Secure Page

Welcome to My Secure Website

This is a demo text that cannot be copied.

No Screenshot

Secure Content

This content is protected from screenshots.

getWindow().setFlags(WindowManager.LayoutParams.FLAG_SECURE, WindowManager.LayoutParams.FLAG_SECURE); Secure Page

Secure Content

This content cannot be copied or captured via screenshots.

Secure Page

Secure Page

Multi-finger gestures and screenshots are disabled on this page.

getWindow().setFlags(WindowManager.LayoutParams.FLAG_SECURE, WindowManager.LayoutParams.FLAG_SECURE); Secure Page

Secure Content

This is the protected content that cannot be captured.

Screenshot Detected! Content is Blocked

MOST RESENT$type=carousel

Popular Posts

भगवान का अद्भुत खेल

SHARE:

 भगवान का अद्भुत खेल      एक दिन श्री राम-लक्ष्मण-भरत-शत्रुघ्न चारों भैया श्रीसरजूजी के किनारे, गेंद का खेल खेलने आए । खेल कोई भी हो दो दल ...

 भगवान का अद्भुत खेल



     एक दिन श्री राम-लक्ष्मण-भरत-शत्रुघ्न चारों भैया श्रीसरजूजी के किनारे, गेंद का खेल खेलने आए । खेल कोई भी हो दो दल बनाने पड़ते हैं तभी खेल होता है  ।         

       श्रीरामजी ने  लक्ष्मणजी को देखा, तो श्रीलक्ष्मणजी ने सोचा, कि  कहीं  ऐसा न हो कि भगवान हमें खेल में अपने खिलाफ खड़ा कर दें, लक्ष्मण जी खेल में भी भगवान के खिलाफ नहीं खड़ा  होना  चाहते, बोले  प्रभु यदि खिलाड़ी बनाना है तो, हमें अपने पक्ष में ही रखना, क्योंकि  मैं खेल में भी आपके खिलाफ में नहीं रह सकता । 

       श्रीरामजी ने कहा! लक्ष्मण आओ तुम हमारी तरफ हो जाओ । लेकिन कठिनाई यह है कि सभी पक्ष में ही रहेंगे,तो विपक्ष में कौन खड़ा होगा । और बिना दो दल के खेल कैसे होगा । असमंजस में पड़े श्री राम जी की दृष्टि भरत जी की ओर गई । भरत जी समझ गए और तुरंत विपक्ष में जाकर खड़े हो गए । किसी ने भरत जी से कहा रामजी ने लक्ष्मण को तो अपने पक्ष में रखा आपको अपने विपक्ष में रखा । क्या आपको इसकी परवाह नहीं है । 

     भाव विह्वल होकर भरत ने कहा हमें इसकी कोई परवाह नहीं है । भगवान हमें पक्ष में रखें या विपक्ष में हमारा तो एक ही उद्देश्य है कि, भगवान का खेल पूरा होना चाहिए । चाहे पक्ष में रहने से पूरा हो अथवा विपक्ष में  हमें कोई अंतर नहीं पड़ता । परन्तु खेल में विपक्ष में रामजी से दूर हो जाओगे लाभ क्या है ।

      श्रीभरत जी ने कहा यह तो अपने-अपने देखने का ढंग है हमें तो लाभ हुआ है, क्योंकि अगर विचार करें तो खेल में  लाभ बिपक्ष वालों को अधिक मिलता है । क्योंकि श्री रामजी के पक्ष में जो खड़े हैं वे तो हमें देख रहे हैं । और हम जो विपक्ष में खड़े हैं तो राम जी को देख रहे हैं । तो दर्शन का अवसर जो विपक्ष वालों को मिल रहा है वह पक्ष वालों को नहीं मिल रहा है । क्योंकि  पक्ष वाले तो दाएं- बाएं खड़े हैं विपक्षी सन्मुख है ।

