किनकी बात तुरन्त मान लेनी चाहिए?

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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who should be obeyed immediately


    तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के अनुसार नौ लोग ऐसे होते है जिनकी बात हमें तुरंत मान लेनी चाहिए अन्यथा हमारा नुकसान हो सकता है।

सस्त्री मर्मी प्रभु सठ धनी।

 बैद बंदि कबि भानस गुनी॥

   शस्त्री (शस्त्रधारी), मर्मी (भेद जानने वाला), समर्थ स्वामी, मूर्ख, धनवान, वैद्य, भाट, कवि और रसोइया- इन नौ व्यक्तियों से विरोध (वैर) करने में कल्याण (कुशल) नहीं होता। 

1. शस्त्रधारी :-  श्रीरामचरित मानस के अनुसार यदि कोई शस्त्रधारी हमें किसी काम को करने के लिए कह रहा है, तो हमारी भलाई इसी में है कि हम उसका काम कर दें, अन्यथा परिणाम भयंकर हो सकते हैं। शस्त्रधारी की बात टालने पर उसे क्रोध आ सकता है और वह हम पर प्रहार भी कर सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए हमें उस समय सभी बातें मान लेनी चाहिए।

2. मर्मी :- यानी भेद जानने वाला- यदि कोई व्यक्ति हमारे सभी भेद यानी राज जानता है, तो उसकी बात न मानना बहुत ही हानिकारक हो सकता है। भेद जानने वाला व्यक्ति नाराज हो जाए तो वह हमारे राज सभी को बता सकता है। राज की बातें सार्वजनिक होने पर कई प्रकार के विपरीत परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

 

3. मालिक या बॉस- आज के दौर में एक वाक्य बहुत चर्चित है ‘बॉस इस ऑलवेज राइट’। ये बात सच भी है। यदि आप बॉस से किसी भी प्रकार का वाद-विवाद करेंगे तो यह आपकी नौकरी के लिए अच्छा नहीं है। बॉस की बात को टालना आपकी नौकरी पर बुरा असर डाल सकता है। इसीलिए मालिक जो भी बात कहे, उसे तुरंत मान लेना चाहिए। कभी-कभी बॉस गलत निर्णय भी ले लेते हैं, लेकिन हमें यह बात वाद-विवाद करके नहीं, बल्कि काम करके सिद्ध करनी चाहिए कि बॉस का निर्णय गलत था।

4. सठ यानी मूर्ख- यदि कोई व्यक्ति मूर्ख है और वह कुछ कह रहा है तो उसे तुरंत मान लें, अन्यथा वह आपका समय बर्बाद करेगा। बेकार के तर्क-वितर्क करेगा और इन बातों को सुनने से आपको कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए मूर्ख व्यक्ति की बात तुरंत मान लेनी चाहिए।

5. धनवान- धन ही सब कुछ नहीं है, लेकिन धन बहुत कुछ कर सकता है। जहां धन की आवश्यकता है, वहां उसके अलावा और किसी चीज से काम नहीं चल सकता। इसलिए कभी भी धनी व्यक्ति का अनादर नहीं करना चाहिए, अन्यथा जब धन की आवश्यकता होगी तो उससे मदद प्राप्त नहीं हो पाएगी। धनी व्यक्ति अपने धन से कई प्रकार के कार्यों में हमारा सहयोग कर सकता है।

6. वैद्य- वैद्य यानी डॉक्टर को भगवान का ही एक रूप माना जाता है। जब स्वास्थ्य बिगड़ता है तो वैद्य ही इलाज करता है। इसलिए वैद्य यदि कोई सलाह दे तो उसका अक्षरश: पालन करना चाहिए।

7. भाट- भाट प्राचीन काल में अपने राजाओं की प्रशंसा करते हुए कविताएं लिखते थे और गाते थे। इस कारण वे राजा के प्रिय होते थे। रावण और मारीच के काल में भाटों का काफी महत्व था। इस कारण इनकी बात को भी नजरअंदाज करना हानिकारक ही होता था, क्योंकि वे राजा के करीबी होते थे और अपने विरोधी को सजा भी दिलवा सकते थे।

8. कवि- यदि हम किसी कवि का अनादर करेंगे या उसका विरोध करेंगे तो वह कविताओं के माध्यम से अपने विरोधियों की साख खराब कर सकता है। कविताएं बहुत प्रभावी होती हैं और इनसे बहुत ही जल्दी किसी भी व्यक्ति की साख बन भी जाती है और खराब भी हो जाती है। इसलिए कवि की बात भी तुरंत मान लेनी चाहिए।

9. रसोइया- रसोइए की बातों को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि रसोइया रूठ जाएगा तो वह खाने में कुछ भी मिलाकर हमारी सेहत बिगाड़ सकता है ।

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