प्रश्न - गन्ध गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - घ्राणग्राह्यो गुणो गन्धः(घ्राणेन्द्रिय (नासिका) से ग्रहण किया जाने वाला गुण गन्ध है)।
प्रश्न - गन्धगुण कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर - दो प्रकार का - (१) सुरभि (सुगन्ध) (२) असुरभि ( दुर्गन्ध )।
प्रश्न - गन्ध गुण किस द्रव्य में पाया जाता है ?
उत्तर - केवल पृथिवी में।
प्रश्न - गन्धगुण की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर - गन्धगुण की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं -
- यह गन्ध नामक विशेष गुण केवल पृथिवी में ही रहता है किसी अन्य द्रव्य में नहीं ।
- इसका ज्ञान केवल घ्राणेन्द्रिय के द्वारा होता है।
- यह प्राणेन्द्रिय का सहकारी है।
- यह गन्ध गुण पार्थिव द्रव्यों में व्याप्यवृत्ति होकर रहता है।
- यह स्वप्रत्यक्ष में कारण होता है।
- इसके दो भेद है- सुरभि ( खुशबू ) एवं असुरभि (बदबू )
- पाकज होने के कारण यह अनित्य है।
प्रश्न - स्पर्श गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - त्वगिन्द्रियमात्रग्राह्यो गुणः स्पर्शः(त्वगिन्द्रिय मात्र (त्वचा) से ग्रहण किया जाने वाला गुण स्पर्श है)।
प्रश्न - स्पर्श गुण के कितने भेद होते हैं ?
उत्तर - तीन(3) प्रकार का - (१) शीत (ठण्डा) (२) उष्ण (गर्म) (३) अनुष्णातीत ( न गर्म न ठण्डा) ।
प्रश्न - स्पर्श गुण किन द्रव्यों में पाया जाता है ?
उत्तर - पृथिवी, जल, तेज, वायु में - 'पृथिव्यप्तेजोवायुवृत्तिः'।
प्रश्न - जल में कौन सा स्पर्श पाया जाता है ?
उत्तर - शीत स्पर्श ।
प्रश्न - तेज में किस प्रकार का स्पर्श पाया जाता है ?
उत्तर - उष्णस्पर्श ।
प्रश्न - पृथिवी एवं वायु में किस प्रकार का स्पर्श होता है ?
उत्तर - अनुष्णाशीत स्पर्श ।
प्रश्न - पृथिवी का स्पर्श कैसा होता है ?
उत्तर - पाकज ।
प्रश्न - वायु का स्पर्श कैसा होता है ?
उत्तर - अपाकज ।
प्रश्न - जल, तेज और वायु के परमाणुओं का स्पर्श कैसा होता है ?
उत्तर - नित्य।
प्रश्न - पार्थिव परमाणुओं का स्पर्श पाकज होने के कारण कैसा होता है?
उत्तर - अनित्य ।
प्रश्न - पृथिवी में रूप, रस, गन्ध और स्पर्श, ये चारों गुण कैसे उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर - पाक द्वारा , अतः ये 'पाकज' कहलाते हैं और अनित्य है।
प्रश्न - पृथिवी से भिन्न द्रव्यों में रूप, रस, गन्ध और स्पर्श, कैसे होते हैं ?
उत्तर - अपाक द्वारा, अतः ये सभी गुण 'अपाकज' हैं और नित्य तथा अनित्य दोनों प्रकार के होते हैं। ये नित्यपदार्थों में नित्य तथा अनित्य पदार्थों में अनित्य हैं।
प्रश्न - पाकज अपाकज रूप क्रिया को न्याय दर्शन कौन सी संज्ञा देता है?
उत्तर - 'पिठरपाक' ।
प्रश्न - पाकज अपाकज रूप क्रिया को वैशेषिक दर्शन क्या कहता है ?
उत्तर - 'पीलुपाक' ।
प्रश्न - 'पीलुपाक' का क्या अर्थ है ?
उत्तर - 'पीलु' पद का अर्थ है- परमाणु इस दृष्टि से 'पीलुपाक' का अर्थ हुआ 'परमाणुओं का पाक'।
प्रश्न - 'पिठरपाक' का क्या अर्थ है ?
