परिंदा

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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एक बार एक आदमी ने एक बहुत ही खूबसूरत परिंदा ख़रीदा । जब क़भी वो परिंदा चहचहाता तो उसकी खूबसूरत और सुरीली आवाज़ से वो आदमी बहुत खुश होता ।

  एक दिन अचानक उस परिंदे से मिलता जुलता एक और परिंदा पिंजरे के पास आया और अपनी जुबान में कुछ बोलकर चला गया। पिंजरे का परिंदा बिलकुल खामोश हो गया मानो कोई बेजुबान जीव हो । उस आदमी ने दो-तीन दिन तक इंतज़ार किया लेकिन परिंदा पूरी तरह चुप था।

 अब कोई उपाय न देखकर वो आदमी परिंदे को पिंजरे में लेकर एक बहुत पहुंचे हुए संत के पास गया औऱ उनसे अपनी समस्या बताई बाबा, इस परिंदे की आवाज़ से मुझे खुशी होती थी, लेकिन अब पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि वो बोलता ही नहीं ।

  संत (जो जानवर, परिंदों की जुबानें जानते थे) ने इस परिंदे से पूछा, क्या वजह है कि तुम चुप हो गए?

 उस परिंदे ने कहा - यह आदमी सोचता है कि मैं चहचहाकर खुश होता हूँ लेकिन सच यह है कि मैं जब भी दूसरे आज़ाद परिंदों को देखता हूँ तो रो देता हूँ कि काश मैं भी आज़ाद होता तो कितना अच्छा होता । लेकिन वह मेरी ज़बान नहीं समझता इसलिए वह सोचता है कि मैं बहुत खुश हूँ, गुनगुना रहा हूँ।

  फिर एक दिन मेरा एक साथी मेरे पास आया और बोला, "यह आदमी तुम्हारी जुबान नहीं समझता, लेकिन यह समझता है कि तुम बहुत सुरीली आवाज़ में खुशी से चिल्ला रहे हो ।

  "अगर तुम उसकी जेल से आज़ाद होना चाहते हो तो रोना, बोलना और चिल्लाना छोड़ दो क्यूंकि तुम्हारी बातों का असर उस पर नहीं होता, ना ही वो तुम्हारा दर्द समझ सकता है। बस फिर क्या था कि जब से मैं चुप रहकर सब्र कर रहा हूँ।

  अब संत ने उस आदमी से कहा कि तुम पिंजरा खोल दो और इस परिंदे को आज़ाद कर दो क्योंकि अब वह पिंजरे में कभी नहीं बोलेगा।

  उस आदमी ने कहा, अगर ये चुप रहेगा तो मैं उसे बेवजह रख कर क्या करूंगा, इसलिए उसने संत के आदेश पर पिंजरा खोल दिया।

  परिंदा फौरन उड़ गया और एक पेड़ की डाल पर जाकर बैठ गया और फिर उस आदमी को देख कुछ चहचहाकर उड़ गया।

 उस आदमी ने संत से पूछा, ये क्या कह कर गया हैं?

  संत ने फरमाया - ये कह रहा है कि अगर तू भी अपने दुख और परेशानी से आज़ाद होना चाहता है तो चुप रह और सब्र कर, किसी से कुछ शिकायत ना कर, एक दिन तुझे भी सारे ग़मों से निजात मिल जायेगी।

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