श्रीराम और श्रीकृष्ण के दो सुन्दर प्रसंग

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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  माखन चोर नटखट श्री कृष्ण को रंगे हाथों पकड़ने के लिये एक ग्वालिन ने एक अनोखी जुगत भिड़ाई। उसने माखन की मटकी के साथ एक घंटी बाँध दी, कि जैसे ही बाल कृष्ण माखन-मटकी को हाथ लगायेगा, घंटी बज उठेगी और मैं उसे रंगे हाथों पकड़ लूँगी।

  बाल कृष्ण अपने सखाओं के साथ दबे पाँव घर में घुसे। श्री दामा की दृष्टि तुरन्त घंटी पर पड़ गई और उन्होंने बाल कृष्ण को संकेत किया। बाल कृष्ण ने सभी को निश्चिंत रहने का संकेत करते हुये, घंटी से फुसफसाते हुये कहा -

 "देखो घंटी, हम माखन चुरायेंगे, तुम बिल्कुल मत बजना"

 घंटी बोली - "जैसी आज्ञा प्रभु, नहीं बजूँगी"

बाल कृष्ण ने ख़ूब माखन चुराया अपने सखाओं को खिलाया - घंटी नहीं बजी।

ख़ूब बंदरों को खिलाया - घंटी नहीं बजी।

अंत में ज्यों हीं बाल कृष्ण ने माखन से भरा हाथ अपने मुँह से लगाया , त्यों ही घंटी बज उठी।

घंटी की आवाज़ सुन कर ग्वालिन दौड़ी आई।

ग्वाल बालों में भगदड़ मच गई। सारे भाग गये बस श्री कृष्ण पकड़ाई में आ गये।

  बाल कृष्ण बोले - "तनिक ठहर गोपी , तुझे जो सज़ा देनी है वो दे दीजो , पर उससे पहले मैं ज़रा इस घंटी से निबट लूँ, क्यों री घंटी, तू बजी क्यो, मैंने मना किया था न ?"

  घंटी क्षमा माँगती हुई बोली - "प्रभु आपके सखाओं ने माखन खाया , मैं नहीं बजी आपने बंदरों को ख़ूब माखन खिलाया , मैं नहीं बजी , किन्तु जैसे ही आपने माखन खाया तब तो मुझे बजना ही था मुझे आदत पड़ी हुई है प्रभु मंदिर में जब पुजारी भगवान को भोग लगाते हैं तब घंटियाँ बजाते हैं इसलिये प्रभु मैं आदतन बज उठी और बजी"

  दूसरा प्रसंग उस समय का प्रसंग है जब केवट भगवान के चरण धो रहा है । बड़ा प्यारा दृश्य है, भगवान का एक पैर धोता का उसे निकलकर कठौती से बाहर रख देता है, और जब दूसरा धोने लगता है तो पहला वाला पैर गीला होने से जमीन पर रखने से धूल भरा हो जाता है, केवट दूसरा पैर बाहर रखता है फिर पहले वाले को धोता है, एक-एक पैर को सात-सात बार धोता है । कहता है प्रभु एक पैर कठौती मे रखिये दूसरा मेरे हाथ पर रखिये, ताकि मैला ना हो। जब भगवान ऐसा करते है। तो जरा सोचिये क्या स्थिति होगी , यदि एक पैर कठौती में है दूसरा केवट के हाथो में, भगवान दोनों पैरों से खड़े नहीं हो पाते बोले - केवट मै गिर जाऊँगा ?

  केवट बोला - चिंता क्यों करते हो सरकार ! दोनों हाथों को मेरे सिर पर रखकर खड़े हो जाईये, फिर नहीं गिरेगे। जैसे कोई छोटा बच्चा है जब उसकी माँ उसे स्नान कराती है तो बच्चा माँ के सिर पर हाथ रखकर खड़ा हो जाता है, भगवान भी आज वैसे ही खड़े है।

भगवान केवट से बोले - भईया केवट !

मेरे अंदर का अभिमान आज टूट गया ।

केवट बोला - प्रभु ! क्या कह रहे है ?

भगवान बोले - सच कह रहा हूँ केवट, अभी तक मेरे अंदर अभिमान था, कि मैं भक्तो को गिरने से बचाता हूँ पर आज पता चला कि, भक्त भी भगवान को गिरने से बचाता है।

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