भारतीय संविधान के अनुच्छेदों का सामान्य परिचय
(Indian Constitution )
भाग 1(अनु.1से 4)
अनुच्छेद 1:- संघ का नाम और राज्य क्षेत्र
अनुच्छेद 2 :- नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
अनुच्छेद 2(क) :- अनुच्छेद 2 क – सिक्किम का संघ के साथ सहयुक्त किया जाना (संविधान के छत्तीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 5 द्वारा 26-4-1975 से निरसित)
अनुच्छेद 3 :- राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों में परिवर्तन
अनुच्छेद 4 :- पहली अनुसूची व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुच्छेद दो और तीन के अधीन बनाई गई विधियां
भाग 2( नागरिकता(अनु.5से 11)
अनुच्छेद 5 :- संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
अनुच्छेद 6 :- पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता
अनुच्छेद 7 :-पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता
अनुच्छेद 8 :- भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता
अनुच्छेद 9 :- विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर नागरिकता का ना होना
अनुच्छेद 10 :- नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
अनुच्छेद 11 :- संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन
भाग-3 मौलिक अधिकार(अनु. 12 से 35)
अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा
अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां
अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता
अनुच्छेद 15 :- धर्म, जाति, लिंग पर भेद का प्रतिषेध
अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन में अवसर की समानता
अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत
अनुच्छेद 18 :- उपाधियों का अंत
अनुच्छेद 19 :- बोलने (वाक्) की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण
अनुच्छेद 21 :-प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
अनुच्छेद 21(क) :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार
अनुच्छेद 22 :- कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण
अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार और बाल आश्रम
अनुच्छेद 24 :- कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिषेध
अनुच्छेद 25 :- धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 26 :- धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 27 :- किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए करों के भुगतान के रूप में स्वतंत्रता।
अनुच्छेद 28 :- कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता
अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
अनुच्छेद 30 :- शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
अनुच्छेद 31 :- संपत्ति का अनिवार्य अर्जन (अनुच्छेद 31 के अनुसार, प्रारंभ में सम्पति का अर्जन एक मूल अधिकार था जो 44वां संविधान संशोधन के बाद कानूनी अधिकार का रूप दे दिया गया।(निरसन)
अनुच्छेद 31(क) :- संपदाओं आदि के अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
अनुचछेद 31(ख) :- कुछ अधिनियमों और विनियमों का विधिमान्यकरण
अनुच्छेद 31(ग) :- कुछ निदेशक तत्वों को प्रभाव करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
अनु्च्छेद 31(घ) :- राष्ट्र विरोधी क्रियाकलाप के संबंध में विधियों की व्यावृत्ति (संविधान (तैंतालीसवां संशोधन) अधिनि यम, 1977 की धारा 2 द्वारा ( 13-4-1978 से) निरसित
अनुच्छेद 32 :- अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार
अनुच्छेद 32(क) :- राज्य विधियों की सांविधानिक वैधता पर अनुच्छेद 32 के अधीन कार्यवाहियोँ में विचार न किया जाना। संविधान के बयालीसवें संशोधन अधिनियम, 1976 की धारा 6 द्वारा (3-1-1977 से) अंतः स्थापित तथा संविधान के तैंतालीसवें संशोधन अधिनियम, 1977 की धारा 3 द्वारा (13-4-1978 से) निरसित।
अनुच्छेद 33 :- सशस्त्र बलों, पुलिस बलों आदि के सदस्यों के मूल अधिकारों पर प्रतिबंध
अनुच्छेद 34 :- किसी सरकारी कर्मचारी या अन्य व्यक्ति को किसी क्षेत्र में मार्शल लॉ के दौरान किसी कृत्य हेतु क्षतिपूर्ति देना
अनुच्छेद 35 :- अनुच्छेद 35 केवल संसद को कुछ विशेष मूल अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए कानून बनाने कि शक्ति प्रदान करता है। जैसे कि – (अ) राज्य, केंद्र या किसी भी प्राधिकरण में किसी रोजगार या नियुक्ति के लिए निवास की व्यवस्था करना (अनुच्छेद 16(3) में इसकी व्यवस्था है)। (ब) मूल अधिकारों के क्रियान्वयन के लिए रिट जारी करने के लिए उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों को छोड़कर अन्य न्यायालयों को ये शक्ति देना (अनुच्छेद 32(3) में इसकी व्यवस्था है)। (स) सशस्त्र बलों, लों पुलिस बलों आदि के सदस्यों के मूल अधिकारों पर प्रतिबंध (अनुच्छेद 33 में इसकी व्यवस्था है)। (द) किसी सरकारी कर्मचारी या अन्य व्यक्ति को किसी क्षेत्र में मार्शल लॉ के दौरान किसी कृत्य हेतु क्षतिपूर्ति देना (जो कि अनुच्छेद 34 का हिस्सा है)। इसी तरह से संसद के पास दंडित करने के लिए भी कानून बनाने का अधिकार होगा। जैसे कि (अ) अस्पृश्यता के लिए, जिसका जिक्र अनुच्छेद 17 में है (ब) मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम का प्रतिषेध आदि ।
भाग-4 नीति निर्देशक तत्त्व(अनु.36 से 51)
अनुच्छेद 36 :- राज्य की परिभाषा
अनुच्छेद 37 :- नीति निर्देशक तत्व के हनन होने पर न्यायलय की शरण संभव नहीं
अनुच्छेद 38 :- लोक कल्याणकारी राज्य तथा उसकी नीतियों का वर्णन
अनुच्छेद 39 :- राज्य भौतिक और अभौतिक साधनों के सकेन्द्रण को रोकेगा
अनुच्छेद 39(क) :- समान न्याय और नि:शुल्क विधिक सहायता
अनुच्छेद 40 :- ग्राम पंचायतों का संगठन
अनुच्छेद 41:- कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार
अनुच्छेद 42 :- काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध
अनुच्छेद 43 :- राज्य सभी कामगारों के लिये निर्वाह योग्य मज़दूरी और एक उचित जीवन स्तर सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।
