नीतिशतक प्रश्नोत्तरी (Important questions from nitishatakam)

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
By -

bhagwat darshan
bhagwat darshan


Important questions from nitishatakam

१. नीतिशतकम् के रचनाकार कौन हैं ?

उत्तर. भर्तृहरि

२. नीतिशतक किस श्रेणी का काव्य है ?

उत्तर. मुक्तक काव्य

३. नीतिशतक का वर्ण्य विषय क्या है ?

उत्तर. नीतिशास्त्र

४. चीनी यात्री इत्सिंग के अनुसार भर्तृहरि की मृत्यु कब हुई ?

उत्तर. ६५२ ई.(652) 

५. वाक्यपदीयम् के रचनाकार कौन हैं ?

उत्तर. भर्तृहरि

६. संस्कृत साहित्य में कितने भर्तृहरि का उल्लेख मिलता है ?

उत्तर. चार । १. वाक्यपदीयम् के रचयिता भर्तृहरि २. मालवसम्राट भर्तृहरि ३. योगी भर्तृहरि ४. शतकत्रयकार भर्तृहरि

७. भर्तृहरि का समय क्या है ?

उत्तर. द्वितीय-तृतीय शताब्दी

८. भर्तृहरि के पिता का क्या नाम था ?

उत्तर. गन्धर्वसेन ।

९. भर्तृहरि के सौतेले भाई कौन थे ?

उत्तर. विक्रम

१०. भर्तृहरि की पत्नी का क्या नाम था ? 

उत्तर. पिंगला ।

११. भर्तृहरि की कितनी रचनाएं हैं ? 

उत्तर. चार । १. नीतिशतक २. शृंगार शतक ३. वैराग्य शतक ४. वाक्यपदीयम् ।

१२. भर्तृहरि के गुरु कौन थे ?

उत्तर. गोरखनाथ ।

१३. मुक्तक काव्य का लक्षण क्या है ?

उत्तर. मुक्तक वह रचना है जो अर्थ की दृष्टि से  दूसरे पद्य पर आश्रित ना हो । 

१४. मुक्तक काव्य कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर. तीन प्रकार । 1. नीतिप्रधान 2. शृंगारप्रधान 3. वैराग्य प्रधान ।

१५. इत्सिंग के अनुसार भर्तृहरि किस धर्म को मानते थे ?

उत्तर . बौद्ध धर्म ।

१६. भर्तृहरि ने नीतिशतक में कितने छन्दों का प्रयोग किया है ?

उत्तर. चौदह ।

१७. नीतिशतक के मङ्गलाचरण में किसकी वन्दना की गई है ?

उत्तर. तेजोमय परब्रह्म ।

१८. नीतिशतक के मङ्गलाचरण में कौन सा छन्द है ?

उत्तर. अनुष्टुप् ।

१९. नीतिशतक में मङ्गलाचरण  का कौन सा प्रकार प्रयुक्त है ?

उत्तर. नमस्कारात्मक ।

२०. 'मूर्त्तये' में कौन सी विभक्ति है ?

उत्तर. चतुर्थी विभक्ति ।

२१. नीतिशतक के मङ्गलाचरण का श्लोक क्या है ?

उत्तर.  दिक्कालाद्यनवच्छिन्नानन्तचिन्मात्रमूर्त्तये ।

          स्वानुभूत्येकमानाय नमः शान्ताय तेजसे ॥

२२. 'दिक्कालाः' में कौन सा समास है ?

उत्तर. इतरेतर द्वन्द्व समास(दिशश्च कालश्च दिक्कालाः)

२३. 'नमः' के योग में कौन सी विभक्ति होती है ?

उत्तर. चतुर्थी ।( नमः स्वस्ति स्वाहा स्वधा अलम् वषट् योगाच्च चतुर्थी ) ।

२४. 'चिन्मात्रः' में कौन सा समास है ?

उत्तर. बहुब्रीहि समास(चित् एव मात्रा यस्य) ।

२५. 'अनन्त' में कौन सा समास है ?

उत्तर. बहुब्रीहि समास ( न विद्यते अन्तो यस्य) ।

२६. मङ्गलाचरण कितने प्रकार का होता है ?

उत्तर. तीन प्रकार । १. नमस्कारात्मक २. आशीर्वादात्मक ३. वस्तुनिर्देशात्मक ।

२७. कवियों के सुन्दर वचन कहाँ नष्ट हो रहे हैं ?

उत्तर. शरीर में ।( जीर्णमङ्गे सुभाषितम्) ।

२८. स्मय शब्द का क्या अर्थ है ?

उत्तर. अहंकार ।

२९. बोद्धारः केन ग्रस्ताः ?

उत्तर. बोद्धारः मत्सरग्रस्ताः ।

३०. प्रभवः शब्द का क्या अर्थ है ?

