नीतिशतक श्लोक संख्या ३

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
0

नीतिशतक श्लोक संख्या ३




अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः । 

ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्माऽपि च तं नरं न रञ्जयति ॥३॥

हिन्दी अनुवाद -

    अज्ञानी व्यक्ति को सरलतापूर्वक समझाया जा सकता है । विशेष समझदार या ज्ञानी व्यक्ति को तो और भी सरलता से समझाया जा सकता है । परंतु थोड़े से ज्ञान से युक्त, स्वयं को परम विद्वान समझने वाले मनुष्य को तो ब्राह्मा भी प्रसन्न नहीं कर सकता है ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

thanks for a lovly feedback

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top