अष्टसिद्धि नव निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता।। जानते हैं इन आठ सिद्धियों के नाम और सरल अर्थ । नौ निधि क्या हैं? नौ निधियों के नाम।

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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   अक्सर हर हनुमान भक्त चालीसा पाठ के समय इस चौपाई का भी आस्था से पाठ करता है। लेकिन इसमें बताई गई अष्टसिद्धियों के बारे में बहुत कम ही श्रद्धालु जानकारी रखते हैं। इस चौपाई के अनुसार यह अष्टसिद्धि माता सीता के आशीर्वाद से श्री हनुमान को प्राप्त हुई और साथ ही उनको इन सिद्धियों को अपने भक्तों को देने का भी बल प्राप्त हुआ। 

जानते हैं इन आठ सिद्धियों के नाम और सरल अर्थ -

अणिमा - इससे बहुत ही छोटा रूप बनाया जा सकता है।

लघिमा - इस सिद्धि से छोटा, बड़ा और हल्का बना जा सकता है।

महिमा - कठिन और दुष्कर कार्यों को आसानी से पूरा करने की सिद्धि।

गरिमा - अहंकारमुक्त होने का बल।

प्राप्ति - इच्छाशक्ति से मनोवांछित फल प्राप्त करने की सिद्धि।

प्राकाम्य - कामनाओं की पूर्ति और लक्ष्य पाने की दक्षता।

वशित्व - वश में करने की सिद्धि।

ईशित्व - ईष्टसिद्धि और ऐश्वर्य सिद्धि।


अब जानने की कोशिश करते हैं कि नौ निधि क्या हैं?

पद्मनिधि : - पद्मनिधि गुणों से संपन्न व्यक्ति सात्विक होता है और सोना-चांदी आदि इकट्ठा करके दान करता है।

महापद्म निधि :- महापद्म निधि द्वारा लक्षित व्यक्ति अपने एकत्रित धन आदि को धार्मिक लोगों को दान कर देता है।

नील निधि :- नील निधि से सुशोभित व्यक्ति सात्त्विक तेज से युक्त होता है। उनकी संपत्ति तीन पीढ़ियों तक चलती है।

मुकुंद निधि :- जो व्यक्ति मुकुंद निधि के निशाने पर होता है वह रजोगुण से संपन्न होता है, वह राज्य की वसूली में लगा रहता है.

नंद निधि:- नंद निधि वाला व्यक्ति रजस और तमस गुणों वाला होता है, वही परिवार का आधार होता है।

मकर निधि:- मकर राशि का धनी व्यक्ति शस्त्र संग्रहकर्ता होता है।

कच्छप निधि:- कच्छप निधि का लक्ष्य व्यक्ति तमस गुण का होता है, वह अपने धन का स्वयं उपभोग करता है।

शंख निधि:-  शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।

महाशङ्ख निधि :- महाशङ्ख  निधि वाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल देखने को मिलता है।

   हमें महाबली हनुमान से अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों का वरदान प्राप्त करने के लिए अपार भक्ति और सतत साधना की आवश्यकता होती है. कहते हैं कि तपस्या जितनी गहरी होती है. फल की प्राप्ति उतनी ही सुनिश्चित होती जाती है । 

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