वैशेषिक दर्शन प्रश्नोत्तरी भाग 1 सामान्य परिचय

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
1
Important question answer of vaisheshik darshan
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of vaisheshik darshan

प्रश्न - न्यायदर्शन का समानतन्त्र कौन सा दर्शन है ? 
उत्तर- वैशेषिक दर्शन । 
प्रश्न - वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक कौन हैं ?
उत्तर - महर्षि कणाद । 
प्रश्न - महर्षि कणाद को और किन नामों से जाना जाता है ?
उत्तर - काश्यप, उलूक, पैलुक एवं औलूकाय आदि ।
प्रश्न - वैशेषिकदर्शन नाम वैशेषिक दर्शन क्यों पड़ा ?
उत्तर - 'विशेष' नामक पदार्थ को मानने के कारण ।
प्रश्न - वैशेषिक दर्शन अन्य किन नामों से जाना जाता है ?
उत्तर - काणाद, काश्यपीय, औलूक्य एवं पैलूकदर्शन के नाम से।
प्रश्न - विशेष शब्दस्य का व्युत्पत्तिः ?
उत्तर - विशिष्यते सर्वतः व्यवच्छिद्यते येन सः विशेषः ।
प्रश्न - वैशेषिकम् नाम किम् ?
उत्तर - विशेषाभ्याम् (चतुर्थी द्विव०) व्यवच्छेदकाभ्यां साधर्म्यवैधर्म्याभ्यां प्रभवति इति अथ वा विशेषाभ्याम् (तृतीया द्विव०) व्यवहरति इति वैशेषिक दर्शनम्। 
प्रश्न - किस पुराण में कणाद का उल्लेख है ?
उत्तर - पद्मपुराण में ("कणादेन तु सम्प्रोक्तं शास्त्रं वैशेषिकं महत्")।
प्रश्न - सर्वशास्त्रोपकारक कौन हैं ?
उत्तर - कणाद और पाणिनि("काणादं पाणिनीयं च सर्वशास्त्रोपकारकम्")।
प्रश्न - माधवाचार्य ने अपने सर्वदर्शनसंग्रह में वैशेषिकदर्शन के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है ?
उत्तर - 'औलूक्यदर्शन' । 
प्रश्न - कणाद विरचित 'वैशेषिकसूत्र में कितने सूत्र हैं ?
उत्तर - 370 सूत्र।
प्रश्न - 'वैशेषिकसूत्र में कितने अध्याय हैं ?
उत्तर - दस अध्याय।
प्रश्न - प्रत्येक अध्याय में कितने-कितने आह्निक हैं ?
उत्तर - दो-दो आह्निक तथा कुल 20 आह्निक।
प्रश्न - न्याय से पूर्ववर्ती दर्शन है ?
उत्तर - वैशेषिकदर्शन।
प्रश्न - इस दर्शन का प्रमुख लक्ष्य क्या है ?
उत्तर - धर्म की व्याख्या करना ("अथातो धर्मं व्याख्यास्यामः')।
प्रश्न - इस दर्शन के अनुसार धर्म की परिभाषा क्या है ?
उत्तर - "यतोऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः ’” अर्थात् जिससे इहलौकिक व पारलौकिक सुख की प्राप्ति हो, वहीं धर्म है।
प्रश्न - अन्यान्य पदार्थों में पाया जाने वाला समान गुण उसका सामान्य कहलाता है, तथा वह विशिष्ट सत्ता जो एक वस्तु को अन्य वस्तुओं से पृथक् करे विशेष कहलाती है, वस्तुतः पदार्थों का अन्तिम अवशिष्ट अंश ही उसका विशेष है 'अन्त्यावशेषः विशेषः'- यह किस दर्शन का मत है ?
उत्तर - वैशेषिक दर्शन का।
प्रश्न - वैशेषिकों का विशेष सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर - परमाणुकारणवाद।
प्रश्न - कणाद किसके शिष्य थे ?
उत्तर - प्रभास निवासी सोमशर्मा के।
प्रश्न - कणाद को किसका अवतारी माना जाता है ?
उत्तर - शिव का ।
प्रश्न - इनके जीवन के सम्बन्ध में जानकारी कहाँ से प्राप्त होती है ?
उत्तर - वायुपुराण से।
प्रश्न - कणाद को कश्यप मुनि का पुत्र किसने बताया है ?
उत्तर - किरणावली में उदयनाचार्य ने।
प्रश्न -कणाद ऋषि का नाम कणाद क्यों पड़ा ?
उत्तर - पृथ्वी पर गिरे हुए कणों अर्थात् दानों के द्वारा अपना जीवन यापन करने के कारण इन्हें 'कणाद' कहा गया।(कण+ आद - कणान् अत्ति इति कणादः)।
प्रश्न - कणाद ऋषि के अन्य नामों का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर - काश्यप(त्रिकाण्डकोश में), 'कणमुक्', 'कणभक्ष' तथा 'कणव्रत'।
प्रश्न - कणाद का समय क्या है ?
उत्तर - 150 ईसापूर्व से 400 ईसापूर्व के मध्य 
प्रश्न - "पदार्थधर्मसंग्रह" ग्रन्थ की रचना किसने की ?
उत्तर - प्रशस्तपाद ने। (प्रणम्यहेतुमीश्वरं मुनिं कणादमन्वतः। प्रवक्ष्यते महादेयः पदार्थधर्मसंग्रहः ॥- प्रशस्तपादभाष्य )।यही 'पदार्थधर्मसंग्रह' आज 'वैशेषिकभाष्य' एवं 'प्रशस्तपादभाष्य' के नाम से प्रसिद्ध है।
प्रश्न - वैशेषिक भाष्यसाहित्य का प्रथम प्रामाणिक भाष्य किसे कहा जा सकता है ?
उत्तर - 'पदार्थधर्मसंग्रह' को ।
प्रश्न - वैशेषिक दर्शन का प्रवेशद्वार किस ग्रन्थ को माना जाता है ?
उत्तर - 'पदार्थधर्मसंग्रह' को।
प्रश्न - प्रशस्तपाद का समय क्या है ?
उत्तर - चतुर्थ शताब्दी से पाँचवीं शताब्दी के मध्य।
प्रश्न - प्रशस्तपादभाष्य के टीका ग्रन्थों के नाम बताओ ?
उत्तर -  
      टीका                                   टीकाकार           समय
व्योमवती(व्योमशिव/व्योमकेशी)  व्योमशिवाचार्य      980 ई.
किरणावली                                उदयनाचार्य          984 ई.
न्यायकन्दली                                श्रीधराचार्य           991 ई.
लीलावती                                      श्रीवत्साचार्य        1025 ई.
सूक्ति                             श्रीजगदीशतर्कालङ्कार       1590 ई.
सेतु                               आचार्य पद्मनाभमिश्र           16वीं शती 
भाष्यनिकष                    आचार्य कोलाचल मल्लिनाथ 1850 ई.        
कणादरहस्य                  आचार्य शङ्कर मिश्र                -
प्रश्न - वैशेषिक दर्शन के आचार्य शिवादित्य मिश्र के तीन प्रसिद्ध ग्रन्थों के नाम बताओ ?
उत्तर - (1) सप्तपदार्थी (2) लक्षणमाला (3) हेतुखण्डन ।

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