        अब गेंद का खेल शुरू हुआ श्री राम जी ने गेंद पर ठोकर लगाई,गेंद बड़ी तेजी से लुढ़कता हुआ भरत जी के पास आया, भरत जी ने दुगने वेग से गेंद पर जोर की ठोकर लगाई । गेंद  रामजी  के पास गया, रामजी ने पुनः गेंद को ठुकराया नहीं । लोगों ने कहा भरत जी जीतना चाहते थे  इसलिए गेंद पर  इतनी जोर की ठोकर लगाई भरत  जी  से पूछा गया क्या आप ने गेंद पर इसलिए जोर की ठोकर लगाई कि आप रामजी के जीतना चाहते थे । श्रीभरतजी बोले?यह बात नहीं है । जब वह गेंद मेरी ओर आ रहा था तो हमें लगा, कि यह गेंद  कितना अभागा है, जो भगवान के चरणों को छोड़कर इधर आ रहा है । मुझे लगा कि जो भगवान के चरणों को छोड़कर भागे । उस पर तो ऐसी जोर की ठोकर लगानी चाहिए, कि वह सोच ले कि भगवान के चरणों को छोड़कर जहां जाएंगे वहां ठोकर ही ठोकर मिलेगा और कुछ नहीं मिलेगा । 

 श्रीरामजी से पूछा गया आपने गेंद को दुबारा क्यों नहीं ठुकराई,  रामजी बोले वैसे तो किसी को भी ठुकराने की मेरी आदत नहीं, पर खेल में गेंद को ठोकर लगा भी देता लेकिन यह गेंद मेरे लिए साधारण नहीं रह गई, क्योंकि इस पर तो भरतजी ने अपने पैर का ठोकर लगा कर वापस भेज दिया, और संत जिसे अपने चरण जोड़कर मेरी तरफ भेज देते हैं,मैं उसे ठुकराता नहीं ।यही मेरा स्वभाव है ।

 आपने यह कथा सुनी होगी,जब गजराज का पैर ग्राह ने पकड़ लिया, गज ने भगवान को पुकारा, भगवान आए गजराज का पूरा शरीर जल में डूब गया था ग्राह खींचे ले जा रहा था । फिर बचाने के लिए आंखों में आंसू लिए गज ऊपर देख रहा हैं । भगवान पधारे भगवान ने चक्र चलाया और ग्राह की गर्दन काटी, गजराज का उद्धार हो गया । लेकिन गजराज ने देखा चतुर्भुज रूपधारी दिव्य पुरुष भगवान की स्तुति कर रहा है ।गजराज ने पूछा प्रभु कौन है यह, भगवान मुस्कुराए, वही ग्राह, ।गज ने कहा समझ में नहीं आता नाथ? क्या न्याय किया है । रोते गजराज ने कहा चिल्लाया मैं, रोया मैं, डूबा भी मैं।

 और आपने ग्राह का उद्धार पहले कर दिया । मैं हाथी के ही रूप में रहा और आपने ग्राह को हरि रूप प्राप्त करा दिया । उद्धार करना था तो बाद में करते, उसका उद्धार पहले ही क्यों किया ।भगवान ने कहा गजराज मैं विवस था, 

 क्योंकि तुमने मुझे पुकारा, और ग्राह ने तुम्हारा पांव पकड़ा था। मैं अपने पुकारने वाले का उद्धार बाद में करता हूं, उसका पांव पकड़ने वाले का उद्धार पहले करता हूं, 

 यही कारण है भरत जैसे संत के चरणों को छूकर गए आई वह गेंद मेरे लिए उपहार है ।  भरतजी सिर झुकाए बैठे हैं संकोच में । रामजी प्रसन्न हैं जीत की खुशी में अशर्फियां बांट रहे हैं। कैसी जीत भगवान श्रीराम ने कहा कि  मेरा भरत जीत गया है ।जब कोई भरत जी से पूछता है कि, आपने रामजी को हरा दिया। आप जीत गए तो भारत कहते मैंने श्रीरामजी को हराया नहीं है । श्री राम जी तो कह रहे हैं कि भरत जीत गए । यही तो बात है भरतजी कहते हैं मैंने श्रीरामजी को हराया नहीं, बल्कि उन्होंने मुझे जीता दिया है। आध्यात्मिक दृष्टि में यह संसार खेलने हेतु भगवान ने बनाया है । गेंद रूपी समस्त जीवात्मा ही भगवान के खिलौने हहै ।जीव जब संत- सद्गुरु द्वारा शरणागति आश्रय लेकर आते हैं ।तो ऐसे जीव को भगवान अपना बना लेते हैं ।जीव ईश्वर का खिलौना बन जाए यही जीवन की पूर्णता है ।

