सब नर करहि परस्पर प्रीती। चलहिं सुधर्म निरत श्रुति नीती। बयरू न कर काहू सन कोई। रामप्रताप विषमता खोई।।

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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  बाबा तुलसी राम को लिखते हैं। राम की लिखते हैं। राम चरित मानस सागर है। कुशल तैराक ही उसमें गोते लगा सकता है। बाकी निंदक डूबने को उतर पड़ते हैं तो उनकी गलती नहीं, डूबना तय है। 

  रावण प्रमाण है। कालनेमि गवाह है। मारीच, कुंभकरण सब आईने की तरह हैं। 

   बाबा तुलसी धन्य हैं जो महाकाव्य दे गए और वो अधम हैं जो उसकी विवेचना स्वार्थ और वोटबैंक के चक्कर में करते हैं। 

  शबरी, निषाद, कोल, किरात सहित बंदर,गिलहरी...इनका अगाध प्रेम देखना हो तो पढ़िए रामचरित मानस। छह शास्त्र, सभी ग्रंथों का रस पीना हो डूबिए मानस में। 

  श्रीराम की स्वीकार्यता और उनका भरोसा देखना हो तो विभीषण, भरत, जनक, बालि को निहार लीजिए।

 सहजता देखनी हो तो जानिए बाबा तुलसी की उस चौपाई से...

 सब मम प्रिय, सब मम उपजाए। 

सबसे अधिक मनुज मोहि भाए।। 

  जो राम अपने पिता को मुखाग्नि नहीं दे सके वह गीध का अंतिम संस्कार करते है..जो सिर्फ और सिर्फ मृत जीवों का मांस भक्षण करता हो। विचारिए उन चौपाइयों को जिनका संदेश सर्वग्राही है...। 

14 वर्ष बाद अयोध्या लौटने पर सबको गले लगाने के लिए...

अमित रूप प्रकटे तेंहि काला। 

जथाजोग मिले सबहिं कृपाला।। 

  चौपाई मेंं श्रीराम के उस स्वरूप का दर्शन कीजिए जिसमें बच्चों, बूढ़ों और युवाओं को ह्रदय लगाने को प्रभु ने उसी आकार-प्रकार का डील-डौल बना लिया हो। सोचिए बाबा तुलसी ने वहां जाति-पांति की कोई कल्पना की। न न कतई नहीं। बाबा तुलसी ने सबकुछ मर्यादा पुरुषोत्तम की खातिर लिखा। बताया कि 

सब नर करहि परस्पर प्रीती।

 फिर सवाल क्यों? जिसने जन्म ही उद्धार के लिए लिया हो। जिसका संकल्प तारना हो। जिसका रग-रग भक्तों की खातिर हो...।ऐसे राम की गाथा लिखने वाले तुलसी कैसे कुछ भी अनुचित लिखेंगे। अपने मन को पवित्र करिए...धर्म जानिए। रिश्तों की मर्यादा समझिए। 

  वोट बैंक नहीं...भारत को भरत के जैसा बनाने में सहयोग कीजिए। भरत इस नाते क्योंकि वहां लालच, दंभ, पाखंड कि लिए तिलभर जगह नहीं होती। वहां तो चरण पादुका माथे रखकर प्रजा पाल्य की सतत सेवा की जाती है।

 देश वोट बैंक से नहीं...रामराज्य से चमकेगा। 

  बाबा तुलसी की चौपाई पर तुक्ष्य मानसिकता दिखाकर सिर्फ राहु-केतु की तरह ग्रहण मत बनिए। सुधरिए नहीं तो....रावण की तरह 

रहा न कोउ कुल रोवनिहारा। 

 चौपाई आपके बाद पढ़ी जाएगी। आप उसी में याद भी किए जाओगे।

  रावण ने तो हनुमानजी के पूंछ में आग लगाई थी, इतिहास गवाह है पूरी लंका जल गई थी, आप ने तो राम चरित मानस में आग लगाई है  क्या होगा प्रभु ही जाने।

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