अनुच्छेद 43(क):- उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये राज्य कदम उठाएगा।
अनुच्छेद 44 :- राज्य अपने नागरिकों के लिए भारत के पूरे क्षेत्र में एक समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) प्रदान करने का प्रयास करेगा।
अनुच्छेद 45 :- राज्य के लिए प्रदान करने का प्रयास, दस साल की अवधि के भीतर होगा मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के लिए इस संविधान के सभी बच्चों के लिए प्रारंभ से जब तक वे चौदह वर्ष की आयु पूर्ण करें
अनुच्छेद 46 :- अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा समाज के कमज़ोर वर्गों के शैक्षणिक व आर्थिक हितों को प्रोत्साहन और सामाजिक अन्याय एवं शोषण से सुरक्षा
अनुच्छेद 47 :- राज्य को अपने प्राथमिक कर्तव्यों के रूप में पोषण के स्तर और जीवन स्तर को बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने का निर्देश
अनुच्छेद 48 :- कृषि और पशुपालन संगठन
अनुच्छेद 48(क) :- पर्यावरण वन तथा वन्य जीवों की रक्षा
अनुच्छेद 49 :- राष्ट्रीय स्मारक स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
अनुछेद 50 :- कार्यपालिका से न्यायपालिका का प्रथक्करण
अनुच्छेद 51 :- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
भाग-4(क) मूल कर्त्तव्य, अनु. (51क)
अनुच्छेद 51(क) :- मूल कर्तव्य
भाग-5 संघ (अनु. 52 से 151 )
अनुच्छेद 52 :- भारत का राष्ट्रपति
अनुच्छेद 53 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति
अनुच्छेद 54 :- राष्ट्रपति का निर्वाचन
अनुच्छेद 55 :- राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीती
अनुच्छेद 56 :- राष्ट्रपति की पदावधि
अनुच्छेद 57 :- पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
अनुच्छेद 58 :- राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए आहर्ताए
अनुच्छेद 59 :- राष्ट्रपति पद के लिए शर्ते
अनुच्छेद 60 :- राष्ट्रपति की शपथ
अनुच्छेद 61 :- राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
अनुच्छेद 62 :- राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति को भरने के लिए निर्वाचन का समय और रीतियां
अनुच्छेद 63 :- भारत का उपराष्ट्रपति
अनुच्छेद 64 :- उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना
अनुच्छेद 65 :- राष्ट्रपति के पद की रिक्त पर उप राष्ट्रपति के कार्य
अनुच्छेद 66 :- उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन
अनुच्छेद 67 :- उपराष्ट्रपति की पदावधि
अनुच्छेद 68 :- उप राष्ट्रपति के पद की रिक्त पद भरने के लिए निर्वाचन
अनुच्छेद 69 :- उप राष्ट्रपति द्वारा शपथ
अनुच्छेद 70 :- अन्य आकस्मिकता में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन
अनुच्छेद 71 :- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधित विषय
अनुच्छेद 72 :-क्षमादान की शक्ति
अनुच्छेद 73 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार ॉ
अनुच्छेद 74 :- राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद
अनुच्छेद 75 :- मंत्रियों के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 76 :- भारत का महान्यायवादी
अनुच्छेद 77 :- भारत सरकार के कार्य का संचालन
अनुच्छेद 78 :- राष्ट्रपति को जानकारी देने के प्रधानमंत्री के कर्तव्य
अनुच्छेद 79 :- संसद का गठन
अनुच्छेद 80 :- राज्य सभा की सरंचना
अनुच्छेद 81 :- लोकसभा की संरचना
अनुच्छेद 82 :- प्रत्येक जनगणना के पश्चात् पुनः समायोजन
अनुच्छेद 83 :- संसद के सदनो की अवधि
अनुच्छेद 84 :-संसद के सदस्यों के लिए अहर्ता
अनुच्छेद 85 :- संसद का सत्र सत्रावसान और विघटन
अनुच्छेद 86 :- राष्ट्रपति को संसद को संबोधित और संसद को संदेश भेजने का अधिकार
अनुच्छेद 87 :- राष्ट्रपति का विशेष अभी भाषण
अनुच्छेद 88 :- सदनों के बारे में मंत्रियों और महानयायवादी अधिकार
अनुच्छेद 89 :-राज्यसभा का सभापति और उपसभापति
अनुच्छेद 90 :- उपसभापति का पद रिक्त होना या पद हटाया जाना
अनुच्छेद 91 :-सभापति के कर्तव्यों का पालन और शक्ति
अनुच्छेद 92 :- सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो तब उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 93 :- लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
अनुचित 94 :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना
अनुच्छेद 95 :- अध्यक्ष में कर्तव्य एवं शक्तियां
अनुच्छेद 96 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का संकल्प हो तब उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 97 :- सभापति उपसभापति तथा अध्यक्ष,उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते
अनुच्छेद 98 :- संसद का सविचालय
अनुच्छेद 99 :- सदस्य द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 100 :- संसाधनों में मतदान रिक्तियां के होते हुए भी सदनों के कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
अनुच्छेद 101 :- स्थानों का रिक्त होना, अर्थात् कोई व्यक्ति संसद के दोनों सदनों का सदस्य नहीं होगा और जो व्यक्ति दोनों सदनों का सदस्य चुन लिया जाता है उसके एक या दूसरे सदन के स्थान को रिक्त करने के लिए संसद विधि द्वारा उपबंध करेगी।
अनुच्छेद 102 :- संसद की सदस्यता के लिए अयोग्यता
अनुच्छेद 103 :- संसद के सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय
अनुच्छेद 104 :- अनुच्छेद 99 के तहत शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अयोग्य होने पर या अयोग्य होने पर बैठने और मतदान करने के लिए दंड
अनुच्छेद 105 :- संसद के सदनों और उसके सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार आदि
अनुच्छेद 106 :- संसद के सदस्यों के वेतन और भत्ते
अनुच्छेद 107 :- विधेयकों को पुर:स्थापित करने और पारित करने के संबंध में उपबंध
अनुच्छेद 108 :- कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
अनुत्छेद 109 :- धन विधेयक के संबंध में विशेष प्रक्रिय
अनुच्छेद 110 :- धन विधायक की परिभाषा
अनुच्छेद 111 :- विधेयकों पर अनुमति
अनुच्छेद 112 :- वार्षिक वित्तीय विवरण
अनुच्छेद 118 :- प्रक्रिया के नियम
अनुच्छेद 120 :- संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा
