स तीर्थराजो जयति प्रयागः, प्रयाग अष्टक, प्रयाग स्तुति

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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Bade hanuman ji, prayagraj
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वागीश विष्ण्वीश पुरंदराद्याः 

पापप्रणाशाय विदांविदोऽपि।

भजंति यत्तीरमनीलनीलं 

स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥२५॥

कलिंदजा संगम वाप्ययत्र 

प्रत्यग्गता स्वर्गधुनीधुनोति।

अध्यात्म तापत्रितयं जनस्य 

स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥२६॥

श्यामो वटः श्यामगुणोवृणोति 

स्वच्छायया श्यामल याजनानाम्।

श्यामश्रमं कृंतति यत्रदृष्टः 

स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥२७॥

ब्रह्मादयोप्यात्मकृतिं विहाय 

भजंति पुण्यात्मक भागधेयम् ।

यत्रोज्झितादंडधरः स्वदंडं 

स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥२८॥

यत्सेवया देव नृदेवतादि 

देवर्षयः प्रत्यहमामनंति।

स्वर्गं च सर्वोत्तम भूमिराज्यं 

स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥२९॥

एनांसि हंतीति प्रसिद्धवार्ता 

नाम प्रतापेन दृशो भवंति।

यस्य त्रिलोकीं प्रतताप गोभिः 

स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥३०॥

धत्ते ऽभितश्चामर चारुकांतिं 

सितासिते यत्रसरिद्वरेण्ये ।

आद्यो वटश्छत्रमिवातिभाति 

स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥३१॥

ब्राह्मीनपुत्री त्रिपथास्त्रिवेणी 

समागमे साक्षतयागमात्रात् ।

यत्राप्नुतान्ब्रह्मपदं नयंति 

स तीर्थराजो जयति प्रयागः॥ ३२॥

(पद्म पुराण उत्तर खंड गंगा प्रयाग जमुना स्तुति 22 वां अध्याय) । 

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