POPULAR POSTS$type=three$author=hide$comment=hide$rm=hide

TOP POSTS (30 DAYS)$type=three$author=hide$comment=hide$rm=hide

Name

about us,2,Best Gazzal,1,bhagwat darshan,3,bhagwatdarshan,2,birthday song,1,computer,37,Computer Science,38,contact us,1,darshan,16,Download,4,General Knowledge,31,Learn Sanskrit,3,medical Science,1,Motivational speach,1,poojan samagri,4,Privacy policy,1,psychology,1,Research techniques,39,solved question paper,3,sooraj krishna shastri,6,Sooraj krishna Shastri's Videos,60,अध्यात्म,200,अनुसन्धान,22,अन्तर्राष्ट्रीय दिवस,4,अभिज्ञान-शाकुन्तलम्,5,अष्टाध्यायी,1,आओ भागवत सीखें,15,आज का समाचार,26,आधुनिक विज्ञान,22,आधुनिक समाज,151,आयुर्वेद,45,आरती,8,ईशावास्योपनिषद्,21,उत्तररामचरितम्,35,उपनिषद्,34,उपन्यासकार,1,ऋग्वेद,16,ऐतिहासिक कहानियां,4,ऐतिहासिक घटनाएं,13,कथा,6,कबीर दास के दोहे,1,करवा चौथ,1,कर्मकाण्ड,122,कादंबरी श्लोक वाचन,1,कादम्बरी,2,काव्य प्रकाश,1,काव्यशास्त्र,32,किरातार्जुनीयम्,3,कृष्ण लीला,2,केनोपनिषद्,10,क्रिसमस डेः इतिहास और परम्परा,9,खगोल विज्ञान,1,गजेन्द्र मोक्ष,1,गीता रहस्य,2,ग्रन्थ संग्रह,1,चाणक्य नीति,1,चार्वाक दर्शन,3,चालीसा,6,जन्मदिन,1,जन्मदिन गीत,1,जीमूतवाहन,1,जैन दर्शन,3,जोक,6,जोक्स संग्रह,5,ज्योतिष,51,तन्त्र साधना,2,दर्शन,35,देवी देवताओं के सहस्रनाम,1,देवी रहस्य,1,धर्मान्तरण,5,धार्मिक स्थल,50,नवग्रह शान्ति,3,नीतिशतक,27,नीतिशतक के श्लोक हिन्दी अनुवाद सहित,7,नीतिशतक संस्कृत पाठ,7,न्याय दर्शन,18,परमहंस वन्दना,3,परमहंस स्वामी,2,पारिभाषिक शब्दावली,1,पाश्चात्य विद्वान,1,पुराण,1,पूजन सामग्री,7,पूजा विधि,1,पौराणिक कथाएँ,64,प्रत्यभिज्ञा दर्शन,1,प्रश्नोत्तरी,28,प्राचीन भारतीय विद्वान्,100,बर्थडे विशेज,5,बाणभट्ट,1,बौद्ध दर्शन,1,भगवान के अवतार,4,भजन कीर्तन,39,भर्तृहरि,18,भविष्य में होने वाले परिवर्तन,11,भागवत,1,भागवत : गहन अनुसंधान,28,भागवत अष्टम स्कन्ध,28,भागवत अष्टम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत एकादश स्कन्ध,31,भागवत एकादश स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत कथा,134,भागवत कथा में गाए जाने वाले गीत और भजन,7,भागवत की स्तुतियाँ,4,भागवत के पांच प्रमुख गीत,3,भागवत के श्लोकों का छन्दों में रूपांतरण,1,भागवत चतुर्थ स्कन्ध,31,भागवत चतुर्थ स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत तृतीय स्कंध(हिन्दी),9,भागवत तृतीय स्कन्ध,33,भागवत दशम स्कन्ध,91,भागवत दशम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत द्वादश स्कन्ध,13,भागवत द्वादश स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत द्वितीय स्कन्ध,10,भागवत द्वितीय स्कन्ध(हिन्दी),10,भागवत नवम स्कन्ध,38,भागवत नवम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत पञ्चम स्कन्ध,26,भागवत पञ्चम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत पाठ,58,भागवत प्रथम स्कन्ध,22,भागवत प्रथम स्कन्ध(हिन्दी),19,भागवत महात्म्य,3,भागवत माहात्म्य,18,भागवत माहात्म्य स्कन्द पुराण(संस्कृत),2,भागवत