चोर कौन ?

SHARE:

  कुछ दिनों से महाराजा श्रेणिक के बगीचे से रोज ही आम चोरी हो जा रहे थे। राजा श्रेणिक ने वह वृक्ष महारानी चेलना के लिए विशेषत: लगवाए थे जिनमे...

  कुछ दिनों से महाराजा श्रेणिक के बगीचे से रोज ही आम चोरी हो जा रहे थे। राजा श्रेणिक ने वह वृक्ष महारानी चेलना के लिए विशेषत: लगवाए थे जिनमे साल में हर समय आम पैदा होते थे। कड़ी नगर व्यवस्था व बगीचे की पहरेदारी होते हुए अपने आप में यह आश्चर्यजनक था। जब कुछ दिनों बाद भी चोरी नहीं रुकी तो राजा ने यह घटना अपने मंत्री व पुत्र अभयकुमार को बताई और यथाशीघ्र चोर का पता लगाने का आदेश दिया।

  अभयकुमार रात्रि को भेष बदलकर निकला – सोचा उद्यान के पास वाली बस्ती में जाकर देखता हूँ शायद कुछ सुराग मिल जाए चोर का। वहाँ एक चोराहे पर कुछ लोग इकठ्ठे होकर आपस में व्यंग्य व कथा कहानी सुनाकर एक दुसरे का मनोरंजन कर रहे थे। अभयकुमार भी उन के बीच में जाकर बैठ गया। 

  सभी व्यक्ति अपनी बात कह चुके तब अपनी कुछ कहने की बारी आने पर अभयकुमार ने कहा -

" बसंतपुर नगर में एक कन्या रोज राजा के बगीचे से पूजा के लिए फूल तोड़़ कर ले जाती थी वह एक दिन माली द्वारा पकड़़ ली गयी। माली के धमकाने पर वह गिड़गिड़ाई व बोली– "मुझे जाने दो आगे से फूल नहीं तोडूंगी।"

"माली उसके रूप को देखकर मोहित हो गया ! बोला – "अगर तु मेरी इच्छा पूरी कर दे तो मै तुझे छोड़़ दूँगा।"

  "युवती सकपकाई व फिर साहस रखते हुए बोली – "अभी मै कुंवारी हूँ, कामदेव की पूजा करने जा रही हूँ! तुम्हारे स्पर्श से अशुद्ध हो जाउंगी ! अभी मुझे जाने दो, वादा करती हूँ कि विवाह होते ही प्रथम रात्रि को तुमसे मिलने आउंगी।

"अशुद्ध होने की बात माली के दिमाग में जम सी गयी। उसने कहा – "अपना वचन याद रखना।"

  हाँ हाँ –मै अपना वचन अवश्य याद रखूंगी।"युवती ने तुरंत से बगैर सोचे समझे जबाब दिया।

  कुछ समय बाद युवती का विवाह विमल नाम के एक युवक से हो गया। विवाह की प्रथम रात्रि को युवती ने पति से कहा "–प्राणनाथ ! मेरे सामने एक धर्म संकट उपस्थित हो गया है, आप ही बताएं मै क्या करूं ?"

 यह कहकर सारी घटना माली के साथ हुई थी वह पति को बता दी।युवक यह सुनकर एकाएक सन्न रह गया ! फिर कुछ सोचते हुए कहा - तुम ने सत्य कहकर मेरा मन जीत लिया है ! जाओ तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता सिर्फ अपने सत्य पर अटल रहना और सारी बात मुझे आकर सत्य बताना।

  युवती घर से निकली–सोलह श्रृंगार में सजी धजी माली के द्वार की ओर चल दी। कुछ दूर चलने पर उसे दो चोर दिखाई पड़े –उन्होंने उसे कहा – "जल्दी से अपने सारे आभूषण हमें उतार कर दे दो, हम पराई बहन बेटी को हाथ नहीं लगाते"। 

  मृत्यु के भय से उसने कहा – मुझे अपने वचन का पालन करने इसी रूप में जाना है ! मै वापस आकर आपको आभूषण दे दूंगी, मेरी बात का विश्वास कीजिये।"

  चोरों ने एक नजर एक दुसरे को देखा, फिर कुछ सोचकर उसे जाने की अनुमति दे दी।

  कुछ दूर जाने पर रास्ते में उसे एक दैत्य मिला – "हे कोमलांगी मै कई दिन से भूखा हूँ ! आज तुम्हे खाकर अपनी भूख मिटाऊंगा।"

युवती ने निर्भीकता से कहा "–दैत्यराज ! मेरा ये शरीर आपके किसी काम जाये, मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी लेकिन अभी मै किसी के वचन में बंधीं हूँ। आप मुझे जाने दीजिए। बस यहीं कुछ देर का ही इन्तजार कीजिये, वापसी में आप मुझे खा लेना।"

