Acharya sooraj krishna shastri |
श्रीकृष्ण जन्म एवं बाललीला
भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म तो मथुरा में हुआ परन्तु वसुदेव जी ने उन्हें गोकुल पहुंचा दिया । गोकुल में नंद बाबा और नन्दरानी यशोदा जी ने धूमधाम से उत्सव मनाया । सारी गोपियां, सारे गोपगण बधाई देते हुए आनंद प्राप्त करते हैं । बहुत काल तक उत्सव मनाया गया । कंस को टैक्स देने के लिए नन्दबाबा मथुरा जाते हैं । इधर गोकुल में पूतना राक्षसी आती है । कृष्ण भगवान उसका उद्धार करते हैं । इसके बाद बिना शरीर वाला दैत्य शकट में जाकर बैठ गया सो नाम पड़ गया- शकटासुर,उसका प्रभु ने अन्त किया । तृणावर्त बवंडर बनकर आया भगवान ने अन्त किया । नामकरण संस्कार यदुकुल के आचार्य श्री गर्गाचार्य जी ने कराया । तदुपरान्त शिशु धीरे धीरे बड़ा होता है । एक दिन अचानक मैया का नाम कन्हैया के मुख से निकल जाता है । माता यशोदा जी के साथ सारे गोकुल के वासी खूब आनंद मनाते हैं ।
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