वास्तुशास्त्र के अनुसार दिशा सम्बन्धी भू-भाग एवं मार्ग

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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   जमीन खरीदने वाले बन्धुओं को जमीन खरीदते समय भू-भाग एवं मार्ग का ध्यान रखना चाहिए । किस प्रयोजन से किस प्रकार का भू-भाग एवं मार्ग हो इसकी चर्चा आज हम यहां करेंगे

चार-दिशाओं वाले मार्ग एवं भू-भाग 

   यदि किसी भूखण्ड के चारों दिशाओं में मार्ग हो तो ऐसे भूखंड का स्वामी सुखी, समृद्ध रहता है। ऐसा भूखण्ड निवास एवं व्यवसाय दोनों के लिए उत्तम होता है।

तीन-दिशाओं वाले मार्ग एवं भू-भाग

(१) उत्तर-पूर्व-दक्षिण मार्ग एवं भू-भाग

  भू-भाग के उत्तर-पूर्व-दक्षिण दिशा में मार्ग हो तथा में पश्चिम दिशा के तरफ मार्ग न हो तो यह भूखण्ड भूस्वामी के लिए शुभफलदायक सिद्ध होता है।

(२)  उत्तर-पूर्व-पश्चिम मार्ग एवं भू-भाग

   उत्तर-पूर्व-पश्चिमी दिशा में मार्ग हो तथा दक्षिण दिशा के तरफ मार्ग न हो तो ऐसे भू-भाग में क्लेश तथा कष्ट होता है।

(३) उत्तर-दक्षिण-पश्चिम  मार्ग एवं भू-भाग

 उत्तर-दक्षिण-पश्चिम भू-भाग में मार्ग हो तथा पूर्व दिशा के तरफ मार्ग न हो तो ऐसा भू-भाग शुभफल देता है एवं उसका स्वामी जीवन भर सुख-सम्पन्नता और हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है। कुछ मतों के अनुसार ऐसा भू-भाग आवास हेतु मध्यम होता है परन्तु व्यापार की दृष्टि से शुभदायक होता है।

(४) पूर्व-दक्षिण-पश्चिम मार्ग एवं भू-भाग

  पूर्व-दक्षिण-पश्चिम भू-भाग में मार्ग हो तथा उत्तर दिशा के तरफ मार्ग न हो तो ऐसा भूखण्ड अशुभफल देता है एवं भूमि स्वामी को कार्य में सफलता नहीं मिलती है। कुछ मतों के अनुसार ऐसा भू-भाग आवास हेतु मध्यम होता है परंतु व्यापार की दृष्टि से शुभदायक होता है।

दो-दिशाओं वाले मार्ग एवं भू-भाग

  दो दिशाओं वाले मार्ग के छः प्रकार के भू-भाग बनते हैं जिनका विवरण निम्न है —

(१) भू-भाग के उत्तर व दक्षिण दिशा में मार्ग हो तथा पश्चिम व पूर्व दिशाओं में मार्ग न हो वह बंद हो तो इस भू-भाग पर भवन निर्माण कर निवास करना अत्यन्त अशुभ और हानिकारक होता है। कुछ मतों के अनुसार ऐसा भू-भाग सामान्य श्रेणी का होता है। यदि इस पर वास करना ही हो तो उत्तर दिशा के तरफ द्वार बनाना चाहिए।

(२) भू-भाग के पश्चिम व पूर्व दिशा में मार्ग हो तथा उत्तर व दक्षिण दिशाओं में मार्ग न हो वह बंद हो तो ऐसा भू-भाग  भूस्वामी को सुख, दुःख एवं धन का आय-व्यय मिश्रित रूप से होता है। ऐसा भूखण्ड निवास के लिए साधारण परन्तु व्यवसाय के लिए शुभदायक होता है। इस भूखंड पर दोनों तरफ द्वार रखा जा सकता है।

(३) भू-भाग के उत्तर व पूर्व दिशा में मार्ग हो तथा दक्षिण व पश्चिम दिशाओं में मार्ग न हो वह बंद हो तो ऐसा भू-भाग  सर्वोत्तम होता है। ऐसे भू-भाग पर भूस्वामी यदि भवन निर्माण कर वास करता है तो उसे सुख, समृद्धि, सम्पन्नता तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है एवं वह आजीवन सूखी व आनन्दपूर्वक रहता है।

(४) भू-भाग के दक्षिण व पूर्व दिशा में मार्ग हो तथा उत्तर व पश्चिम दिशाओं में मार्ग न हो, वह बंद हो तो यह भू-भाग आवासीय एवं व्यावसायिक भवन बनाने हेतु शुभ होता है। अन्य मत के अनुसार ऐसा भू-भाग भूस्वामी हेतु अशुभ व हानिकारक होता है एवं उसे हमेशा धन की कमी, दुःख तथा परेशानी लगी रहती है।

(५) भू-भाग के दक्षिण व पश्चिम दिशा में मार्ग हो तथा उत्तर व पूर्व दिशाओं में मार्ग न हो, वह बंद हो तो ऐसा भू-भाग  साधारण रूप से फलदायक होता है। ऐसे भू-भाग पर आवासीय एवं व्यावसायिक दोनों प्रकार का निर्माण शुभ होता है।

(६) भू-भाग के उत्तर व पश्चिम दिशा में मार्ग हो तथा दक्षिण व पूर्व दिशाओं में मार्ग न हो वह बंद हो तो ऐसा भू-भाग  साधारण रूप से फलदायक होता है। यह आवास के लिए शुभ होता है परन्तु व्यवसाय के लिए अच्छा नहीं माना गया है।

एक-दिशा वाले मार्ग एवं भू-भाग

(१) भू-भाग के उत्तर दिशा में मार्ग हो तथा सभी अन्य दिशाओं में मार्ग न हो तो भू-स्वामी के लिए शुभदायक होगा। यह सुख-संपत्तिदायक भूखंड होता है।

(२) भू-भाग के पूर्व दिशा में मार्ग हो तथा सभी अन्य दिशाओं में मार्ग न हो तो ऐसा भू-भाग श्रेष्ठ कहा जाता है।
यह आवास एवं व्यापार दोनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। यह भू-भाग सुख-संपत्ति तथा सम्पन्नता देता है।

(३) भू-भाग के दक्षिण दिशा में मार्ग हो तथा सभी अन्य दिशाओं में मार्ग न हो तो भूस्वामी के लिए शुभफलदायक तथा समृद्धिकारक होता है। ऐसा भू-भाग आवास के लिए साधारण परन्तु व्यापार हेतु शुभ होता है।

(४) भू-भाग के पश्चिम दिशा में मार्ग हो तथा अन्य सभी दिशाओं में मार्ग न हो तो ऐसा भू-भाग भू-स्वामी के लिए शुभफलदायक, सम्पन्नताकारक तथा लाभदायक होता है। ऐसा भू-भाग आवास के लिए साधारण परन्तु व्यापार हेतु शुभ होता है।
  
इस प्रकार जमीन खरीदते समय भू-भाग एवं मार्ग का भी विचार कर लेना चाहिए ।

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