उत्तर. राजा या स्वामी ।

३१. अनुष्टुप् छन्द का लक्षण क्या है ?

उत्तर. श्लोके षष्ठं गुरुं ज्ञेयं सर्वत्र लघु पञ्चमम्।

         द्विचतुष्पादयोर्ह्रस्वं सप्तमं दीर्घमन्ययोः ॥ 

अर्थात् अनुष्टुप् के प्रत्येक पाद का पञ्चम वर्ण लघु और छठा गुरु होता है । दूसरे तथा चतुर्थ चरण का सप्तम वर्ण लघु होता है । प्रथम तथा तृतीय चरण का सप्तम वर्ण गुरु होता है ।

३२. अनुष्टुप् छन्द में कुल कितनी मात्राएँ होती हैं ?

उत्तर. बत्तीस(32) ।

३३. मत्सरग्रस्ताः में कौन सा समास है ?

उत्तर. तृतीया तत्पुरुष । ( मत्सरेण ग्रस्ताः) ।

३४. प्रभवः केन दूषिताः ?

उत्तर. प्रभवः स्मयदूषिताः ।

३५. सुखमाराध्यः कः ?

उत्तर. अज्ञः ।

३५. ब्रह्मा किसे प्रसन्न नहीं कर सकता है ?(ब्रह्मा कं नरं न रञ्जयति ?)

उत्तर. कुछ जानकर स्वयं को सर्वज्ञ समझने वाले को ।( ज्ञानलवदुर्विदग्धम् ।)

३६. सुखतरं कः आराध्यते ?

उत्तर. विशेषज्ञः ।

३७. अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः ।

        ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्माऽपि च तं नरं न रञ्जयति ॥

                                  अस्मिन् श्लोके कः छन्दः ?

उत्तर. आर्या छन्द ।

३८. आर्या छन्द का लक्षण क्या है ?

उत्तर. यस्या पादे प्रथमे द्वादशमात्रास्तथा तृतीयेऽपि ।

          अष्टादश द्वितीये  चतुर्थके  पञ्चदश सा आर्या ॥ 

अर्थात् जिस छन्द के पहले और तीसरे चरण में बारह मात्राएँ, दूसरे चरण में अट्ठारह(18) मात्राएँ तथा चतुर्थ चरण में पन्द्रह(15) मात्राएँ होती हैं वहाँ आर्या छन्द होता है ।   

३९. किसे अनुकूल नहीं किया जा सकता है ?

उत्तर. दुराग्रही व्यक्ति के मन को ।

४०. कोपितम् में कौन सा प्रत्यय है ?

उत्तर. इतच् प्रत्यय । ( तदस्य संजातं तारकादिभ्यः इतच् सूत्र से ।)

४१. न तु प्रतिनिविष्ट मूर्खजनचित्तमाराधयेत् में कौन सा छन्द है ?

उत्तर. पृथ्वी छन्द ।

४२. पृथ्वी छन्द का लक्षण क्या है ?

उत्तर. जसौ जसयला वसुगृहयतिश्च पृथ्वी गुरुः ।

 जहाँ प्रत्येक पाद में जगण, सगण, जगण, सगण, यगण तथा लघु गुरु  के क्रम से सत्रह(17) वर्ण होते हैं वहाँ पृथ्वी छन्द होता है ।

४३. प्रसह्य मणिमुद्धरेन्मकरवक्त्रदंष्ट्रान्तरात् में कौन सा अलंकार है ?

उत्तर. अतिशयोक्ति अलंकार ।

४४. ऊर्मि शब्द का क्या अर्थ है ?

उत्तर. लहर या तरङ्ग ।

४५. क्षाराम्बुधिः में कौन सा समास है ?

उत्तर. कर्मधारय समास(क्षारश्चासौ अम्बुधिः क्षाराम्बुधिः) ।

४६. शार्दूलविक्रीडित छन्द का लक्षण क्या है ?

उत्तर. सूर्याश्वैर्मसजस्ततः सगुरवः शार्दूलविक्रीडितम् । 

अर्थात् जहाँ प्रत्येक चरण में मगण, सगण, जगण, सगण, तगण, तगण तथा गुरु के क्रम से उन्नीस(19) वर्ण होते हैं, उसे शार्दूलविक्रीडित छन्द कहा जाता है ।

४७. अपण्डितों (मूर्खों) का आभूषण क्या है ?

उत्तर. मौन अर्थात् चुप रहना ।( विभूषणं मौनमपण्डितानाम् ) ।

४८. स्वायत्तमेकान्तगुणं विधात्रा विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः । में कौन सा छन्द है ?

उत्तर. उपजाति छन्द ।

४९. सर्वज्ञता का अभिमान कब उतर जाता है ?

उत्तर. विद्वानों की सभा में जाने पर ।

५०. कदा ज्वर इव मदो मे व्यपगतः ?

उत्तर. बुधजनसकाशादवगतम् ।


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