bhartrihari ? |
स्वनामधन्य संस्कृत कवियों की परंपरा अपने विषय में अपरिचित ही रही है । इसी श्रृंखला में भर्तृहरि जी ने भी अपने विषय में कुछ नहीं कहा है अतः अन्य साधनों द्वारा उनके काल निर्धारण का प्रयत्न करते हैं ।
संस्कृत साहित्य में चार भर्तृहरि का उल्लेख मिलता है ।
१. "वाक्पदीयम्" के रचयिता भर्तृहरि -
चीनी यात्री "इत्सिंग"के अनुसार भर्तृहरि की मृत्यु 652 ईस्वी में हुई थी । वाक्यपदीयकार तथा नीतिशतककार के नाम साम्य के सिवा अन्य कोई समता प्राप्त नहीं होती है । नीतिशतक प्रणेता भर्तृहरि का अन्य विद्वानों के मत से अत्यंत पूर्व काल ठहरता है । इत्सिंग भर्तृहरि को कट्टर बौद्ध धर्मावलंबी मानते हैं । मैक्समूलर तथा जे.जे. मेयर भी इसका समर्थन करते हैं । परंतु अन्य जनस्रोतों एवं साक्ष्यों के आधार पर ऐसा कहीं भी प्रमाणित नहीं होता है ।
२. मालवसम्राट भर्तृहरि -
तारानाथ ने बौद्ध धर्म के इतिहास में भर्तृहरि को मालवा देश का शासक माना है । उन्हें धर्मकीर्ति के समकालीन कहा गया है वह बौद्ध नैयायिक थे ।
३. योगी भर्तृहरि -
नाथपंथी सिद्ध परंपरा की श्रेणी में कुछ विद्वान भर्तृहरि को गुरु गोरक्षनाथ का शिष्य मानते हैं तथा उन्हें ही शतकत्रय का प्रणेता स्वीकार करते हैं ।
४. शतकत्रय रचयिता भर्तृहरि -
चौथे रूप में विद्वानों ने नीतिशतक, श्रृंगारशतक तथा वैराग्यशतक के प्रणेता को भर्तृहरि स्वीकार किया है ।
thanks for a lovly feedback