बलाघात : अर्थ एवं प्रकार

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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दोस्तों हम सबने पिछले पोस्ट में >>>अक्षर ध्वनियां एवं भेद<<<< विषय पर चर्चा की । अब हम>>> बलाघात : अर्थ एवं प्रकार<<< विषय पर चर्चा करेंगे ।

balaghat
balaghat

आघात (Accent)

 आघात के लिए शब्दकोष के अनुसार अंग्रेजी में एक्सेंट (Accent) शब्द है। एम. ए. पेई (M. A. Pei) तथा गेनोर (Gaynor) ने 'बलाघात' के लिए (Accent) शब्द का ही प्रयोग किया है। किन्तु पामर (Palmer) इस शब्द का प्रयोग • व्यापक अर्थों में करते हैं। उनके अनुसार (Accent) के अन्तर्गत निम्नलिखित विषय लिए जा सकते हैं -

(1) ध्वनिप्रकृति

(2) मात्रा (Mora)

(3) बलाघात (Stress)

(4) सुर-लहर (Intonation) तथा

(5) ध्वनिविषयक अन्य प्रक्रियायें,


   भाषाविज्ञानियों में ब्लाख और ट्रेगर का मत अधिक प्रचलित है, जिनके अनुसार (Accent) के अन्तर्गत 'बलाघात' (Stress) और 'सुर' (Tone, pitch), इन्हीं दोनों को ग्रहण किया जाता है - आघात का अर्थ है चोट। 

आघात दो प्रकार का होता है-

  1. स्वर या तान का प्रयोग (स्वराघात)

  2. बल या श्वास वायु का प्रयोग (बलाघात)

  स्वर के समान आघात भी किसी ध्वनि, शब्द या पूरे वाक्य में हो सकता है। तान या मात्रा के अपरिवर्तित रहते हुए भी आघात में अन्तर पड़ सकता है। बलाघात में किसी ध्वनि पर श्वास- वायु का विशेष धक्का देकर उच्चारण करते हैं और स्वराघात में स्वर की उच्चता का प्रयोग कर।

बलाघात(balaghat)

     सामान्यतः यह देखा जाता है कि प्रत्येक शब्द और वाक्य पर समान रूप से बल नहीं दिया जाता है। कुछ ध्वनियों पर अधिक बल दिया जाता है और कुछ पर कम। जिन ध्वनियों पर अधिक बल दिया जाता है उन्हें बलाघात युक्त कहा जाता है। लिखित और उच्चरित भाषा में यह मुख्य अन्तर है। लिखित स्वरूप में बलाघात को स्पष्ट रूप से प्रकट नहीं कर सकते हैं। उच्चरित् भाषा में किसी भी ध्वनि पर विशेष बल दिया जा सकता है और वह बलाघात युक्त हो सकती है। बलाघात मुख्य रूप से अक्षर बलाघात के रूप में प्राप्त होता है।

बलाघात के मुख्य रूप से दो भेद माने जाते हैं-

(1) शब्द बलाघात

(2) वाक्य बलाघात

शब्द बलाघात 

शब्द बलाघात उसे कहते हैं, जहाँ पर शब्द के किसी स्वर या अक्षर पर विशेष बल दिया जाता है। ऐसे स्वर. या अक्षर को बलाघातयुक्त (Stressed) कहा जाता है और शेष ध्वनियों को बलाघातहीन (Unstressed) कहते हैं, जैसे- एक ही शब्द बलाघात-भेद से संज्ञा या क्रिया हो सकता है, जैसे- con'duct में प्रथम स्वर कन् पर बलाघात करेंगे तो यह संज्ञावाचक शब्द होगा। इसका अर्थ होगा- चरित्र या आचरण । (Conduct') यदि दूसरे स्वर अर्थात् डक्ट पर बल देंगे तो यह क्रिया शब्द होगा और उसका अर्थ होगा- व्यवहार करना, प्रबन्ध करना आदि। कोषग्रन्थों में बलाघात युक्त ध्वनि के बाद बिन्दु या उदात्त (,') का चिह्न लगाते हैं। भाषाविज्ञान में बलाघात युक्त ध्वनि के पूर्व उदात्त चिह्न (') का प्रयोग किया जाता है। अंग्रेजी बलाघात प्रधान भाषा है। इसमें किस ध्वनि पर विशेष बल दिया जाए यह कोषग्रंथों आदि में संकेत के द्वारा सूचित किया जाता है।

