कोरोना वैश्विक महामारी

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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मित्रों !
कोरोना अर्थात् "कोविड १९" महामारी ने सकल विश्व को झकझोर दिया है । अभी तक लगभग १/२ करोड़ लोग इस महामारी से प्रभावित हुए हैं । वहीं लगभग तीन लाख से अधिक व्यक्तियों ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है । इस महामारी से निपटने के लिए विश्व के सभी देशों ने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं परन्तु आत्यन्तिक रूप से इस बीमारी से बचने का कोई खास उपाय नहीं हो पाया है । वैज्ञानिकों का दावा है कि जल्द ही हम इस निमित्त दवा का निर्माण कर लेंगे। विश्व की बडी़-बडी़ लैब्स में इसका प्रयोग चल रहा है ,उनका भी कहना है कि जल्द ही हम इसका टीका बनाने में कामयाब होंगे ।
 सभी डाॅक्टर्स ,नर्सेज, सिक्योरिटी फोर्सेज एवं मीडियाकर्मी सभी तन-मन एवं धन से भी पीड़ितों की सेवा में जी-जान से तत्पर हैं । इस संकटकाल में वे सब बहुत ही धन्यवाद के पात्र हैं ,जो निज प्राण की बाजी लगाकर दिन-रात हम सब की सेवा में लगे हैं ।
  ये तो रहीं कुछ सकारात्मक बातें । इसके विपरीत कुछ ऐसे व्यक्तित्व के धनी महापुरुष भी हैं जो पत्थरबाजी करने से बाज नहीं आ रहे । उनके लिए यह सब बकवास है । डाॅक्टर्स ,नर्सेज, सिक्योरिटी फोर्सेज एवं मीडियाकर्मियों से अभद्रतापूर्ण व्यवहार कर रहे हैं जो कि अत्यन्त निंदनीय है । ये खुद के जान की बाजी लगाकर दूसरों की जान लेने पर आमादा हैं । इन महामानवों का भी उचित सम्मान एवं उपाय करना चाहिए । हमारी सरकारें इस महामारी से निपटने हेतु हर-सम्भव प्रयास कर रही हैं । हमें एक दूसरे का सहयोग करते हुए  इस महामारी से लड़ना चाहिए । सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अमानवीय कुकृत्यों से बचना चाहिए । यह हम सब के लिए एक सुनहरा अवसर भी बन सकता है । कुछ अच्छी किताबों का अध्ययन, कुछ महत्त्वपूर्ण लेखन, कुछ शारीरिक एवं मानसिक थकान की निवृत्ति हेतु मनोरंजन ,आत्म शांति हेतु गहन चिन्तन, परिवार के बिखरे सम्बन्धों को सुधारने का एक सुखद वातावरण निर्मित कर सकते हैं ।
   इस दुःखद समय का भी सुखद रूप में प्रयोग कर सकते  हैं ,अतः आप सभी से  निवेदन है कि इस संकटकाल मेें एक दूसरे का सहयोग करें । स्वस्थ रहें मस्त  रहेें ।
जान है तो जहान है
मान  है सम्मान है ।
कुछ तो ऐसा कर चलो
प्रीति का रस भर चलो ।
गर रही ये ज़िन्दगी मंजिलें मिल जाएंगी
शुष्क उपवन में कभी निखरी बहारें आएंगी ।
खाक हो जाते सभी पर कुछ तो फर्क जरूर है ।
मरके जो मरते नहीं कुछ जी के जो जीते नहीं ।।
काम कुछ ऐसा करो न हम मरें न तुम मरो ।
ज़िन्दगी के वास्ते इक ज़िन्दगी कुर्बां करो ।।



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