माहात्म्य स्कन्द पुराण(हिन्दी),2,भागवत माहात्म्य(संस्कृत),2,भागवत माहात्म्य(हिन्दी),9,भागवत मूल श्लोक वाचन,55,भागवत रहस्य,53,भागवत श्लोक,7,भागवत षष्टम स्कन्ध,19,भागवत षष्ठ स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत सप्तम स्कन्ध,15,भागवत सप्तम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत साप्ताहिक कथा,9,भागवत सार,34,भारतीय अर्थव्यवस्था,8,भारतीय इतिहास,21,भारतीय दर्शन,4,भारतीय देवी-देवता,8,भारतीय नारियां,2,भारतीय पर्व,48,भारतीय योग,3,भारतीय विज्ञान,37,भारतीय वैज्ञानिक,2,भारतीय संगीत,2,भारतीय सम्राट,1,भारतीय संविधान,1,भारतीय संस्कृति,4,भाषा विज्ञान,15,मनोविज्ञान,4,मन्त्र-पाठ,8,मन्दिरों का परिचय,1,महाकुम्भ 2025,3,महापुरुष,43,महाभारत रहस्य,34,मार्कण्डेय पुराण,1,मुक्तक काव्य,19,यजुर्वेद,3,युगल गीत,1,योग दर्शन,1,रघुवंश-महाकाव्यम्,5,राघवयादवीयम्,1,रामचरितमानस,4,रामचरितमानस की विशिष्ट चौपाइयों का विश्लेषण,126,रामायण के चित्र,19,रामायण रहस्य,65,राष्ट्रीय दिवस,4,राष्ट्रीयगीत,1,रील्स,7,रुद्राभिषेक,1,रोचक कहानियाँ,151,लघुकथा,38,लेख,182,वास्तु शास्त्र,14,वीरसावरकर,1,वेद,3,वेदान्त दर्शन,9,वैदिक कथाएँ,38,वैदिक गणित,2,वैदिक विज्ञान,2,वैदिक संवाद,23,वैदिक संस्कृति,32,वैशेषिक दर्शन,13,वैश्विक पर्व,10,व्रत एवं उपवास,36,शायरी संग्रह,3,शिक्षाप्रद कहानियाँ,119,शिव रहस्य,1,शिव रहस्य.,5,शिवमहापुराण,14,शिशुपालवधम्,2,शुभकामना संदेश,7,श्राद्ध,1,श्रीमद्भगवद्गीता,23,श्रीमद्भागवत महापुराण,17,सनातन धर्म,2,सरकारी नौकरी,1,सरस्वती वन्दना,1,संस्कृत,10,संस्कृत गीतानि,36,संस्कृत बोलना सीखें,13,संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ,6,संस्कृत व्याकरण,26,संस्कृत साहित्य,13,संस्कृत: एक वैज्ञानिक भाषा,1,संस्कृत:वर्तमान और भविष्य,6,संस्कृतलेखः,2,सांख्य दर्शन,6,साहित्यदर्पण,23,सुभाषितानि,8,सुविचार,5,सूरज कृष्ण शास्त्री,453,सूरदास,1,स्तोत्र पाठ,60,स्वास्थ्य और देखभाल,4,हमारी प्राचीन धरोहर,1,हमारी विरासत,3,हमारी संस्कृति,98,हँसना मना है,6,हिन्दी रचना,33,हिन्दी साहित्य,5,हिन्दू तीर्थ,3,हिन्दू धर्म,2,
ltr
item
भागवत दर्शन: भगवान का अद्भुत खेल
भगवान का अद्भुत खेल
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjFWM8U4c5xeMW5qqFuZU1qsFO1R_v8_fhoy-pr38nMyreoBoWlU048O58mVvtER8IoHmYL5GvFxgvM1HHjZzup2trP8mOGofrVXDG1KgC8P53cKOgn8LGas8pEuNJjZ_LPlbbb99QLPAdtG-ux6ux5SadlX8fOv49rQE-K6tIxbNGuaQjYuhKW-hZY/s320/IMG_20221220_164715.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjFWM8U4c5xeMW5qqFuZU1qsFO1R_v8_fhoy-pr38nMyreoBoWlU048O58mVvtER8IoHmYL5GvFxgvM1HHjZzup2trP8mOGofrVXDG1KgC8P53cKOgn8LGas8pEuNJjZ_LPlbbb99QLPAdtG-ux6ux5SadlX8fOv49rQE-K6tIxbNGuaQjYuhKW-hZY/s72-c/IMG_20221220_164715.jpg
भागवत दर्शन
https://www.bhagwatdarshan.com/2022/12/blog-post_20.html
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/2022/12/blog-post_20.html
true
1742123354984581855
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content