भगति पदारथ तब मिले,जब गुरु होय सहाय। प्रेम प्रीति की भक्ति जो,पूरण भाग मिलाय ॥ भक्तिरूपी अमोलक वस्तु तब मिलती है जब यथार्थ सतगुरु मिलें और...
भगति पदारथ तब मिले,जब गुरु होय सहाय।
प्रेम प्रीति की भक्ति जो,पूरण भाग मिलाय ॥
भक्तिरूपी अमोलक वस्तु तब मिलती है जब यथार्थ सतगुरु मिलें और उनका उपदेश प्राप्त हो | जो प्रेम - प्रीति से पूर्ण भक्ति है, वह पुरुषार्थरुपी पूर्ण भाग्योदय से मिलती है । लेकिन भाई हमारा भी मानना है कि-
जिसके जीवन में गुरू नहीं।
उसका जीवन अभी शुरू नहीं॥
संत शिरोमणि तुलसीदास जी लिखते है कि -
रवि पंचक जाके नहीं , ताहि चतुर्थी नाहिं।
तेहि सप्तक घेरे रहे , कबहुँ तृतीया नाहिं।।
गोस्वामी महाराज कहते हैं कि जिसको रवि पंचक नहीं है , उसको चतुर्थी नहीं आयेगी। उसको सप्तक घेरकर रखेगा और उसके जीवन में तृतीया नहीं आयेगी। मतलब क्या हुआ ?
रवि -पंचक का अर्थ होता है - रवि से पाँचवाँ यानि गुरुवार ( रवि , सोम , मंगल , बुद्ध , गुरु )
अर्थात् जिनको गुरु नहीं है , तो सन्त सद्गुरु के अभाव में उसको चतुर्थी नहीं होगी।चतुर्थी यानी बुध ( रवि , सोम , मंगल, बुध )
अर्थात् सुबुद्धि नहीं आयेगी। सुबुद्धि नहीं होने के कारण वह सन्मार्ग पर चल नहीं सकता है। सन्मार्ग पर नहीं चलनेवाले का परिणाम क्या होगा ? '
तेहि सप्तक घेरे रहे ' सप्तक क्या होता है ? शनि ( रवि , सोम मंगल , बुध , बृहस्पति , शुक्र , शनि ) अर्थात् उसको शनि घेरकर रखेगा और ' कबहुँ तृतीया नाहिं।' तृतीया यानी मंगल ( रवि , सोम , मंगल )। उसके जीवन में मंगल नहीं आवेगा ।
इसलिए अपने जीवन में मंगल चाहते हो , तो संत सद्गुरु की शरण में जाओ।
चहुँ जुग तीनि काल तिहुँ लोका।
भए नाम जपि जीव बिसोका॥
चारों युगों में, तीनों लोकों में और तीनों कालों में केवल नाम का सुमिरन करने से ही जीव शोक से रहित हो गए। जब पूर्ण सतगुरु मिलते हैं तो उस अव्यक्त अक्षर को बता देते हैं जो मनुष्य के ह्रदय में पहले से ही रमा हुआ है।
श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधार।
वरनउ रघुबर बिमल यश जो दायक फल चार॥
श्री गुरु के चरण कमल की पराग रूपी धूल से अपने मन रूपी दर्पण को निर्मल करके रघुवर की विमल यश गाथा का वृतांत कह रहा हूं जो चारों प्रकार के फल देने वाला है। मैं बुद्धिहीन, हनुमान जी का सुमिरन कर रहा हूं। हनुमान जी से प्रार्थना कि वे मुझे बल बुद्धि एवं विद्या प्रदान कर मेरे सारे क्लेश एवं विकारों का हरण कर लें।
कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥
हनुमान जी के जन्मोत्सव अर्थात हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं, प्रभु की कृपा अपने भक्तों पर सर्वस्व बनी रहें।
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