरक से निकाल लाता हूँ !

जन्माष्टमी को क्या करें ? 

  1. अगर गंगा स्नान कर सकते हैं तो अतिउत्तम अन्यथा नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें ।
  2. सुबह स्नान आदि से निवृत होकर "ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा" इस मंत्र का 108 बार जप करें ।
  3. याद रखें पूरे दिन कुछ नहीं खाना है ! अगर संभव नहीं हो तो फल खा लें ।
  4. गौसेवा करें, गौ को हरी घास खिलाएं ।
  5. ब्राह्मण एवं जरूरतमंद को दान करें । 
  6. रात्रि के बारह बजे गर्भ से जन्म लेने के प्रतिस्वरूप खीरा काटकर भगवान का जन्म कराएं।
  7. बाल गोपाल कृष्ण को पंचामृत से स्नान करा कर, केसर मिश्रित कच्चा दूध, गंगाजल, गुलाब जल को अलग अलग शंख में भरकर स्नान कराएं ।
  8. नवीन वस्त्र पहनायें ।। 
  9. चन्दन लगायें।
  10. यथासंभव श्रृंगार करें ।
  11. फूलअर्पित करें। मोरपंख मस्तक पर लगायें या अर्पित करें ।
  12. मखाने की खीर का भोग लगाएं। खीर में तुलसी जरूर होनी चाहिए ।
  13. माखन मिश्री का भोग लगाएं ।
  14. बालकृष्ण को तुलसी अर्पित करें।
  15. और अगर गोपाल सहस्त्रनाम बोलते हुए 1008 तुलसी अर्पित कर सकते हैं तो अतिउत्तम ।
  16. विभिन्न कृष्ण स्तोत्रों, मन्त्रों का पाठ करें ।
  17. पूरी रात जागते हुए नाचते गाते हुए जन्माष्टमी का उत्सव मनाएं ।

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