Adipurush movie review

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
0

 

adipurush
adipurush movie

  आदिकाव्य रामायण के बाद जितने भी महाकाव्य लिखे गये, वे सब तो कहीं न कहीं कथानक की दृष्टि से रास आते हैं। कोई न कोई नवीन दृष्टिकोण समक्ष आता है। कहीं न कहीं राम की मर्यादा को भी मण्डित करते नजर आते हैं किंतु रामानन्द सागर निर्मित धारावाहिक रामायण के पूर्व और उत्तरवर्ती जितने भी रामपरक धारावाहिक,फिल्म्स और वेबसीरीज आयीं,सब की सब फिसड्डी हैं।रामानन्द सागर ने जनमानस में रामायण की कहानी,दृश्य और पात्रों को इस तरह पैवस्त कर दिया है कि अब कोई रामपरक दृश्य नहीं सुहाता।

  आदिपुरुष के टीजर को लेकर पहले ही काफ़ी निराशा देखने को मिली है। जनमानस के लिए कहीं से भी कथानक,दृश्य और पात्रों का कॉस्ट्यूम फिट बैठते नजर नहीं आते। तकनीकी प्रयोग ने इस फ़िल्म को रामकथा कम,कार्टूनिस्ट अधिक बना दिया है। न तो पात्रों के परिधान उपयुक्त हैं ,न ही संवाद और न ही वह सौम्यता दिखती है जो एक मर्यादित और सौम्य राम की विशेषता है । हनुमान् को देखकर रंचमात्र भी वह भाव नहीं उठता जो दारा सिंह को देखकर उठता है। 

  ढाई-तीन मिनट के ट्रेलर में मैं प्रभास के चेहरे पर वह स्मित मुस्कान तलाश रहा था जो अरुण गोविल ने दी। वनवासी राम लक्ष्मण और सीता कहीं पर भी वल्कल वस्त्र पहने नहीं दिखते। परिधान देखकर लगता है कि पात्रों को चर्मवस्त्र पहना दिया गया है! सनातन से जुड़े किस्से,कहानियाँ सामने आनी चाहिए किन्तु वे अच्छी प्रकार संस्कारित तो हों ! मुझे नहीं लगता कि जिन लोगों ने रामानन्द सागर की रामायण का रसपान किया है, उन्हें यह फ़िल्म एक कार्टून से अधिक कुछ लगेगी ! हाँ, नई पीढ़ी अवश्य राम कथा से सम्बंधित इस फ़िल्म के मुताबिक धारणा बना लेगी।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

thanks for a lovly feedback

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top