अनुच्छेद 123 :- संसद विश्रांति काल में राष्ट्रपति की अध्यादेश शक्ति
अनुच्छेद 124 :- उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन
अनुच्छेद 125 :- न्यायाधीशों का वेतन
अनुच्छेद 126 :- कार्य कार्य मुख्य न्याय मूर्ति की नियुक्ति
अनुच्छेद 127 :- तदर्थ न्यायमूर्तियों की नियुक्ति
अनुच्छेद 128 :- सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति
अनुच्छेद 129 :- उच्चतम न्यायालय का अभिलेख नयायालय होना
अनुच्छेद 130 :- उच्चतम न्यायालय का स्थान
अनुच्छेद 131 :- उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता
अनुच्छेद 131(क) :- केन्द्रीय विधियों की सांविधानिक वैधता से संबंधित प्रश्नों के बारे में उच्चतम न्यायालय की अनन्य अधिकारिता । 43वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1977 की धारा 4 द्वारा (13- 4-1978) से निरसित । 7वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 की धारा 5 द्वारा परन्तु (क) के स्थान पर (1-11-1956 से) प्रतिस्थापित तथा 42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 की धारा 23 द्वारा (1-2-1977 से) अंतः स्थापित
अनुच्छेद 132 :- कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
अनुच्छेद 133 :- उच्च न्यायालयों में सिविल विषयों से संबंधित अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
अनुच्छेद 134 :- दांडिक विषयों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
अनुच्छेद 134 (क) :- उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए प्रमाणपत्र
अनुच्छेद 135 :- विद्यमान विधि के अधीन फेडरल न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना
अनुच्छेद 136 :- अपील के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत
अनुच्छेद 137 :- निर्णय एवं आदेशों का पुनर्विलोकन
अनुच्छेद138 :- उच्चतम न्यायालय की अधिकारिता की वृद्धि
अनुच्छेद139 :- कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना
अनुच्छेद139(क) :- कुछ मामलों का अंतरण
अनुच्छेद 140 :-उच्चतम न्यायालय की आनुषंगिक शक्तिया
अनुच्छेद 141 :- उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि का सभी न्यायालयों पर आबद्धकर होना
अनुच्छेद 142 :- उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश
अनुच्छेद 143 :- उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद144 :- सिविल एवं न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता
अनुच्छेद144(क) :- विधियों की सांविधानिक वैधता से संबंधित प्रश्नों के निपटारे के बारे में विशेष उपबंध (संविधान (43वाँ संशोधन) धारा 5 द्वारा (13-4-1978 से) निरसित।
अनुच्छेद 145 :- न्यायालय के नियम आदि
अनुच्छेद 146 :- उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय
अनुच्छेद 147 :- निर्वचन (भारत शासन अधिनि यम, 1935 के, जिसके अंतर्गत उस अधिनियम की संशोधक या अनुपूरक कोई अधिनियम उसके अधीन बनाए गए किसी आदेश के अथवा भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के या उसके अधीन बनाए विधि के किसी सारवान् प्रश्न के प्रति निर्देश है।)
अनुच्छेद 148 :- भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक
अनुच्छेद 149 :- नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कर्तव्य शक्तिया
अनुच्छेद 150 :- संघ के राज्यों के लेखन का प्रारूप
अनुच्छेद151 :- संपरीक्षा प्रतिवेदन
भाग-6 राज्य ( अनु.152 से 237 )
अनुच्छेद152 :- परिभाषा
अनुच्छेद 153 :- राज्यों के राज्यपाल
अनुच्छेद 154 :- राज्य की कार्यपालिका शक्ति
अनुच्छेद 155 :- राज्यपाल की नियुक्ति
अनुच्छेद 156 :- राज्यपाल की पदावधि
अनुच्छेद 157 :- राज्यपाल नियुक्त होने की अर्हताएँ
अनुच्छेद 158 :- राज्यपाल के पद के लिए शर्तें
अनुच्छेद 159 :- राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद160 :- कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन
अनुच्छेद161 :- क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति
अनुच्छेद162 :- राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
अनुच्छेद 163 :- राज्यपाल को सलाह देने के लिए मंत्री परिषद
अनुच्छेद 164 :- मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
अनुच्छेद 165 :- राज्य का महाधिवक्ता
अनुच्छेद 166 :- राज्य सरकार का संचालन
अनुच्छेद 167 :- राज्यपाल को जानकारी देने के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य
अनुच्छेद 168 :- राज्य के विधान मंडल का गठन
अनुच्छेद 169 :- राज्यों में विधान परिषदों का उत्सादन या सृजन
अनुच्छेद 170 :- विधानसभाओं की संरचना
अनुच्छेद 171 :- विधान परिषद की संरचना
अनुच्छेद 172 :- राज्यों के विधानमंडल कि अवधि
अनुच्छेद 173 :- राज्य के विधान-मंडल की सदस्यता के लिए अर्हता
अनुच्छेद 174 :- राज्य के विधान-मंडल के सत्र, सत्रावहसान और विघटन
अनुच्छेद 175 :- सदन और सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राज्यपाल का अधिकार
अनुच्छेद 176 :- राज्यपाल का विशेष अभिभाषण
अनुच्छेद 177 :- सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार
अनुच्छेद 178 :- विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
अनुच्छेद 179 :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना या पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 180 :- अध्यक्ष के पदों के कार्य व शक्ति
अनुच्छेद 181 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प पारित होने पर उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 182 :- विधान परिषद का सभापति और उपसभापति
अनुच्छेद 183 :- सभापति और उपासभापति का पद रिक्त होना पद त्याग या पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 184 :- सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन व शक्ति
अनुच्छेद185 :- सभापति उपसभापति को पद से हटाए जाने का संकल्प विचाराधीन होने पर उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 186 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते
अनुच्छेद 187 :- राज्य के विधान मंडल का सविचाल.