  दैत्य ने भी सुन्दरी की बात का विश्वास करके उसे जाने दिया। सुन्दरी माली के घर पहुंची –प्रणाम किया व अपने दिये हुए वचन की याद दिलाई ! माली आश्चर्यचकित था ! उसने हाथ जोड़कर उसे नमस्कार किया और कहा – "बहन ! आप तो देवी हैं , पूजा करने के योग्य हैं। मुझे क्षमा कीजिये। मेरा अपराध अक्षम्य है पर मुझे विश्वास है कि आप जैसी देवी जरूर मुझे क्षमा करके मुझे प्रायश्चित का मौका जरूर देंगी। ऐसे कहकर यथायोग्य उपहार देकर उसे बिदा कर दिया।

सुन्दरी निर्भीकता से चलते हुए दैत्य के पास पहुंची और कहा –

"हे दैत्यराज ! आप मुझे खा कर अपनी भूख मिटाएं। दैत्य ने क्षण भर को सोचा और कहा जाओ मै तुम्हारे सत्य और वचनबद्धता पर कायम रहने से खुश हुआ। मै तुम्हारा भक्षण करके घोर पाप का भागी नहीं बन सकता।

 अगली बारी चोरों की थी ! युवती की सारी कहानी सुनकर चोरों का मन बदल गया ! उन्होंने कहा "–जाओ! निर्भीक होकर अपने निवास स्थान पर जाओ। तुम जैसी सत्य पालन करने वाली स्त्री तो हमारी बहन के समान है।

  घर जाकर सुंदरी ने सारी घटना पति को यथास्थिति बता दी ! उसने खुश होकर कहा- प्रिये! मुझे तुम्हारी सत्यवादिता पर विश्वास था। इसीलिए तुम्हे जाने दिया और तुम्हारी विजय हुई ।

कहानी सुनाकर अभयकुमार एक क्षण को चुप हो गया –फिर बोला "सज्जनो ! आप सब ज्ञानी हैं , बुद्धिमान हैं, आप लोगों ने कहानी बड़े ध्यान से सुनी। कृपया आप मुझ बताएं कि इन सब में श्रेष्ठ कौन ? सुंदरी, उसका पति, चोर, दैत्य अथवा वह माली ?" ऐसा कहकर अभयकुमार चुप हो गया।

स्त्रियाँ तुरंत से बोल पड़ी – सुंदरी का साहस ही सबसे बड़ा है, वही सर्वश्रेष्ठ है।

वृद्ध बोले – "नहीं ! दैत्य कई दिन का भूखा था! उसने अपने हाथ में आये हुए प्राणी को जाने दिया,वह तो मनुष्य भी नहीं, इसीलिए वही सर्वश्रेष्ठ है।"

 युवकों ने कहा – "नहीं ! कदापि नहीं, कोई भी व्यक्ति अपनी नवविवाहिता पत्नी को पर पुरुष के पास जाने की अनुमति नहीं दे सकता। इसीलिए उस युवक का ही त्याग सर्वश्रेष्ठ है।"

 तभी एक व्यक्ति भीड़ में से खड़ा हुआ और बोला- क्या उन चोरों का त्याग श्रेष्ठ नहीं है जिन्होंने हाथ में आये हुए कीमती आभूषणों को ऐसे ही छोड़ दिया ? मेरी नजर में तो वही सर्वश्रेष्ठ है।

अभयकुमार तुरंत उस की बात सुनकर चौंक गया। समझ गया कि यहीं कुछ दाल में काला है और उससे पूछताछ की तो उसने आमों की चोरी की बात कबूल कर ली।

अभयकुमार ने कहा – "सच सच बताओ! तुमने ही बगीचे से आम चुराए हैं ?"

  सभी चकित थे कि यह व्यक्ति जो पूछताछ कर रहा है कौन है ? अभयकुमार ने उसे गिरफ्तार कर लिया और अगले दिन राजदरबार में पेश किया।

वह व्यक्ति बोला – "महामंत्री जी ! मै व्यवसाय से चोर नहीं हूँ। सच मानिए! मेरा नाम मातंग है! मैंने वह आम अपनी गर्भवती पत्नी की इच्छा पूर्ण करने के लिए ही चुराए थे। क्योंकि आम इस ऋतू में कहीं और उपलब्ध नहीं थे। मुझे क्षमा कर दीजिए" । 

राजा ने हुक्म दिया– "इसका अपराध अक्षम्य है! इसे मृत्यु दण्ड दिया जाए।"

अभयकुमार ने सोचा – इसका अपराध तो अपराध है पर शायद मृत्यु दण्ड का अधिकारी तो यह नहीं ! कुछ पल सोचा और मातंग से पूछा – "एक बात बाताओ –उद्यान के चारों ओर ऊँची दीवार होने और दरवाजे पर इतना कडा पहरा होने के बावजूद तुमने ये आम चुराए कैसे ?"

