संकल्प का पूरा अर्थ । भारतीय जीवन पद्धति में इसका महत्व ।

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 प्रायः हम कोई धार्मिक कार्य करते समय हमारे पुरोहित द्वारा संकल्प कराया जाता है। आइए जानते हैं कि संकल्प का पूरा अर्थ क्या है और क्यों किया जाता है । 

  हमारे पूर्वजों ने जहां खगोलीय गति के आधार पर काल का मापन किया, वहीं काल की अनंत यात्रा और वर्तमान समय तक उसे जोड़ना तथा समाज में सर्वसामान्य व्यक्ति को इसका ध्यान रहे इस हेतु एक अद्भुत व्यवस्था भी की थी, जिसकी ओर साधारणतया हमारा ध्यान नहीं जाता है। हमारे देश में कोई भी कार्य होता हो चाहे वह भूमिपूजन हो, वास्तुनिर्माण का प्रारंभ हो- गृह प्रवेश हो, जन्म, विवाह या कोई भी अन्य मांगलिक कार्य हो, वह करने के पहले कुछ धार्मिक विधि करते हैं। उसमें सबसे पहले संकल्प कराया जाता है।

 यह संकल्प मंत्र यानी अनंत काल से आज तक की समय की स्थिति बताने वाला मंत्र है। इस दृष्टि से इस मंत्र के अर्थ पर हम ध्यान देंगे तो बात स्पष्ट हो जायेगी।

संकल्प मंत्र में कहते हैं -

  ॐ अस्य श्री विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्राह्मणोऽह्नि द्वितीये परार्धे... 

अर्थात् महाविष्णु द्वारा प्रवर्तित अनंत कालचक्र में वर्तमान ब्रह्मा की आयु का द्वितीय परार्ध-वर्तमान ब्रह्मा की आयु के 50 वर्ष पूरे हो गये हैं।

श्वेत वाराह कल्पे - कल्प याने ब्रह्मा के 51वें वर्ष का पहला दिन है।

वैवस्वतमन्वंतरे- ब्रह्मा के दिन में 14 मन्वंतर होते हैं उसमें सातवां मन्वंतर वैवस्वत मन्वंतर चल रहा है।

अष्टाविंशतितमे कलियुगे - एक मन्वंतर में 71 चतुर्युगी होती हैं, उनमें से 28वीं चतुर्युगी का कलियुग चल रहा है।

कलियुगे प्रथमचरणे - कलियुग के चार चरणों का प्रारंभिक चरण है।

कलिसंवते या युगाब्दे - कलिसंवत् या युगाब्द वर्तमान में 5104 चल रहा है।

जम्बुद्वीपे , ब्रह्मावर्त देशे, भारत खंडे- देश प्रदेश का नाम

अमुक स्थाने - कार्य का स्थान

अमुक संवत्सरे - संवत्सर का नाम

अमुक अयने - उत्तरायन/दक्षिणायन

अमुक ऋतौ - वसंत आदि छह ऋतु हैं

अमुक मासे - चैत्र आदि 12 मास हैं

अमुक पक्षे - पक्ष का नाम (शुक्ल या कृष्ण पक्ष)

अमुक तिथौ - तिथि का नाम

अमुक वासरे - दिन का नाम

अमुक समये - दिन में कौन सा समय

उपरोक्त में अमुक के स्थान पर क्रमश : नाम बोलने पड़ते है ।

जैसे अमुक स्थाने में जिस स्थान पर अनुष्ठान किया जा रहा है उसका नाम बोल जाता है । उदहारण के लिए मुम्बई स्थाने, ग्रीष्म ऋतौ आदि । 

  अमुक - व्यक्ति - अपना नाम, फिर पिता का नाम, गोत्र तथा किस उद्देश्य से कौन सा काम कर रहा है, यह बोलकर संकल्प करता है।

  इस प्रकार जिस समय संकल्प करता है, उस समय से अनंत काल तक का स्मरण सहज व्यवहार में भारतीय जीवन पद्धति में इस व्यवस्था के द्वारा आया है।

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