Important question answer of vaisheshik darshan |
प्रश्न - तर्कसंग्रह में अधिकारी कौन है ?
उ. बाल अर्थात् जिसने न्यायशास्त्र का अध्ययन नहीं किया है।
प्रश्न - तर्कसंग्रह का विषय क्या है ?
उ. तर्क अर्थात सप्तपदार्थों का संक्षिप्त स्वरूपकथन।
प्रश्न - तर्कसंग्रह में कौन सा सम्बन्ध है ?
उ. प्रतिपाद्य प्रतिपादकभाव अर्थात् प्रतिपाद्य पदार्थ तथा प्रतिपादक ग्रन्थ तर्कसंग्रह ।
प्रश्न - तर्कसंग्रह का प्रयोजन क्या है ?
उ. सुखबोधाय अर्थात् सफलतापूर्वक ज्ञान की प्राप्ति ।
प्रश्न - पदार्थ किसे कहते हैं ?
उ. "प्रमितिविषयाः पदार्थाः अर्थात् जो कुछ भी ज्ञान का विषय हो सकता है, वह पदार्थ है । (शिवादित्य "सप्तपदार्थी नामक ग्रन्थ) ।
प्रश्न - तर्कसंग्रह में कितने पदार्थों की चर्चा है ?
उ. सात पदार्थों की।
प्रश्न - वैशेषिक दर्शन के सात पदार्थों के नाम बताओ ?
उ. द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय, अभाव ।
प्रश्न - एकत्ववादी दर्शन है ?
उ. अद्वैतवेदान्त
प्रश्न - द्वैतवादी दर्शन है ?
उ. सांख्य दर्शन।
प्रश्न - बहुत्ववादी दर्शन है ?
उ. न्यायवैशेषिक। सात मूल तत्त्वों को मानने के कारण।
प्रश्न - अन्नम्भट्ट के अनुसार पदार्थ का लक्षण क्या है ?
उ. तर्कसंग्रह दीपिका टीका में पदार्थ का लक्षण दिया है पदस्यार्थः पदार्थः इति व्युत्पत्या अभिधेयत्वं पदार्थसामान्यलक्षणम्। यहाँ 'अभिधेय' से तात्पर्य है जिसका नाम दिया सके। संसार में ऐसी कोई वस्तु या पद नहीं है जिसका कोई नाम न दिया जा सके।
प्रश्न - महर्षि कणाद एवं वैशेषिकसूत्रों के भाष्यकार प्रशस्तपाद ने प्रारम्भ में वैशेषिक दर्शन के कितने पदार्थों का उल्लेख किया है ?
उ. छः पदार्थों का -
1. द्रव्य (Substance )
2. गुण (Quality)
3. कर्म (Action)
4. सामान्य (Universal)
5. विशेष (Particularity)
6. समवाय ( Inherence)
प्रश्न - अभाव पदार्थ को मानने वाले प्रमुख आचार्य कौन हैं ?
उ. शिवादित्य, श्रीधर, उदयनाचार्य, व्योमशिव, अन्नम्भट्ट आदि ।
प्रश्न - वैशेषिकदर्शन के समानतन्त्र न्यायदर्शन में तार्किक प्रक्रिया की दृष्टि से कितने पदार्थ बताये गये हैं ?
उ. 16 पदार्थ । यथा- प्रमाण, प्रमेय, संशय, प्रयोजन, दृष्टान्त, सिद्धान्त, अवयव, तर्क, निर्णय, बाद, जल्प, वितण्डा, हेत्वाभास, छल, जाति तथा निग्रहस्थान ।
प्रश्न - न्यायदर्शन के इन सोलहों पदार्थों को वैशेषिक ने कितने पदार्थों में अन्तर्भूत माना है ?
उ. सात पदार्थों में।
प्रश्न- द्रव्य का क्या लक्षण है ?