अनुच्छेद 188 :- सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 189 :- सदनों में मतदान रिक्तियां होते हुए भी साधनों का कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
अनुच्छेद 190 :- स्थानों का रिक्त होना
अनुच्छेद 191 :- सदस्यता के लिए निरर्हताएं
अनुच्छेद 192 :- सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय
अनुच्छेद 193 :- अनुच्छेद 188 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञा करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति
अनुच्छेद 194 :- विधानमंडलों के सदनों की तथा सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषधिकार आदि
अनुच्छेद 195 :- सदस्यों के वेतन और भत्ते
अनुच्छेद 196 :- विधेयकों के पुर: स्थापन और पारित किए जाने के संबंध में उपबंध
अनुच्छेद 197 :- धन विधेयकों से भिन्न विधेयकों के बारे में विधान परिषद की शक्तियों पर निर्बंधन
अनुच्छेद 198 :- धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिय
अनुच्छेद 199 :- धन विदेश की परिभाषा
अनुच्छेद 200 :- विधायकों पर अनुमति
अनुच्छेद 201 :- विचार के लिए आरक्षित विधेयक
अनुच्छेद 202 :- वार्षिक वित्तीय विवरण
अनुच्छेद 203 :- विधान-मंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया
अनुच्छेद 204 :- विनियोग विधेयक
अनुच्छेद 205 :- अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान
अनुच्छेद 206 :- लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान
अनुच्छेद 207 :- वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 208 :- प्रक्रिया के नियम
अनुच्छेद 209 :- राज्य के विधान-मंडल में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन
अनुच्छेद 210 :- विधान मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा
अनुच्छेद 211 :- विधानमंडल में चर्चा पर निर्बंधन
अनुच्छेद 212 :- न्यायालयों द्वारा विधन मंडल की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना
अनुच्छेद 213 :- विधानमंडल में अध्यादेश सत्यापित करने के लिए राज्यपाल की शक्ति
अनुच्छेद 214 :- राज्यों के लिए उच्च न्यायालय
अनुच्छेद 215 :- उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना
अनुच्छेद 216 :- उच्च न्यायालय का गठन
अनुच्छेद 217 :- उच्च न्यायालय न्यायाधीश की नियुक्ति पद्धति शर्तें
अनुच्छेद 218 :- उच्चतम न्यायालय से संबंधित कुछ उपबंधों का उच्च न्यायालयों का लागू होना
अनुच्छेद 219 :- उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 220 :- स्थायी न्यायाधीश रहने के पश्चात विधि-व्यवसाय पर निर्बंधन
अनुच्छेद 221 :- न्यायाधीशों का वेतन
अनुच्छेद 222 :- एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में न्यायाधीशों का अंतरण
अनुच्छेद 223 :- कार्यकारी मुख्य न्याय मूर्ति के नियुक्ति
अनुच्छेद 224 :- अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 224(क) :- उच्च न्यायालयों की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 225 :- विद्यमान उच्च न्यायालयों की अधिकारित
अनुच्छेद 226 :- कुछ रिट निकालने के लिए उच्च न्यायालय की शक्ति
अनुच्छेद 226(क) :- निरसित, अनुच्छेद 226 के अधीन कार्यवाहियों में केन्द्रीय विधियों की सांविधानिक वैधता पर विचार न किया जाना । संविधान (तैंतालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1977 की धारा 8 द्वारा (13-4-1978 से) निरसित।
अनुच्छेद 227 :- सभी न्यायालयों के अधीक्षण की उच्च न्यायालय की शक्ति
अनुच्छेद 228 :- कुछ मामलों का उच्च न्यायालय को अंतरण
अनुच्छेद 228(क) :- निरसित, राज्य विधियों की सांविधानिक वैधता से संबंधित प्रश्नों के निपटारे के बारे में विशेष उपबंध। संविधान (तैंतालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1977 की धारा 10 द्वारा (13-4-1978 से) निरसित
अनुच्छेद 229 :- उच्च न्यायालयों के अधिकारी और सेवक तथा व्यय
अनुच्छेद 230 :- उच्च न्यायालयों की अधिकारिता का संघ राज्य क्षेत्रों पर विस्तार
अनुच्छेद 231 :- दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना
अनुच्छेद- 232 :- निर्वचन (संविधान सातवां संशोधन, अधिनियम, 1956 की धारा 6 द्वारा (1-11-1956 से) अनुच्छेद 230, 231 और 232 प्रतिस्थापित किया गया।)
अनुच्छेद 233 :- जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 233(क) :- कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्तियों का और उनके द्वारा किए गए निर्णयों आदि का विधिमान्यकरण
अनुच्छेद 234 :- न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीशों से भिन्न व्यक्तियों की भर्ती
अनुच्छेद 235 :- अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण
अनुच्छेद 236 :- निर्वचन
अनुच्छेद 237 :- कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबंधों का लागू होना
भाग-7 पहली अनुसूची के भाग ख के राज्य (अनु. 238, निरसित)
अनुच्छेद 238 :- निरसित । पहली अनुसूची के भाग ख के राज्य (संविधान,सातवां संशोधन, अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा 1-11-1956 से निरसित।)