"हुजूर! मैने आकर्षणी विद्या सीखी है! उसी विद्या का प्रयोग करके मैंने फलों की डाल को अपनी ओर आकर्षित कर लिया और उस पर से आम तोड़ लिए।" मातंग ने सिर झुकाकर जबाब दिया।

अभयकुमार ने राजा को मुखातिब होते हुए कहा – "राजन् ! मेरी सलाह है कि आप मातंग से यह दुर्लभ विद्या सीख लें। उसके बाद ही इसे दण्ड दिया जाए।"

 श्रेणिक को अभयकुमार की बात पसन्द आई। उन्होंने मातंग से आकर्षणी विद्या सीखना प्रारंभ कर दिया।  मातंग एक आसन पर बैठ गया और राजा को मन्त्र पाठ सिखाने लगा। परन्तु राजा मन्त्र जाप बार - बार भूल जाते। उन्होंने मातंग से गुस्से में कहा – "तुम मुझे ठीक से विद्या नहीं सिखा रहे हो।"

अभय कुमार ने कहा – मगधेश ! गुरु का स्थान शिष्य से हमेशा ऊँचा होता है ! शिष्य गुरु की विनय करके ही विद्या सीख सकता है! 

  श्रेणिक अभय का इशारा समझ गये! उन्होंने मातंग को सिंहासन पर बिठाया और स्वयं उसके सामने नीचे खड़े हो गये। अबकी बार जब मन्त्र जाप किया तो कुछ समय के उपरान्त उन्हें मन्त्र याद हो गया। 

  विद्या सीखने से श्रेणिक प्रसन्न हो गये और उन्होंने कहा – "तुमने हमें विद्या सिखाई है और इसीलिए अब आपका दर्जा गुरु का है, गुरु को इतने सामन्य से अपराध के लिए दण्ड नहीं दिया जा सकता।"

उन्होंने मातंग को यथोचित सम्मान व धन दे कर विदा कर दिया।

  विनय बिना विद्या नहीं मिलती विद्या के अभाव में आपको ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती! जब तक आपको यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति न हो जाए, सच्चा सुख यानी मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती! यदि महान बनना है तो विनयी बनें। झुकना सीखें। आप कितने गुणवान हैं, यह आपका झुका हुआ मस्तक बताएगा। वृक्ष जितना फलदार होता है, वह उतना ही झुकता है! उसे अपना परिचय देने की जरूरत नहीं पड़ती! हंस जैसी दृष्टि बनाइए, ताकि गुण को ग्रहण कर सकें और जो बेकार है,उसे छोड़ सकें !