  इस प्रकार शब्द में किसी ध्वनि पर अपेक्षाकृत 'बल' देकर बोलना 'शब्द बलाघात' है। इससे समीप की ध्वनियाँ या तो दुर्बल हो जाती है या तो नष्ट हो जाती है। उदाहरण के लिए संस्कृत के ' अभ्यन्तर' शब्द में' भ्य' पर अधिक बल देने के कारण उसके पूर्व की 'अ' ध्वनि नष्ट हो गई. और यह शब्द हिन्दी में 'भीतर' के रूप में बदल गया ।  पक्व शब्द से दो शब्द निष्पन्न होते हैं- पका और पक्का पका का प्रयोग सामान्यत: 'पक्वता' का भाव सूचित करने के लिए होता है, जैसे- पका आम, पकी रोटी। किन्तु जहाँ पक्वता में दृढ़ता या कठोरता दिखानी होती है, वहाँ पक्का का प्रयोग होता है, जैसे- पक्का बदमाश, पक्का चोर, पक्की सड़क आदि। यहाँ पका बदमाश या पकी सड़क नहीं कहते। क्योंकि जो दृढ़ता या कठोरता बताना अभिप्रेत है वह पका से सिद्ध नहीं होता। 'द्वे' बल के कारण ही हिन्दी में 'दो' और गुजराती में हो गया; पहली ध्वनि पर बल पड़ने से 'दो' और दूसरी ध्वनि पर बल पड़ने से 'बे'। गुजराती में 'दो' के बदले 'बे' कहते हैं। ग्रीक 'बी' (bi) से निष्पन्न अंग्रेजी के बाइपेड, बाइसाइकिल, बाइगैमी आदि शब्दों में द्वि का अपभ्रंश (बि) ही बाई के रूप में उच्चरित होता है। अंग्रेजी उच्चारण में वह बाइ हो जाता है द्विपाद-बाइपेड। 'बच्चन' को निम्नलिखित कविता में नदी का नदी के रूप में प्रयोग बल से ही प्रेरित है -

बैठा नहीं जाता बेकार,

जाओगे ऊब,

नदी में डूब

दे न दो कहीं अपनी जान

(बुद्ध और नाचघर)

वाक्य बलाघात 

वाक्य बलाघात में वाक्य के किसी एक अंश पर बल दिया है और वह अंश बलाघात युक्त होता है। जिस अंश पर बल दिया जाता है उस अर्थ की है मुख्यता रहती है, जैसे- मैं आज प्रयाग जाऊँगा। इस वाक्य में चार स्थानों पर बलाघात किया सकता है और इसके आधार पर अर्थ में अन्तर हो जायेगा।

(1) मैं पर बल देने से अर्थ होगा मैं ही, अन्य कोई नहीं।

(2) आज पर बल देने से अर्थ होगा- आज ही जाऊँगा, कल नहीं।

(3) प्रयाग पर बल देने से अर्थ होगा-प्रयाग ही जाऊँगा, अन्यत्र नहीं।

(4) जाऊँगा पर बल देने से अर्थ होगा- मैं जाऊँगा ही मुझे कोई रोक नहीं सकता।

       'वाक्य बलाघात' छोटे वाक्यों और बड़े वाक्यों, दोनों में होता है। बड़े वाक्यों में जहाँ किसी उपवाक्य पर बल दिया जाता है, वह उपवाक्य प्रमुख हो जाता है। इसको वाक्यांश बलाघात भी कह सकते हैं।

आगे देखें,>>>>लय(सुर या स्वर)<<<<

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