भाग-8 संघ राज्य क्षेत्र ( अनु. 239 से 242 )
अनुच्छेद 239 :- संघ राज्यक्षेत्रों का प्रशासन
अनुच्छेद 239(क) :- कुछ संघ राज्य क्षेत्रों के लिए स्थानीय विधान मंडलों या मंत्रि-परिषदों का या दोनों का सृजन
अनुच्छेद 239(क) :- दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 239(क)(क) :- सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध
अनुच्छेद 239(क)(ख) :- विधान मंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की प्रशासक की शक्ति
अनुच्छेद 240 :- कुछ संघ राज्य क्षेत्रों के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद 241 :- संघ राज्य क्षेत्र के लिए उच्च-न्यायालय
अनुच्छेद 242 :- निरसित। कोडगू-॥ ,(संविधान, सातवां संशोधन, अधिनियम 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित ।
भाग-9 पंचायतें ( अनु. 243 से 243ण तक)
अनुच्छेद 243 :- पंचायत नगर पालिकाएं एवं सहकारी समितियां
अनुच्छेद 243(क) :- ग्रामसभा
अनुच्छेद 243(ख) :- पंचायतों का गठन
अनुच्छेद 243(ग) :- पंचायतों की संरचना
अनुच्छेद 243(घ) :- स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद 243(ड) :- पंचायतों की अवधि, आदि
अनुच्छेद 243(च) :- सदस्यता के लिए निरर्हताएं
अनुच्छेद 243(छ) :- पंचायतों की शक्तियां, प्राधिकार और उत्तरदायित्व
अनुच्छेद 243(ज) :- पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्तियां और उनकी निधियां
अनुच्छेद 243(झ) :- वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन
अनुच्छेद 243(ञ) :- पंचायतों के लेखाओं की संपरीक्षा
अनुच्छेद 243(ट) :- पंचायतों के लिए निर्वाचन
अनुच्छेद 243(ठ) :- संघ राज्य क्षेत्रों को लागू होना
अनुच्छेद 243(ड) :- इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू नह होना
अनुच्छेद 243(ढ) :- विद्यमान विधियों और पंचायतों का बना रहना
अनुच्छेद 243(ण) :- निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
भाग-9(क) नगरपालिकाएँ (अनु. 243त से 243य(छ) तक)
अनुच्छेद 243(त) :- परिभाषाएं
अनुच्छेद 243(थ) :- नगरपालिकाओं का गठन
अनुच्छेद 243(द) :- नगरपालिकाओं की संरचना
अनुच्छेद 243(ध) :- वार्ड समितियों, यों आदि का गठन और संरचना
अनुच्छेद 243(न) :- स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद 243(प) :- नगरपालिकाओं की अवधि, आदि
अनुच्छेद 243(फ) :- सदस्यता के लिए निरर्हताएं
अनुच्छेद 243(ब) :- नगरपालिकाओं, ओं आदि की शक्तियां, प्राधिकार और उत्तरदायित्व
अनुच्छेद 243(भ) :- नगरपालिकाओं द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्ति और उनकी निधियां
अनुच्छेद 243(म ):- वित्त आयोग
अनुच्छेद 243(य) :- नगरपालिकाओं के लेखाओं की संपरीक्षा
अनुच्छेद 243(य)क :- नगरपालिकाओं के लिए निर्वाचन
अनुच्छेद 243(य)ख :-संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होना
अनुच्छेद 243(य)ग :- इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना
अनुच्छेद 243(य)घ :- जिला योजना के लिए समिति
अनुच्छेद 243(य)ङ :- महानगर योजना के लिए समिति
अनुच्छेद 243(य)च :- विद्यमान विधियों और नगरपालिकाओं का बना रहना
अनुच्छेद 243(य)छ :- निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
भाग-9(ख) सहकारी समितियाँ (अनु. 243 य(ज) से य(न) तक)
भाग-10 अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र (अनु. 244 एवं 244क)
अनुच्छेद 244 :- अनुसूचित क्षेत्रो व जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन
अनुच्छेद 244(क) :- असम के कुछ जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला एक स्वशासी राज्य बनाना और उसके लिए स्थानीय विधान मंडल या मंत्रि परिषद का या दोनों का सृजन
भाग-11 संघ और राज्यों के बीच सम्बन्ध ( अनु. 245 से 263 )
अनुच्छेद 245 :- संसद द्वारा राज्यों के विधान मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार
अनुच्छेद 246 :- संसद द्वारा और राज्य के विधान मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषयवस्तु
अनुच्छेद 247 :- कुछ अतिरिक्त न्यायालयों की स्थापना का उपबंध करने की संसद की शक
अनुच्छेद 248 :- अवशिष्ट विधाई शक्तियां
अनुच्छेद 249 :- राज्य सूची में के विषय के संबंध में राष्ट्री य हित में विधि बनाने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 250 :- यदि आपात की उदघोषणा प्रवर्तन में हो तो राज्य सूची में के विषय के संबंध में विधि
अनुच्छेद 251 :- संसद द्वारा अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 के अधीन बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति
अनुच्छेद 252 :- दो या अधिक राज्य के लिए सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 253 :- अंतरराष्ट्रीय करारों को प्रभावी करने के लिए विधान
अनुच्छेद 254 :- संसद द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान मंडल द्वारा बनाए गए विधियों में असंगति
अनुच्छेद 255 :- सिफारिशों और पूर्व मंजूरी के बारे में अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया के विषय मानना
