अभिमान

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
0

  जब व्यक्ति को कोई उपलब्धि होती है, अर्थात उसे कहीं किसी कार्य में सफलता प्राप्त होती है, विद्या प्राप्त करने में, धन प्राप्ति में, बल प्राप्ति में, कोई पुरस्कार प्राप्ति में, कोई पद की प्राप्ति में इत्यादि, तो उस उपलब्धि से स्वाभाविक है, कि उसमें कुछ "अभिमान" उत्पन्न होता है। जिस का मूल कारण अविद्या है।

  उसे ऐसा लगता है, कि यह धन बल विद्या बुद्धि उच्च पद प्रसिद्धि इत्यादि, जो मुझे प्राप्त हुआ है, यह मेरी शक्ति से हुआ है। मेरे गुणों के कारण मुझे यह विशेष उपलब्धि हुई है। परन्तु ऐसा मानना भयंकर अविद्या है। और इसी के कारण उसमें अभिमान उत्पन्न होता है। जबकि वास्तविकता यह है, कि किसी व्यक्ति को जो भी धन बल विद्या उच्च पद सम्मान सिद्धि, प्रसिद्धि, पुरस्कार आदि की प्राप्ति होती है, वह सब ईश्वर द्वारा दी गई शक्ति के कारण से होती है। यदि ईश्वर उसे शरीर मन बुद्धि इंद्रियां अच्छे माता पिता विद्वान धार्मिक परोपकारी सदाचारी गुरुजन, अच्छे मित्र, अच्छे पड़ोसी, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, आदि पंच महाभूत भोजन इत्यादि पदार्थ न देता, तो इनके बिना वह व्यक्ति होश में भी नहीं आता, उपलब्धि प्राप्त करना तो बहुत दूर की बात है। तो ऐसा समझना चाहिए, कि ईश्वर की दी हुई शक्तियों से, साधनों से ही हम बल, विद्या, बुद्धि, आदि सब उपलब्धियां प्राप्त कर पाते हैं। "जो व्यक्ति इस वास्तविकता को समझता है, और हृदय से स्वीकार करता है, उसे कभी भी अभिमान नहीं आएगा।

 ऐसी उपलब्धियों के मिलने पर वह व्यक्ति उछलेगा नहीं। नाचेगा कूदेगा नहीं। बल्कि ठीक बुद्धिमत्ता से, नम्रतापूर्वक सभ्यतापूर्वक सब व्यवहार करेगा।

  यदि कभी उसके जीवन में कोई विपरीत परिस्थिति आ जाएगी, तब भी वह घबराएगा नहीं। ईश्वर से सहायता की प्रार्थना करेगा, समाज के बुद्धिमान लोगों से नम्रतापूर्वक निवेदन करेगा, कि "मैं इस आपत्ति में फंस गया हूं, कृपया मेरी सहायता करें।"

   समाज के बुद्धिमान लोग भी उसके पुरुषार्थ सभ्यता नम्रता आदि गुणों को देख कर उसे यथासंभव सहयोग देंगे, और ईश्वर भी सहयोग देगा। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति घबराएगा नहीं, फिसलेगा नहीं, मार्ग से भटकेगा नहीं। उसका मन बुद्धि आदि सब नियंत्रण में रहेंगे, और वह धीरे-धीरे पुरुषार्थ करके ईश्वर और बुद्धिमान लोगों की सहायता से उस आपत्ति से बाहर आ जाएगा। सभी बुद्धिमान लोगों को ऐसा ही करना चाहिए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

thanks for a lovly feedback

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top