neetishatak 2 |
बोद्धारो मत्सरग्रस्ताः प्रभवः स्मयदूषिताः ।
अबोधोपहताश्चान्ये जीर्णमङ्गे सुभाषितम् ।।२।।
हिन्दी अनुवाद -
विषयों के जानकार अर्थात बुद्धिमान् व्यक्ति तो ईर्ष्या द्वेष से ग्रस्त हैं । शासक स्वामी या राजा लोग अहंकार से युक्त हैं । और दूसरे लोग अज्ञान युक्त हैं,अतः कवियों के सुंदर वचन शरीर में ही नष्ट हो रहे हैं अर्थात् उनका उपयोग न होने की दशा में वह कविजनों की वाणी का विषय ही नहीं हो पा रहे हैं ।
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