उत्तर - 'पिठर' का अर्थ है- पिण्ड इसलिए पाकरूप यह क्रिया सम्पूर्ण घटरूप पिण्ड में होती है, उसके परमाणुओं में नहीं ।
प्रश्न - संख्या गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - एकत्वादिव्यवहारहेतुः सख्या'(एक, दो, तीन आदि व्यवहार (प्रयोग) के कारण को संख्या कहते हैं)।
प्रश्न - संख्या नामक गुण किन द्रव्यों में रहता है ?
उत्तर - सभी नौ द्रव्यों में।
प्रश्न - संख्या गुण की क्या सीमा है ?
उत्तर - एक से लेकर परार्ध तक।
प्रश्न - एकत्व नित्य होता है या अनित्य ?
उत्तर - नित्य और अनित्य दोनों प्रकार का। वह संख्या नित्य द्रव्य में नित्य तथा अनित्य द्रव्य में अनित्य है, जबकि द्वित्वादि संख्या सर्वत्र ही अनित्य है।
प्रश्न - परिमाण गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - 'मानव्यवहाराऽसाधारणकारणं परिमाणम्'(मान ( माप) व्यवहार के असाधारण कारण को परिमाण कहते हैं)।
प्रश्न - परिमाण के कितने प्रकार है ?
उत्तर - चार प्रकार - (1) अणु (2) महत् (3) दीर्घ (4) ह्रस्व ।
प्रश्न - अणु परिमाण का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर - परिमाण्डल्य।
प्रश्न - परिमाण गुण की किन द्रव्यों में स्थिति होती है ?
उत्तर - सभी नौ द्रव्यों में ।
प्रश्न - पृथक्त्व गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - पृथग्व्यवहारकारणं पृथक्त्वम्'(पृथक् (अलग) व्यवहार के कारण को पृथक्त्व कहते हैं)।
प्रश्न - पृथक्त्व गुण किन द्रव्यों में रहता है ?
उत्तर - सभी द्रव्यों में ।
प्रश्न - संयोग गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर- 'संयुक्तव्यवहारहेतुः संयोगः(संयुक्त व्यवहार का कारण ही संयोग नामक गुण है)।
प्रश्न - संयोग नामक गुण किन द्रव्यों में रहता है ?
उत्तर - सभी द्रव्यों में।
प्रश्न - विभाग गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - 'संयोगनाशको गुणो विभागः(संयोग का नाशक गुण विभाग है)
प्रश्न - विभाग गुण की स्थिति कहाँ होती है ?
उत्तर - समस्त द्रव्यों में ।
प्रश्न - परत्व एवं अपरत्व गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - 'पराऽपरव्यवहाराऽसाधारणकारणे परत्वाऽपरत्वे'(पर (दूर) तथा अपर (निकट) इस व्यवहार के असाधारण कारण को क्रमशः परत्व एवं अपरत्व कहते हैं)।
प्रश्न - परत्व एवं अपरत्व गुण के कितने भेद हैं ?
उत्तर - दो प्रकार(2) - (1) दिक्कृत (2) कालकृत
प्रश्न - दूरस्थ में कैसा परत्व है ?
उत्तर - दिक्कृत ।
प्रश्न - दिक्कृत अपरत्व किसमें होता है ?
उत्तर - समीपस्थ में ।
प्रश्न - कालकृत परत्व पाया जाता है ?
उत्तर - ज्येष्ठ में ।
प्रश्न - कालकृत अपरत्व किसमें होता है ?
उत्तर - कनिष्ठ में।
प्रश्न - परत्व एवं अपरत्व गुणों की किन द्रव्यों में स्थिति होती है ?
उत्तर - पृथिवी, जल, तेज, वायु तथा मन में।
प्रश्न - गुरुत्व गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - 'आद्यपतनासमवायिकारणं गुरुत्वम्(प्रथम पतन का असमवायिकारण गुरुत्व है)।
प्रश्न - गुरुत्व गुण की स्थिति किन द्रव्यों में होती है ?
उत्तर - पृथिवी तथा जल में ।
प्रश्न - न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त किस सिद्धान्त का परिष्कृत रूप है ?