अनुच्छेद 256 :- राज्यों की और संघ की बाध्यता
अनुच्छेद 257 :- कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण
अनुच्छेद 257(क) :- निरसित
अनुच्छेद 258 :- कुछ दशाओं में राज्यों को शक्ति प्रदान करने आदि की संघ की शक्ति
अनुच्छेद 258(क) :- संघ को कृत्य सौंपसौं ने की राज्यों की शक्ति
अनुच्छेद 259 :- निरसित
अनुच्छेद 260 :- भारत के बाहर के राज्य क्षेत्रों के संबंध में संघ की अधिकारिता
अनुच्छेद 261 :- सार्वजनिक कार्य, अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियाँ
अनुच्छेद 262 :- अंतर्राज्यक नदियों या नदियों के जल संबंधी विवादों का न्याय निर्णय
अनुच्छेद 263 :- अंतर्राज्यीय विकास परिषद का गठन
भाग-12 वित्त, सम्पत्ति,संविदाएँ और वाद ( अनु. 264 से 300क )
अनुच्छेद 264 :- विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना
अनुच्छेद 265 :- विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना
अनुच्छेद 266 :- संचित निधि
अनुच्छेद 267 :- आकस्मिकता निधि
अनुच्छेद 268 :- संघ द्वारा उदगृहीत किए जाने वाले किन्तु राज्यों द्वारा संगृहीत और विनियोजित किए जाने वाले शुल्क
अनुच्छेद 269 :- संघ द्वारा उद्ग्रहित और संग्रहित किंतु राज्यों को सौपे जाने वाले कर
अनुच्छेद 270 :- संघ द्वारा इकट्ठे किए कर संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जाने वाले कर
अनुच्छेद 271 :- कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार
अनुच्छेद 272 :- निरसित
अनुच्छेद 273 :- जूट पर और जूट उत्पादों का निर्यात शुल्क के स्थान पर अनुदान
अनुच्छेद 274 :- ऐसे कराधान पर जिसमें राज्य हितबद्ध है, प्रभाव डालने वाले विधेयकों के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश की अपेक्षा.
अनुच्छेद 275 :- कुछ राज्यों को संघ अनुदान
अनुच्छेद 276 :- वृत्तियों, यों व्यापारों, रों आजीविकाओं और नियोजनों पर कर
अनुच्छेद 277 :- व्यावृत्ति
अनुच्छेद 278 :- निरसित,कुछ वित्तीय विषयों के संबंध में पहली अनुसूची के भाग ख के राज्यों से करार।
संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित
अनुच्छेद 279 :- “शुद्ध आगम”, आदि की गणना
अनुच्छेद 280 :- वित्त आयोग
अनुच्छेद 281 :- वित्त आयोग की सिफारिशें
अनुच्छेद 282 :- संघ या राज्य द्वारा अपने राजस्व के लिए जाने वाले व्यय
अनुच्छेद 283 :- संचित निधियों, यों आकस्मिकता निधियों और लोक लेखाओं में जमा धनराशियों की अभिरक्षा आदि
अनुच्छेद 284 :- लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं की जमा राशियों और अन्य धनराशियों की अभिरक्षा
अनुच्छेद 285 :- संघ और संपत्ति को राजय के कराधान से छूट
अनुच्छेद 286 :- माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन
अनुच्छेद 287 :- विद्यु त पर करों से छूट
अनुच्छेद 288 :- जल या विद्यु त के संबंध में राज्यों द्वारा कराधान से कुछ दशाओं में छूट
अनुच्छेद 289 :- राज्यों की संपत्ति और आय को संघ और कराधार से छूट
अनुच्छेद 290 :- कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन
अनुच्छेद 290(क) :- कुछ देवस्वम निधियों की वार्षिक संदाय
अनुच्छेद 291 :- निरसित
अनुच्छेद 292 :- भारत सरकार द्वारा उधार लेना
अनुच्छेद 293 :- राज्य द्वारा उधार लेना
अनुच्छेद 294 :- कुछ दशाओं में संपत्ति, अास्तियों, यों अधिकारों, रों दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार
अनुच्छेद 295 :- अन्य दशाओं में संपत्ति, अास्तियों, यों अधिकारों, रों दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार
अनुच्छेद 296 :- राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोदभूत संपत्ति
अनुच्छेद 297 :- राज्य क्षेत्रीय सागर खण्ड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र संपत्ति स्रोतों का संघ में निहित होना
अनुच्छेद 298 :- व्यापार करने आदि की शक्ति
अनुच्छेद 299 :- संविदाए
अनुच्छेद 300 :- वाद और कार्यवाहिय
अनुच्छेद 300 (क) :- संपत्ति का अधिकार
भाग-13 भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य एवं समागम ( अनु. 301 से 307 )
अनुच्छेद 301 :- व्यापार वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 302 :- व्यापार, वाणज्यि और समागम पर निर्बंधन अधिरोपित करने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 303 :- व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन
अनुच्छेद 304 :- राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन
अनुच्छेद 305 :- विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
अनुच्छेद 306 :- निरसित
अनुच्छेद 307 :- अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति
भाग-14 संघ एवं राज्यों के अधीन सेवाएँ ( अनु. 308 से 323 )
अनुच्छेद 308 :- निर्वचन
अनुच्छेद 309 :- राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तें
अनुच्छेद 310 :- संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि
अनुच्छेद 311 :- संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्युत किया जाना या पंक्ति में अवनत किया जाना.
