गुमशुदा व्यक्ति/वस्तु का ज्ञान ज्योतिष द्वारा।

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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  ज्योतिष के अनुसार अलग-अलग नक्षत्रों में गुमशुदा व्यक्ति/वस्तु का अलग-अलग परिणाम होता है। जिस समय हमें गुम व्यक्ति/वस्तु का पता लगे उस समय के नक्षत्र या अंतिम बार आपने फला गुम हुए व्यक्ति/वस्तु को किस वक्त देखा था, उस समय के नक्षत्र के अनुसार विचार किया जाता है। पहले कोशिश यही होनी चाहिये कि अंतिम बार जब देखा गया हो उस समय का ज्ञान हो तो उससे देखिये । आइये जानते हैं किस नक्षत्र का क्या परिणाम होता है:

1. रोहिणी, पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा और रेवती को ज्योतिष में अंध नक्षत्र माना गया है। इन नक्षत्रों में गुम व्यक्ति/गुम वस्तु पूर्व दिशा में जाती है और व्यक्ति जल्दी वापस आ जाता है/या वस्तु मिल जाती है। इन नक्षत्रों में गुम व्यक्ति या गुम वस्तु अधिक दूर नहीं जाती है उसे आसपास ही तलाशना चाहिए।

2. मृगशिरा, अश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, शतभिषा, अश्विनी ये मंद नक्षत्र कहे गए हैं। इन नक्षत्रों में गुम व्यक्ति/ वह कुछ दिन में मिलने की संभावना रहती है। इन नक्षत्रों में गुम व्यक्ति/वस्तु दक्षिण दिशा ढूढना चाहिए। व्यक्ति को नदी, जलाशय के आसपास और वस्तु को रसोई, अग्नि या जल के स्थान के आसपास ढूढना चाहिए। 

3. आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजीत, पूर्वाभाद्रपद, भरणी ये मध्य लोचन नक्षत्र होते हैं। इन नक्षत्रों में गुम व्यक्ति / वस्तुएं पश्चिम दिशा में तलाशना चाहिये । गुम व्यक्ति/ वस्तु के संबंध में जानकारी 2माह के अंदर मिलने की संभावना रहती है। यदि 2 माह तक जानकारी न मिले तो फिर कभी नहीं मिलती। इस स्थिति में व्यक्ति/वस्तु के अत्यधिक दूर होने की जानकारी भी मिल जाती है तो व्यक्ति के लौटने या वस्तु को मिलने में संशय रहता है। 

4. पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद, कृतिका को सुलोचन नक्षत्र कहा गया है। इनमें गुम व्यक्ति या गई वस्तु कभी दोबारा नहीं मिलती। व्यक्ति/ वस्तु उत्तर दिशा में जाती है, लेकिन पता नहीं लग पाता। अगर भद्रा, व्यतिपात और अमावस्या में गुम हुआ व्यक्ति या गुम हुआ वस्तु है तो व्यक्ति वापस नही आता है या गयी वस्तु प्राप्त नहीं होता है।

  प्रश्न लग्न के अनुसार भी गुम शुदा व्यक्ति की जानकारी / गुम वस्तु के संबंध में विचार किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस संबंध में जानने के लिए आए और प्रश्न करे तो जिस समय वह प्रश्न करे उस समय की लग्न कुंडली बना लेना चाहिए। जो लग्न आये उसके अनुसार फल कथन करे। इससे मुख्यतः केवल दिशा का ज्ञान होता है दिशा ज्ञान करके उसे उसी दिशा में तलाशना चाहिए।

1. मेष लग्न हो तो पूर्व दिशा मे ।

2. वृषभ लग्न में भी पूर्व दिशा में तलाशना चाहिये। 

3. मिथुन लग्न में आग्नेय कोण

4. कर्क लग्न में दक्षिण दिशा। 

5. सिंह लग्न में नैऋत्य कोण ।

6. कन्या लग्न हो तो पश्चिम दिशा ।

7. तुला लग्न हो तो वस्तु पश्चिम दिशा । 

8. वृश्चिक लग्न में पश्चिम दिशा ।

9. धनु लग्न हो तो वायव्य कोण दिशा । 

10. मकर लग्न हो उत्तर दिशा ।

11. कुंभ लग्न हो तो उत्तर-पश्चिम दिशा । 

12. मीन लग्न हो तो ईशान कोण दिशा ।

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