उत्तर - वैशेषिक दर्शन के गुरुत्व गुण का ।
प्रश्न - द्रवत्व गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - 'आद्यस्यन्दनासमवायिकारणं द्रवत्वम् (प्रथम स्यन्दन ( बहना) का
असमवायिकारण ही द्रवत्व है)।
प्रश्न - द्रवत्व गुण कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर - दो प्रकार का- (१) सांसिद्धिक (२)नैमित्तिक ।
प्रश्न - द्रवत्व गुण किन द्रव्यों में रहता है ?
उत्तर - पृथिवी, जल और तेज में।
प्रश्न - जल में किस प्रकार का द्रवत्व रहता है ?
उत्तर - सांसिद्धिक द्रवत्व ।
प्रश्न - पृथिवी एवं तेज में किस प्रकार का द्रवत्व होता है ?
उत्तर - नैमित्तिक द्रवत्व । जैसे - घी और सुवर्ण के द्रवत्व में अग्नि निमित्त है ।
प्रश्न - स्नेह गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - चूर्णादिपिण्डीभावहेतुर्गुणः स्नेहः (चूर्णादि को पिण्ड बना देने वाले गुण को स्नेह कहते हैं)।
प्रश्न - स्नेह गुण की किन द्रव्यों में स्थिति होती है ?
उत्तर - केवल जल में ।
प्रश्न - शब्द गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - श्रोत्रग्राह्यो गुणः शब्दः(श्रोत्रेन्द्रिय से ग्रहण किया जाने वाला गुण शब्द है)।
प्रश्न - शब्द गुण के कितने भेद हैं ?
उत्तर - दो भेद - (१) ध्वन्यात्मक (२) वर्णात्मक ।
प्रश्न - भेरी आदि में किस प्रकार का शब्द गुण है ?
उत्तर - ध्वन्यात्मक ।
प्रश्न - संस्कृतभाषादि में किस प्रकार का शब्द गुण है ?
उत्तर - वर्णात्मक।
प्रश्न - शब्द गुण की स्थिति किन द्रव्यों में होती है ?
उत्तर - केवल आकाश में ।
प्रश्न - कौन से दर्शन शब्द को गुण मानते हैं ?
उत्तर - केवल वैशेषिक दर्शन।
प्रश्न - कौन से दर्शन शब्द को प्रमाण रूप में स्वीकार करते हैं ?
उत्तर - न्याय, सांख्य, योग, वेदान्त तथा मीमांसा दर्शन।
प्रश्न - कणाद मुनि ने शब्द को प्रमाण क्यों नहीं माना है ?
उत्तर - कणाद मुनि का मत है कि शाब्दबोध से उत्पन्न ज्ञान अनुमान के ही अन्तर्गत आ जाता है।
प्रश्न - बुद्धि गुण का क्या लक्षण है ?
उत्तर - 'सर्वव्यवहारहेतुर्गुणो बुद्धिर्ज्ञानम्'(सब प्रकार के व्यवहार का हेतु बुद्धि या ज्ञान नामक गुण है)।
प्रश्न - बुद्धि गुण के कितने प्रकार हैं ?
उत्तर - दो प्रकार - (१) स्मृति (२) अनुभव ।
प्रश्न - आत्मा का विशेष गुण क्या है ?
उत्तर - बुद्धि ।
प्रश्न - विषय मात्र के प्रत्यक्ष में कौन कारण है ?
उत्तर - बुद्धि।
प्रश्न - बुद्धि का समवायिकारण कौन है ?
उत्तर - आत्मा।
प्रश्न - बुद्धि का असमवायिकारण कौन है ?
उत्तर - आत्ममनः संयोग ।
प्रश्न - बुद्धि का निमित्तकारण कौन है ?
उत्तर - मनः संयोग ।
प्रश्न - बुद्धि का साधारणकारण कौन है ?
उत्तर - काल, अदृष्ट, ईश्वरेच्छा ईश्वरज्ञान और प्रयत्न ।
प्रश्न - बुद्धि अनित्य होती है ?
उत्तर - जीवात्मा में ।
प्रश्न - बुद्धि नित्य होती है ?
उत्तर - परमात्मा में ।
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