अनुच्छेद 312 :- अखिल भारतीय सेवाएं
अनुच्छेद 312(क) :- कुछ सेवाओं के अधिकारियों की सेवा की शर्तों में परिवर्तन करने या उन्हें प्रतिसंहृत करने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 313 :- संक्रमण कालीन उपबंध
अनुच्छेद 314 :- कुछ सेवाओं के विद्यमान अधिकारियों के संरक्षण के लिए उपबंध। संविधान (अट्ठाईसवां संशोधन) अधिनियम, 1972 की धारा 3 द्वारा ( 29-8-1972 से) निरसित ।
अनुच्छेद 315 :- संघ राज्य के लिए लोक सेवा आयोग
अनुच्छेद 316 :- सदस्यों की नियुक्ति एवं पदावधि
अनुच्छेद 317 :- लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को हटाया जाना या निलंबित किया जाना
अनुच्छेद 318 :- आयोग के सदस्यों और कर्मचारिवृंद की सेवा की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति
अनुच्छेद 319 :- आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य न रहने पर पद धारण करने के सबंध में प्रतिषेध
अनुच्छेद 320 :- लोकसेवा आयोग के कृत्य
अनुच्छेद 321 :- लोक सेवा आयोगों के कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति
अनुच्छेद 322 :- लोक सेवा आयोगों के व्यय
अनुच्छेद- 323 .लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन
भाग-14(क) अधिकरण ( अनु. 323क एवं ख )
अनुच्छेद 323 (क) :- प्रशासनिक अधिकरण
अनुच्छेद 323 (ख) :- अन्य विषयों के लिए अधिकरण
भाग-15, निर्वाचन (अनु. 324 से 329 )
अनुच्छेद 324 :- निर्वाचनों केअधिक्षण निर्देशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना
अनुच्छेद 325 :- धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी व्यक्ति का निर्वाचक नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र न होना और उसके द्वारा किसी विशेष निर्वाचकनामावली में सम्मिलित किए जाने का दावा न किया जाना
अनुच्छेद 326 :- लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचनों का वयस्क मताधिकार के आधार पर होना
अनुच्छेद 327 :- विधान मंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 328 :- किसी राज्य के विधान मंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस विधान मंडल की शक्ति
अनुच्छेद 329 :- निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप का वर्णन
भाग-16 कुछ वर्गों के सम्बन्ध में विषय उपबन्ध (अनु. 330 से 342 )
अनुछेद 330 :- लोक सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद 331 :- लोक सभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
अनुच्छेद 332 :- राज्य के विधान सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद 333 :- राज्य की विधानसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
अनुच्छेद 334 :- स्थानों के आरक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व का साठ वर्ष के पश्चात न रहना
अनुच्छेद 335 :- सेवाओं और पदों के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावे
अनुच्छेद 336 :- कुछ सेवाओं में आंग्ल भारतीय समुदाय के लिए विशेष उपबंध
अनुच्छेद 337 :- आंग्ल भारतीय समुदाय के फायदे के लिए शैक्षिक अनुदान के लिए विशेष उपबंध
अनुच्छेद 338 :- राष्ट्री य अनुसूचित जाति आयोग
अनुच्छेद 338(क) :- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग
अनुच्छेद 339 :- अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के बारे में संघ का नियंत्रण
अनुच्छेद 340 :- पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति
अनुच्छेद 341 :- अनुसूचित जातिय
अनुच्छेद 342 :- अनुसूचित जनजातियां
भाग-17 राजभाषा ( अनु. 343 से 351 )
अनुच्छेद 343 :- संघ की परिभाषा
अनुच्छेद 344 :- राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति
अनुच्छेद 345 :- राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं.
अनुच्छेद 346 :- एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा.
अनुच्छेद 347 :- एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा.
अनुच्छेद 348 :- उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, मों विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा
अनुच्छेद 349 :- भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया
अनुच्छेद 350 (क) :- प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं
अनुच्छेद 351 :- हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश
भाग-18 आपात उपबन्ध (अनु. 352 से 360)
अनुच्छेद 352 :- आपात की उदघोषणा का प्रभाव
अनुच्छेद 353 :- आपात की उदघोषणा का प्रभाव
अनुच्छेद 354 :- जब आपात की उदघोषणा प्रवर्तन में है तब राजस्वों के वितरण संबंधी उपबंधों का लागू होन
अनुच्छेद 355 :- बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्य की संरक्षा करने का संघ का कर्तव्य
अनुछेद 356 :- राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध
अनुछेद 357 :- अनुच्छेद 356 के अधीन की गई उदघोषणा के अधीन विधायी शाक्तियों का प्रयोग
अनुछेद 358 :- आपात के दौरान अनुच्छेद 19 के उपबंधों का निलंबन
अनुछेद 359 :- आपात के दौरान भाग 3 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन का निलबंन
अनुछेद 359(क) :- निरसित
अनुच्छेद 360 :- वित्तीय आपात के बारे में उपबंध
भाग-19 प्रकीर्ण ( अनु. 361 से 367 )
अनुच्छेद 361:- राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण
अनुच्छेद 361(क) :- संसद और राज्यों के विधान मंडलों की कार्यवाहियों की प्रकाशन का संरक्षण
अनुच्छेद 361(ख) :- लाभप्रद राजनीतिक पद पर नियुक्ति के लिए निरर्हता
अनुच्छेद 362 :- निरसित
अनुच्छेद 363 :- कुछ संधियों, करारों आदि से उत्पन्न विवादों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
अनुच्छेद 363(क) :- देशी राज्यों के शासकों को दी गई मान्यता की समाप्ति और निजी थौलियों का अंत
अनुच्छेद 364 :- महापत्तनों और विमानक्षेत्रों के बारे में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 365 :- संघ द्वारा दिए गए निदेशों का अनुपालन करने में या उनको प्रभावी करने में असफलता का प्रभाव
