जीवनसाथी

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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जीवनसाथी

  पापाजी पापाजी..आप हमारे लिए कभी कुछ खाने को क्यों कहीं बनाते जैसे सोनू के पापा उसके लिए बनाते हैं वो बड़े इतराकर बताता है मुझे और आस्था को बड़ा बुरा लगता है आराध्या मोहन की गोद में चढ़कर उससे मनुहार करते हुए बोली मोहन की आज साप्ताहिक छुट्टी थी और वह सोफे पर बैठे हुए टीवी देख रहा था आराध्या की बात सुनकर वह कभी आस्था को कभी आराध्या को तो कभी अपनी पत्नी सुधा की और देखने लगा जहां आस्था और आराध्या दोनों उससे अपने प्रश्न का उत्तर जानने के लिए उत्सुक हो रही थी। 

  वहीं सुधा मुस्कुरा रही थी मोहन को समझ नहीं आ रहा था वो इस बात का क्या जवाब दें क्योंकि उसे हकीकत में कुछ बनाना आता ही नहीं था बचपन से मां ने तो कभी बहनों ने और शादी के बाद से सुधा ने उसकी हर वो मनपसंद खाने की चीजें स्वयं बनाकर दी की वो कभी रसोईघर में घुसा तक नहीं था उसे तो ये तक पता नहीं था कौन सा सामान कहा रखा है खैर सुधा ने उसे इशारा करते हुए कहा ... बेटियों से उनकी पसंदीदा चीजें पूछो ..

  मोहन ने साहस करते हुए पूछा तो आस्था और आराध्या दोनों एक साथ गाजर का हलवा कहकर चिल्लाने लगी अच्छा तो हमारी बेटियों को गाजर का हलवा खाना है नहीं पापाजी हमें बस खाना नहीं है आपके हाथों से बनाया हुआ गाजर का हलवा खाना है दोनों एकसाथ बोली और ये हम अपनी आंखों से आपको बनाते हुए देखेंगे अगर आप सचमुच हम दोनों बेटियों से प्यार करते हैं तो आपको गाजर का हलवा बनाना ही होगा। 

  मोहन ने सुधा की और देखा तो उसने इशारे से हां कहने को कहा अच्छा भाई अच्छा आज आप दोनों के लिए आपके पापा गाजर का हलवा बनाएंगे अब तो खुश हो। 

  येएएएएएएए .. ... कहकर दोनों खुशी से झूम उठी। 

   दोनों की खुशी देखकर मोहन और सुधा भी हंस पड़े मगर अगले ही पल मोहन के चेहरे का रंग उड़ गया ये सोचकर कि उसने दोनों बेटियों को वादा तो कर दिया मगर वो बनायेगा कैसे गाजर का हलवा ...

  इससे पहले वो सुधा को कुछ पूछे वो बोली आस्था आराध्या जाओ बाजार जाओ अपने पापा के साथ और अच्छी वाली गाजरें लेकर आओ अरे भाई आज तो मैं भी खाऊंगी अपनी बेटियों के पापाजी के हाथों से बनाया गया गाजर का हलवा और हंसने लगी मोहन की हालत खस्ता हो रही थी ये क्या हो रहा है अब वो करें तो क्या करें यहां तो वह बुरी तरह फंस गया खैर वह बेटियों को लेकर बाजार पहुंचा और वहां से तीन किलो गाजर, एक किलो खोया थोड़े बादाम और काजू लेे आया और सारी सामग्री सुधा को थमा दी। 

  लेकिन सुधा बोली... भूल गए आज आपको गाजर का हलवा स्वयं बनाकर खिलाना है क्यों बच्चों। 

  हां पापा .... प्लीज़ बनाओ ना देखो आपने वादा किया है। 

  मोहन ने फिर से सुधा की और देखा तो वह बोली... सारी गाजर को धोकर, छीलकर साफ फटाफट गाजर को कस लीजिए तब तक हम टीवी देखेंगे चलो बच्चों ....

   मोहन रसोईघर में खड़े होकर सोच रहा था यार आजतक गाजरें खाई थी मगर कद्दूकस से कसनी कैसे हैं क्या करुं तभी सुधा तेजी से रसोईघर में आई और बोली.... घबराइए मत आप ऐसे कीजिए ....में हूं ना आपके साथ मोहन हैरानी से उसकी और देखने लगा तो वह बोली... ऐसे कैसे किसी उलझन में आपको अकेला छोड़ दूंगी बस आप नाटक करते रहिएगा बाकी सब मुझपर छोड़ दीजिए कहकर जल्दी जल्दी गाजरें कद्दूकस से कहने लगी चंद मिनटों में उसने तीन किलो गाजरें कस दी। 

  अब सुधा ने गाजर को थोड़ा सा उबालकर घी में फ्राई कर लिया...... मगर अब बारी थी असली मेहनत करने की अब कढ़ाई में गाजर, खोया ड्राई फ्रूट्स और चीनी डालने के बाद उसको चमचे से लगातार चलाना था वो भी बिना रुके हुए सुधा ने चार चमचे ही मारे होंगे कढ़ाई में और मोहन से बोली सुनो जी.. इसे बस चलाते रहिए। 

  अब बच्चो की खातिर करना ही था तो मोहन डट गया जी जान से ...बीच बीच में सुधा रसोईघर में आकर इशारा करते हुए बताते रहती बाहर से आस्था और आराध्या दोनों रसोईघर में नजर लगा रही थी की कहीं मम्मी तो नहीं बना रही गाजर का हलवा ...

  लगातार आधे घंटे की मेहनत करने के बाद हलवा बनकर तैयार हो गया तो सुधा ने कहा अरे वाह ...खूशबू तो बड़ी अच्छी आ रही है मोहनजी ... लगता है स्वादिष्ट बना है मगर इसका फैसला तो आस्था और आराध्या करेंगी क्यों है ना ...

  हां ....हम टेस्ट करके बताएंगे कहते हुए दोनों टेबल पर जाकर बैठ गई.... मोहन ने सुधा के इशारे से गाजर के हलवे को दोनों बेटियों के सामने पेश किया दोनों बेटियों ने जब हलवा खाया तो खुशी से उछल कर मोहन को चूमने लगी ....येएए हमारे पापा बेस्ट पापा जी है। 

  मम्मी आप भी खाओ पापाजी ने बड़ा स्वादिष्ट हलवा बनाया है कहकर चम्मच भरकर सुधा के मुंह में डाल दिया मीठे का स्वाद भले ही सुधा और दोनों बेटियों के मुंह में था मगर उनकी खुशी की मिठास मोहन को महसूस हो रही थी उसने इशारे से सुधा को थैंक्स कहा और सुधा सहित दोनों बेटियों को गले से लगाते हुए गाने लगा। 

  तुम से बना मेरा जीवन सुंदर सपना सलोना तुम मुझसे खफा ना होना कभी मुझसे जुदा ना होना। 

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