गोकुल में देखो, वृंदावन में देखो
गोकुल में देखो, वृंदावन में देखो, मुरली बाजे रे
श्याम संग राधा नाचे रे
चन्द्र किरण सा श्याम सलोना, दोई आँखे कजरारी
जग का पालक बन कर बालक खेलत कुञ्ज बिहारी
सारे बिहारी संग राधा सुकुमारी संग, ब्रज में विराजे रे,
श्याम संग राधा नाचे रे...
छम छम नाचे राधे रानी सुन कर मीठी मुरलिया
श्याम छवी पर सब बलिहारी ग्वाल बाल और ग्वालिनिया
सर सर सर चले रे पवन, धरती नभ झूमें मगन,जग बलिहारी रे,
श्याम संग राधा नाचे रे...
यमुना तट पर वंसी वट पर कान्हा रास रचाए ।
गोपी बन कर शंकर आए, गोपेश्वर कहलाए ।
डम डम डमरू बाजे, कहना की मुरली बजे, सब जग नाचे रे ॥
श्याम संग राधा नाचे रे...
रास रच्यो है, रास रच्यो है, यमुना के तीर कान्हा रास रच्यो है
राधा नाचे कृष्णा नाचे नाचे गोपी जन
क्योंकि मन मेरो बन गयो सखी री पावन वृंदावन
रास रच्यो है, रास रच्यो है, यमुना के तीर कान्हा रास रच्यो है..
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