अनुच्छेद 366 :- परिभाषाएं
अनुच्छेद 367 :- निर्वचन
भाग-20 संविधान संशोधन (अनु.368)
अनुच्छेद 368 :- सविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसकी प्रक्रिया
भाग-21 अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध (अनु. 369 से 392 )
अनुच्छेद 369 :- राज्य सूची के कुछ विषयों के सबंध में विधि बनाने की संसद की इस प्रकार अस्थायी शक्ति मानो वे समवर्ती सूची के विषय हों
अनुच्छेद 370 :- जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध
अनुच्छेद 371 :- महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371(क) :- नागालैंड राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371(ख) :- असम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371(ग) :- मणिपुर राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371(घ) :- आंध्र प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371(ड) :- आंध्र प्रदेश में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना
अनुच्छेद 371(च) :- सिक्किम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371(छ) :- मिजोरम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371(ज) :- अरुणाचल प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371(झ) :- गोवा राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 372 :- विद्यमान विधियों का प्रवृत्त बने रहना और उनका अनुकूलन
अनुच्छेद 372(क) :- विधियों का अनुकूलन करने की राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद 373 :- निवारक निरोध में रखे गए व्यक्तियों के संबंध में कुछ दशाओं में आदेश करने की राष्ट्रपति की शाक्ति
अनुच्छेद 374 :- फेडरल न्यायालय के न्यायाधीशों और फेडरल न्यायालय में या सपरिषद हिज मेजेस्टी के समक्ष लंबित कार्यवाहियों के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 375 :- संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए न्यायालयों, यों प्राधिकारियों और अधिकारियों का कृत्य करते रहना
अनुच्छेद 376 :- उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 377 :- भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 378 :- लोक सेवा आयोग के बारे में उपबन्ध
अनुच्छेद 378(क) :- आंध्र प्रदेश विधान सभा की अवधि के बारे में विशेष उपबंध.
अनुच्छेद 379 :- अन्तर्कालीन संसद् तथा उसके अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बारे में। संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (11-1-1956 से) निरसित ।
अनुच्छेद 380 :- राष्ट्रपति के बारे में उपबंध, (संविधान, सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
अनुच्छेद 381 :- राष्ट्रपति की मंत्रि-परिषद्, संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित
अनुच्छेद 382 :- पहली अनुसूची के भाग क में के राज्यों के अन्तर्कालीन विधानमंडलों के बारे में उपबन्ध, संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
अनुच्छेद 383 :- प्रान्तों के राज्यपालों के बारे में उपबंध, संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
अनुच्छेद 384 :- राज्यपालों की मंत्रि-परिषद्। संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा ( 1-11-1956 से) निरसित ।
अनुच्छेद 385 :- पहली अनुसूची के भाग ख में के राज्यों के अन्तर्कालीन विधानमंडलों के बारे में उपबन्ध, संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
अनुच्छेद 386 :- पहली अनुसूची के भाग ख में के राज्यों की मंत्रि-परिषद्, संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
अनुच्छेद 387 :- निर्वाचनों के परियोजनों के लिए जनसंख्या के निर्धारण के बारे में । संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
अनुच्छेद 388 :- अन्तर्कालीन संसद् तथा राज्यों के अन्तर्कालीन विधान-मंडलों में आकस्मिक रिक्तियों के बारे में उपबंध, संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
अनुच्छेद 389 :- डोमीनियन विधान-मंडल तथा प्रान्तों और देशी राज्यों के विधान-मंडलों में लंबित विधेयकों के बारे में उपबंध, संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित
अनुच्छेद 390 :- इस संविधान के प्रारंभ और 1950 के 31 मार्च के बीच प्राप्त या उत्थापत या व्यय किया हुआ धन, संविधान (सातवां संशोधन) अधिनि यम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
अनुच्छेद 391 :- कुछ आकस्मिकताओं में पहली और चौथी अनुसूची का संशोधन करने की राष्ट्रपति की शक्ति। संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
(379 से 391 संविधान संशोधन अधिनियम 1956 द्वारा निकाल दिया गया है।)
अनुच्छेद 392 :- कठिनाइयों को दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति
भाग - 22 संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन (अनु. 393 से 395)
अनुच्छेद 393 :- संक्षिप्त नाम, इस संविधान का संक्षिप्त नाम भारत का संविधान है।
अनुच्छेद 394 :- प्रारंभ (यह अनुच्छेद और अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391, 392 और 393 तुरन्त प्रवृत्त होंगे और इस संविधान के शेष उपबंध 26 जनवरी , 1950 को प्रवृत्त होंगे जो दिन इस संविधान में इस संविधान के प्रारंभ के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।)
अनुच्छेद 394(क) :- राष्ट्रपति अपने अधिकार के अन्तर्गत इस संविधान का हिन्दी भाषा में प्राधिकृत पाठानुवाद कराएगा ।
अनुच्छेद 395 :- निरसन (भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 और भारत शासन अधिनियम, 1935 के , पश्चात् कथित अधिनियम की , संशोधक या अनुपूरक सभी अधिनियमितियों के साथ, जिनके अंतर्गत प्रिवी कौंसिल अधिकारिता उत्सादन अधिनियम, 1949 नहीं है, इसके द्वारा निरसन किया जाता है।)
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