उ. द्रव्य द्रव्यत्वजाति से युक्त तथा गुणवान् होता है " द्रव्यत्वजातिमत्त्वं गुणवत्त्वं वा द्रव्यसामान्यलक्षणम्'' (अन्नम्भट्ट के तर्कसंग्रह की दीपिका टीका में)।
प्रश्न - वैशेषिक दर्शन का प्रथम पदार्थ क्या है ?
उ. द्रव्य ।
प्रश्न - किस ग्रन्थ में द्रव्य को 'कार्यमात्र समवायिकारण' कहा गया है ?
उ. तर्कसंग्रह की 'पदकृत्य' टीका में (" द्रव्यत्वं जातिमत्त्वं समवायिकारणत्वं वा द्रव्यसामान्यलक्षणम्") ।
प्रश्न - वैशेषिकसूत्र के रचनाकार महर्षि कणाद के अनुसार द्रव्य क्या है ?
उ. क्रिया गुण से युक्त एवं समवायिकारण।"क्रियागुणवत्समवायिकारणमिति द्रव्यलक्षणम्" (वैशेषिकसूत्र 1.1.15)
प्रश्न - द्रव्य पदार्थ की संख्या कितनी है ?
उ. नौ(9) - 1. पृथिवी 2. अप् (जल) 3. तेज 4. वायु 5. आकाश 6. काल 7. दिक् (दिशा) 8. आत्मा 9. मन । (तत्र द्रव्याणि पृथिव्यप्ततेजोवाय्वाकाशकालदिगात्ममनांसि नवैव) ।
प्रश्न - भौतिक द्रव्यों की संख्या कितनी है ?
उ. पाँच(5)। 1. पृथिवी 2. अप् (जल) 3. तेज 4. वायु 5. आकाश ।
प्रश्न - अर्धभौतिक द्रव्य कितने हैं ?
उ. दो(2) - 1. काल 2. दिक् ।
प्रश्न - द्रव्य की कुल कितनी परिभाषायें की जा सकती हैं ?
उ. - चार(4)1. क्रियावद् द्रव्यम् - अर्थात् द्रव्य कर्मों का आश्रय है।
2. गुणवद् द्रव्यम् अर्थात् गुण का आश्रय द्रव्य है।
3. द्रव्यत्वजातिमत्त्वं द्रव्यम् अर्थात् द्रव्यत्व जाति से युक्त द्रव्य है।
4. समवायिकारणं द्रव्यम् अर्थात् द्रव्य समवायिकारण है।
दर्शनाचार्यों की दृष्टि में प्रथम तीन लक्षण सदोष तथा अन्तिम निर्दुष्ट लक्षण है।
प्रश्न - कौन सा पदार्थ केवल समवायिकारण होता है ?
उ. द्रव्य पदार्थ ।
प्रश्न - सामान्यतः गुण एवं कर्म का आश्रय किसे माना जाता है ?
उ. द्रव्य को।
प्रश्न - नितान्त अभौतिक द्रव्य कितने हैं ?
उ. दो(2) - 1. आत्मा 2. मन ।
प्रश्न - किन द्रव्यों में गुण और क्रिया दोनों रहते हैं ?
उ. पृथिवी, अप, तेज, वायु और मन में ।
प्रश्न - किन द्रव्यों में केवल गुण की मात्रा पायी जाती है ?
उ. चार(4) द्रव्यों में । 1. आकाश 2. काल 3. दिक् 4. आत्मा ।
प्रश्न - प्रभाकर मीमांसक के अनुसार द्रव्यों की संख्या कितनी है ?
उ. नौ(9) ।
प्रश्न - कुमारिलभट्ट ने कितने द्रव्य गिनाए हैं ?
उ. एकादश(11) । 'तम' नामक दशम द्रव्य की कल्पना की।
प्रश्न - वैशेषिक दर्शन का मुख्य लक्ष्य क्या है ?
उ. बाह्यार्थवाद की स्थापना ।
thanks for a lovly feedback