COMMENTS

BLOGGER
नाम

अध्यात्म,200,अनुसन्धान,19,अन्तर्राष्ट्रीय दिवस,2,अभिज्ञान-शाकुन्तलम्,5,अष्टाध्यायी,1,आओ भागवत सीखें,15,आज का समाचार,13,आधुनिक विज्ञान,19,आधुनिक समाज,146,आयुर्वेद,45,आरती,8,उत्तररामचरितम्,35,उपनिषद्,5,उपन्यासकार,1,ऋग्वेद,16,ऐतिहासिक कहानियां,4,ऐतिहासिक घटनाएं,13,कथा,6,कबीर दास के दोहे,1,करवा चौथ,1,कर्मकाण्ड,119,कादंबरी श्लोक वाचन,1,कादम्बरी,2,काव्य प्रकाश,1,काव्यशास्त्र,32,किरातार्जुनीयम्,3,कृष्ण लीला,2,क्रिसमस डेः इतिहास और परम्परा,9,गजेन्द्र मोक्ष,1,गीता रहस्य,1,ग्रन्थ संग्रह,1,चाणक्य नीति,1,चार्वाक दर्शन,3,चालीसा,6,जन्मदिन,1,जन्मदिन गीत,1,जीमूतवाहन,1,जैन दर्शन,3,जोक,6,जोक्स संग्रह,5,ज्योतिष,49,तन्त्र साधना,2,दर्शन,35,देवी देवताओं के सहस्रनाम,1,देवी रहस्य,1,धर्मान्तरण,5,धार्मिक स्थल,48,नवग्रह शान्ति,3,नीतिशतक,27,नीतिशतक के श्लोक हिन्दी अनुवाद सहित,7,नीतिशतक संस्कृत पाठ,7,न्याय दर्शन,18,परमहंस वन्दना,3,परमहंस स्वामी,2,पारिभाषिक शब्दावली,1,पाश्चात्य विद्वान,1,पुराण,1,पूजन सामग्री,7,पौराणिक कथाएँ,64,प्रश्नोत्तरी,28,प्राचीन भारतीय विद्वान्,99,बर्थडे विशेज,5,बाणभट्ट,1,बौद्ध दर्शन,1,भगवान के अवतार,4,भजन कीर्तन,38,भर्तृहरि,18,भविष्य में होने वाले परिवर्तन,11,भागवत,1,भागवत : गहन अनुसंधान,27,भागवत अष्टम स्कन्ध,28,भागवत एकादश स्कन्ध,31,भागवत कथा,118,भागवत कथा में गाए जाने वाले गीत और भजन,7,भागवत की स्तुतियाँ,3,भागवत के पांच प्रमुख गीत,2,भागवत के श्लोकों का छन्दों में रूपांतरण,1,भागवत चतुर्थ स्कन्ध,31,भागवत तृतीय स्कन्ध,33,भागवत दशम स्कन्ध,90,भागवत द्वादश स्कन्ध,13,भागवत द्वितीय स्कन्ध,10,भागवत नवम स्कन्ध,25,भागवत पञ्चम स्कन्ध,26,भागवत पाठ,58,भागवत प्रथम स्कन्ध,21,भागवत महात्म्य,3,भागवत माहात्म्य,12,भागवत माहात्म्य(हिन्दी),4,भागवत मूल श्लोक वाचन,55,भागवत रहस्य,53,भागवत श्लोक,7,भागवत षष्टम स्कन्ध,19,भागवत सप्तम स्कन्ध,15,भागवत साप्ताहिक कथा,9,भागवत सार,33,भारतीय अर्थव्यवस्था,4,भारतीय इतिहास,20,भारतीय दर्शन,4,भारतीय देवी-देवता,6,भारतीय नारियां,2,भारतीय पर्व,40,भारतीय योग,3,भारतीय विज्ञान,35,भारतीय वैज्ञानिक,2,भारतीय संगीत,2,भारतीय संविधान,1,भारतीय सम्राट,1,भाषा विज्ञान,15,मनोविज्ञान,1,मन्त्र-पाठ,7,महापुरुष,43,महाभारत रहस्य,33,मार्कण्डेय पुराण,1,मुक्तक काव्य,19,यजुर्वेद,3,युगल गीत,1,योग दर्शन,1,रघुवंश-महाकाव्यम्,5,राघवयादवीयम्,1,रामचरितमानस,4,रामचरितमानस की विशिष्ट चौपाइयों का विश्लेषण,124,रामायण के चित्र,19,रामायण रहस्य,65,राष्ट्रीयगीत,1,रुद्राभिषेक,1,रोचक कहानियाँ,150,लघुकथा,38,लेख,168,वास्तु शास्त्र,14,वीरसावरकर,1,वेद,3,वेदान्त दर्शन,10,वैदिक कथाएँ,38,वैदिक गणित,1,वैदिक विज्ञान,2,वैदिक संवाद,23,वैदिक संस्कृति,32,वैशेषिक दर्शन,13,वैश्विक पर्व,9,व्रत एवं उपवास,35,शायरी संग्रह,3,शिक्षाप्रद कहानियाँ,119,शिव रहस्य,1,शिव रहस्य.,5,शिवमहापुराण,14,शिशुपालवधम्,2,शुभकामना संदेश,7,श्राद्ध,1,श्रीमद्भगवद्गीता,23,श्रीमद्भागवत महापुराण,17,संस्कृत,10,संस्कृत गीतानि,36,संस्कृत बोलना सीखें,13,संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ,6,संस्कृत व्याकरण,26,संस्कृत साहित्य,13,संस्कृत: एक वैज्ञानिक भाषा,1,संस्कृत:वर्तमान और भविष्य,6,संस्कृतलेखः,2,सनातन धर्म,2,सरकारी नौकरी,1,सरस्वती वन्दना,1,सांख्य दर्शन,6,साहित्यदर्पण,23,सुभाषितानि,8,सुविचार,5,सूरज कृष्ण शास्त्री,455,सूरदास,1,स्तोत्र पाठ,60,स्वास्थ्य और देखभाल,1,हँसना मना है,6,हमारी संस्कृति,93,हिन्दी रचना,32,हिन्दी साहित्य,5,हिन्दू तीर्थ,3,हिन्दू धर्म,2,about us,2,Best Gazzal,1,bhagwat darshan,3,bhagwatdarshan,2,birthday song,1,computer,37,Computer Science,38,contact us,1,darshan,17,Download,3,General Knowledge,29,Learn Sanskrit,3,medical Science,1,Motivational speach,1,poojan samagri,4,Privacy policy,1,psychology,1,Research techniques,38,solved question paper,3,sooraj krishna shastri,6,Sooraj krishna Shastri's Videos,60,
ltr
item
भागवत दर्शन: चोर कौन ?
चोर कौन ?
भागवत दर्शन
https://www.bhagwatdarshan.com/2023/03/blog-post.html
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/2023/03/blog-post.html
true
1742123354984581855
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content