Bhagwati stotram, jay bhagwati devi namo varde

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
1

 भगवती स्तुति

जय भगवति देवि नमो वरदे, जयपापविनाशिनि बहुफलदे।

जयशुम्भनिशुम्भकपालधरे, प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे।।1।।

  हे वरदायिनी देवि! हे भगवति! तुम्हारी जय हो। हे पापों को नष्ट प्रदान करने वाली और अनंत फलों को प्रदान करने वाली देवि! तुम्हारी जय हो! हे शुम्भ-निशुम्भ के मुण्डों को धारण करनेवाली देवी! तुम्हारी जय हो। हे मनुष्यों को पीड़ा हरनेवाली देवी! मैं तुम्हें प्रणाम करता/करती हूं।।1।।

O blessed goddess! Oh god! Glory to you O Goddess who destroys sins and bestows infinite fruits! Glory to you! O Shumbha-the goddess who bears the heads of Nishumbha! Glory to you O Goddess who gives pain to men! I salute you.1.

जयचन्द्रदिवाकरनेत्रधरे, जय पावकभूषितवक्त्रवरे।

जय भैरवदेहनिलीनपरे,जय अन्धकदैत्यविशोषकरे।।2।।

   हे सूर्य-चंद्रमारूपी नेत्रों को धारण करने वाली देवि! तुम्हारी जय हो। हे अग्नि के समान दैदीप्यमान मुख से शोभित होने वाली! तुम्हारी जय हो। हे भैरव शरीर में लीन रहने वाली और अन्धकासुर का शोषण करने वाली देवी तुम्हारी जय हो, जय हो।।2।।

 O goddess who wears the eyes of the sun and the moon! Glory to you O one who is adorned with a face resplendent like fire! Glory to you Hail to you, O Goddess who is absorbed in Bhairav's body and exploits Andhakasur.2.

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे,जय लोकसमस्तकपापहरे।

जयदेवि पितामहविष्णुनुते,जय भास्करशक्रशिरोवनते।।3।।

  हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, शूलधारिणी और लोक के समस्त पापों को दूर करने वाली भगवति! तुम्हारी जय हो। ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य और इन्द्र से नमस्कृत होने वाली हे देवी! तुम्हारी जय हो, जय हो।।3।।

 O Bhagwati, who kills Mahishasura, Shooldharini and removes all the sins of the world!  Glory to you  O Goddess who is saluted by Brahma, Vishnu, Surya and Indra!  Glory to you, hail.3.

जय षण्मुखसायुधईशनुते,जय सागरगामिनि शम्भुनुते।

जय दुःखदरिद्रविनाशकरे,जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे।।4।।

  सशस्त्र शंकर और कार्तिकेयजी द्वारा वन्दित होने वाली देवी! तुम्हारी जय हो। शिव के द्वारा प्रशंसित एवं सागर में मिलनेवाली गंगारूपिणी देवी! तुम्हारी जय हो। दुख और दरिद्रता का नाश तथा पुत्र कलत्र की वृद्धि करने वाली हे देवी! तुम्हारी जय हो, जय हो।।4।।

Armed Goddess to be worshiped by Shankar and Kartikeya! Glory to you Gangaroupini Devi, admired by Shiva and found in the ocean! Glory to you Oh goddess, who destroys misery and poverty and increases son's age! Glory to you, hail.4.

जय देवि समस्तशरीरधरे,जय नाकविदर्शिनि दुःख हरे।

जय व्याधिविनाशिनि मोक्षकरे,जय वांछितदायिनि सिद्धिवरे।।5।।

  हे देवि! तुम्हारी जय हो। तुम समस्त शरीरों को धारण करने वाली, स्वर्गलोक का दर्शन कराने वाली और दुख हारिणी हो। हे व्याधिनाशिनी देवी! तुम्हारी जय हो। मोक्ष तुम्हारे करतलगत है, हे मनोवांछित फल देने वाली अष्ट सिद्धियों से सम्पन्न परा देवी! तुम्हारी जय हो।।5।।

O goddess! Glory to you You are the bearer of all bodies, the one who gives the vision of heaven and the loser of sorrow. O Vyadhinashini Devi! Glory to you Salvation is due to you, O Para Devi, endowed with eight siddhis that give desired results! Glory to you..5.

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं यः पठेन्नियतःशुचिः।

गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा।।6।।

  माता के कोई भी भक्त, जो कहीं भी रहकर पवित्र भाव से नियमपूर्वक इस व्यासकृत स्तोत्र का पाठ करता है अथवा शुद्ध भाव से घर पर ही पाठ करता है, उसके ऊपर भगवती सदा ही प्रसन्न रहती हैं।।6।।

Bhagwati is always pleased with any devotee of the mother, who recites this Vyasakrit hymn with a pure spirit or recites it at home with a pure spirit.6.



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