कल्कि अवतार की सच्चाई ?

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 प्रस्तुत लेख भगवान विष्णु के प्रमुख 24 अवतारों में से एक कल्कि अवतार के विषय में है । इस लेख में शास्त्रीय रीति से कल्कि अवतार की सच्चाई जानने का प्रयास करेंगे । कृपया अन्त तक पढ़ें ।

कल्कि अवतार की सच्चाई


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जैसा कि आप सबको विदित है कि भगवान के प्रमुख 24 अवतार माने गए हैं यथा -

1. सनकादि अवतार

2. सूकरावतार

3. नारदावतार

4. नरनारायणावतार

5. कपिलावतार

6. दत्तात्रेय अवतार

7. यज्ञावतार

8. ऋषभावतार

9. पृथु अवतार

10. मत्स्यावतार

11. कच्छपावतार

12. धन्वन्तरि अवतार

13. मोहिनी अवतार

14. नृसिंहावतार

15. वामनावतार

16. परशुरामावतार

17. व्यासावतार

18. रामावतार

19. बलरामावतार

20. कृष्णावतार

21. बुद्धावतार

22. कल्कि अवतार

23. हंसावतार

24. हयग्रीवावतार

अब हम कल्कि अवतार के विषय में चर्चा आरम्भ करते हैं। 

भगवान अवतार कब ग्रहण करते हैं ?

 जब-जब धरती पर असुरों का अत्याचार बढ़ता है, संसार में अधर्मियों और दुराचारियों का आतंक व्याप्त हो जाता है, धर्म की ध्वनि दूर -दूर तक सुनाई नहीं पड़ती है, साधु-सन्तों एवं निरपराधियों का घोर अपमान होने लगता है तब इस धरती पर भगवान अवतरित होकर दुष्टों का संहार एवं धर्म की स्थापना करते हैं। जैसा कि गीता में कहा गया है-

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

तुलसीदास जी के शब्दों में -

जब जब होइ धरम कै हानी । बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी ॥
तब तब प्रभु धरि विविध शरीरा । हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा ॥

कल्कि शब्द का अर्थ

कल्कि शब्द पुल्लिंग शब्द है जो कल्क पद में इन् प्रत्यय लगा करके सिद्ध होता है । कल्कि शब्द की व्युत्पत्ति है -
कल्कः पापं हार्य्यतया अस्ति अस्य । अर्थात् जो पाप का हरण करते हैं  वह हैं  कल्कि । 

कल्कि अवतार

कलियुग में भगवान के सर्वप्रमुख दो अवतार गिनाए गए हैं - पहला बुद्धावतार दूसरा कल्कि अवतार । बुद्धावतार पाँचवी शताब्दी ईसा पूर्व में हो चुका जिससे बौद्ध धर्म का उदय हुआ । दूसरा है कल्कि अवतार जिसका होना अभी बाकी है । शास्त्रों में इस अवतार के विषय में हमें भविष्यगत जानकारी मिलती है कि यह अवतार कब, कहाँ और कैसे होगा । 

कल्कि अवतार कब होगा ? 

श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार राजा या शासक चोर डकैतों की तरह केवल प्रजाओं का शोषण करेंगे, उन्हें पीड़ित करेंगे तब कलियुग और सतयुग के सन्धिकाल में श्रीहरि का कल्कि अवतार होगा । 
 अथासौ     युगसन्ध्यायां  दस्युप्रायेषु  राजसु ।
  जनिता विष्णुयशसो नाम्ना कल्किर्जगत्पतिः ॥
                                                                    (श्रीमद्भागवत-- 1.3.25)
इसी भागवत में वर्णित है कि जब कलियुग लगभग बीत चुका होगा तब धर्मरक्षणार्थ कल्कि भगवान का अवतार होगा । 
इत्थं कलौ गतप्राये जने तु खरधर्मिणि ।
धर्मत्राणाय सत्त्वेन भगवानवतरिष्यति ॥
                                                                        (श्रीमद्भागवत -- 12.2.16)
यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि कलियुग की आयु 4,32,000 वर्ष है । अभी कलियुग के केवल 5122 वर्ष बीते हैं । इसीलिए संकल्प में भी हम सब - कलियुगे कलि प्रथमचरणे- ऐसा पढ़ते हैं । एक लाख आठ हजार वर्ष पर तो कलियुग का प्रथम चरण पूर्ण होगा । अतः अभी तो बहुत समय शेष है । उपर्युक्त श्लोक में कलौ गतप्राये का अर्थ है ...जब कलियुग प्रायः(लगभग) बीत चुका होगा । आजकल समाज में  कुछ अशिष्ट लोग भ्रान्ति फैलाकर  लोगों को गुमराह कर रहे हैं जिसमेंं वे खुद को पौण्ड्रक की तरह कल्कि भगवान घोषित करने में लगे हैं तथा कुछ तथाकथित चाटुकार उनकी चापलूसी कर करके लोगों को बहकाने में लगे हैं । ऐसे पाखण्डियों से हमेशा सावधान रहें ।

कल्कि अवतार कहाँ होगा ?

कल्कि भगवान् का अवतार उत्तर-प्रदेश राज्य के मुरादाबाद जिले के सम्भल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के यहाँ होगा ।
सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः ।
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति ॥
                                                                  (श्रीमद्भागवत -- 12.2.18)
यही बात कल्किपुराण में भी बताई गई है । यथा -
सम्भले विष्णुयशसो गृहे प्रादुर्भवाम्यहम् ।
सुमत्यां मातरि विभो धन्यायां त्वन्निदेशतः ॥
                                                             (कल्किपुराण अ. 2)
कुछ विद्वानों के मतानुसार जब कलियुग की आयु 700 वर्ष शेष होगी तब कल्कि भगवान अवतरित होंगे । 

 तो आप सब समझ गए होंगे कि अभी तो बहुत समय शेष है । तब तक हम सब न जाने कितनी बार जन्म लेंगे और मरेंगे । पर आप सब ईश्वर में श्रद्धा रखें और पाखण्डियों से बचें । 

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